(गिबोनी इस्राएली नहीं थे। वे ऐसे एमोरियों के समूह थे जो अभी तक जीवित छोड़ दिये गये थे। इस्राएलियों ने प्रतिज्ञा की थी कि वे गिबोनी पर चोट नहीं करेंगे। किन्तु शाऊल को इस्राएल और यहूदा के प्रति गहरा लगाव था। इसलिये उसने गिबोनियों को मारना चाहा।) राजा दाऊद ने गिबोनी को एक साथ इकट्ठा किया। उसने उनसे बातें कीं।
इसलिये सुलैमान ने उसे बुलवाया। सुलैमान ने कहा, “मैंने यहोवा के नाम पर तुमसे यह प्रतिज्ञा की थी कि यदि तुम यरूशलेम छोड़ोगे, तो मारे जाओगे। मैंने चेतावनी दी थी कि यदि तुम अन्य कहीं जाओगे तो तुम्हारे मारे जाने का दोष तुम्हारा होगा और मैंने जो कुछ कहा था तुमने उसे स्वीकार किया था। तुमने कहा कि तुम मेरी आज्ञा का पालन करोगे।
यहूदा में परमेश्वर की शक्ति ने लोगों को संगठित किया ताकि वे राजा हिजकिय्याह औऱ उसके अधिकारियों की आज्ञा का पालन करें। इस तरह उन्होंने यहोवा की आज्ञा का पालन किया।