अय्यूब के तीन मित्र थे:तेमानी का एलीपज, शूही का बिलदद और नामाती का सोपर। इन तीनों मित्रों ने अय्यूब के साथ जो बुरी घटनाएँ घटी थीं, उन सब के बारे में सुना। ये तीनों मित्र अपना—अपना घर छोड़कर आपस में एक दूसरे से मिले। उन्होंने निश्चय किया कि वे अय्यूब के पास जा कर उसके प्रति सहानुभूति प्रकट करें और उसे ढाढस बँधायें।
याकूब अपने पुत्र के लिए इतना दुःखी हुआ कि उसने अपने कपड़े फाड़ डाले। तब याकूब ने विशेष वस्त्र पहने जो उसके शोक के प्रतीक थे। याकूब लम्बे समय तक अपने पुत्र के शोक में पड़ा रहा।
एलादा का पुत्र तहत था। तहत का पुत्र जाबाद था। जाबाद का पुत्र शूतेलह था। कुछ व्यक्तियों ने जो गत नगर में बड़े हुए थे, येजेर और एलाद को मार डाला। यह इसलिये हुआ कि येजेर और एलाद उन लोगों की गायें और भेड़ें चुराने गत गए थे।
तब एप्रैम ने अपनी पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। एप्रैम की पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। एप्रैम ने अपने नये पुत्र का नाम बरीआ रखा क्योंकि उसके परिवार के साथ कुछ बुरा हुआ था।
याकूब के सभी पुत्रों, पुत्रियों ने उसे धीरज बँधाने का प्रयत्न किया। किन्तु याकूब कभी धीरज न धर सका। याकूब ने कहा, “मैं मरने के दिन तक अपने पुत्र यूसुफ के शोक में डूबा रहूँगा।”