1 इतिहास 25:1 - पवित्र बाइबल1 दाऊद और सेनापतियों ने आसाप के पुत्रों को विशेष सेवा के लिये अलग किया। आसाप के पुत्र हेमान और यदूतून थे। उनका विशेष काम परमेश्वर के सन्देश की भविष्यावाणी सारंगी, वीणा, मंजीरे का उपयोग करके करना था। यहाँ उन पुरुषों की सूची है जिन्होंने इस प्रकार सेवा की। अध्याय देखेंHindi Holy Bible1 फिर दाऊद और सेनापतियोंने आसाप, हेमान और यदूतून के कितने पुत्रोंको सेवकाई के लिथे अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और फांफ बजा बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करनेवाले मनुष्योंकी गिनती यह यी : अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)1 दाऊद और उच्चाधिकारियों ने आसाफ, हेमान और यदूतून के कुछ पुत्रों को विशेष सेवा-कार्यों के लिए नियुक्त किया। इनका कार्य वीणा, सारंगी और झांझ बजाते हुए नबूवत करना था। जो व्यक्ति मन्दिर में यह सेवा-कार्य करते थे, उनके नाम इस प्रकार हैं : अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)1 फिर दाऊद और सेनापतियों ने आसाप, हेमान और यदूतून के कुछ पुत्रों को सेवकाई के लिये अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और झाँझ बजा–बजाकर नबूवत करें। इस सेवा के काम करनेवाले मनुष्यों की गिनती यह थी : अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल1 दावीद और सेनापतियों ने मिलकर आसफ, हेमान और यदूथून के पुत्रों को अलग कर दिया कि जब वे नेबेल और किन्नोर नामक वाद्य यंत्र और झांझ बजाएं, वे भविष्यवाणी किया करें. जिन्हें इस सेवा की जवाबदारी सौंपी गई थी, उनकी सूची इस प्रकार है. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20191 फिर दाऊद और सेनापतियों ने आसाप, हेमान और यदूतून के कुछ पुत्रों को सेवकाई के लिये अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और झाँझ बजा-बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करनेवाले मनुष्यों की गिनती यह थी: अध्याय देखें |
उसने नजर दौड़ाई और राजा को देखा। राजा राज स्तम्भ के साथ सामने वाले द्वार पर खड़ा था। अधिकारी और लोग जो तुरही बजाते थे, राजा के पास थे। देश के लोग प्रसन्न थे और तुरही बजा रहे थे। गायक संगीत वाद्यों को बजा रहे थे। गायक प्रशंसा के गायन में लोगों का नेतृत्व कर रहे थे। तब अतल्याह ने अपने वस्त्रों को फाड़ डाला, और उसने कहा, “षड़यन्त्र!”
राजा हिजकिय्याह ने फिर याजकों और लेवीवंशियों को समूहों में बाँटा और प्रत्येक समूह को अपना विशेष कार्य करना होता था। अत: राजा हिजकिय्याह ने उन समूहों को अपना कार्य फिर से आरम्भ करने को कहा। अत: याजकों और लेवीवंशियों का फिर से होमबलि और मेलबलि चढ़ाने का काम था। उन का काम मन्दिर में सेवा करना, गाना और यहोवा के भवन के द्वार पर परमेश्वर की स्तुति करना था।
लोगों ने विश्वासपूर्वक काम किया। उनके निरीक्षक यहत और ओबद्याह थे। यहत और ओबद्याह लेवीवंशी थे और वे मरारी के वंशज थे। अन्य निरीक्षक जकर्याह और मशुल्लाम थे। वे कहात के वंशज थे। जो लेवीवंशी संगीत—वाद्या बजाने में कुशल थे, वे भी चिज़ों को ढोने वाले तथा अन्य मज़दूरों का निरीक्षण करते थे। कुछ लेवीवंशी सचिव, अधिकारी और द्वारपाल का काम करते थे।
और सभी लेविवंशी गायक वेदी के पूर्वी ओर खड़े थे। सभी आसाप, हेमान और यदूतून के गायक समूह वहाँ थे और उनके पुत्र तथा उनके सम्बन्धी भी वहाँ थे। वे लेवीवंशी गायक सफेद बहुमूल्य मलमल के वस्त्र पहने हुए थे। वे झाँझ, वीणा और सारंगी लिये थे। उन लेवीवंशी गायकों के साथ वहाँ एक सौ बीस याजक थे। वे एक सौ बीस याजक तुरही बजा रहे थे।
सुलैमान ने अपने पिता दाऊद के निर्देशों का पालन किया। सुलैमान ने याजकों के वर्ग उनकी सेवा के लिये चुने। सुलैमान ने लेवीवंशियों को भी उनके कार्य के लिये चुना। लेवीवंशियों को स्तुति में पहल करनी होती थी और उन्हें मन्दिर की सेवाओं में जो कुछ नित्य किया जाना होता था उनमें याचकों की सहायता करनी थी और सुलैमान ने द्वारपालों को चुना जिनके समूहों को हर द्वार पर सेवा करनी थी। इस पद्धति का निर्देश परमेश्वर के व्यक्ति दाऊद ने दिया था।
मत्तन्याह, (मत्तन्याह मीका का पुत्र था और मीका जब्दी का, तथा जब्दी आसाप का।) आसाप गायक मण्डली का निर्देशक था। आसाप स्तुति गीत और प्रार्थनाओं के गायन में लोगों की अगुवाई किया करता था बकबुकियाह (बकबुकियाह अपने भाइयों के ऊपर दूसरे दर्जे का अधिकारी था)। और शम्मू का पुत्र अब्दा (शम्मू यदूतन का पोता और गालाल का पुत्र था)।
लेवियों के मुखियाओं के नाम ये थे: हशब्याह, शेरेब्याह, कदमिएल का पुत्र येशू उसके साथी। उनके भाई परमेश्वर को आदर देने के लिए स्तुतिगान के वास्ते उनके सामने खड़ा रहा करते थे। वे आमने—सामने इस तरह खड़े होते थे कि एक गायक समूह दूसरे गायक समूह के उत्तर में गीत गाता था। परमेश्वर के भक्त दाऊद की ऐसी ही आज्ञा थी।
लोगों ने यरूशलेम की दीवार का समर्पण किया। उन्होंने सभी लेवियों को यरूशलेम में बुलाया। सो लेवी जिस किसी नगर में भी रह रहे थे, वहाँ से वे आये। यरूशलेम की दीवार के समर्पण को मनाने के लिए वे यरूशलेम आये। परमेश्वर को धन्यवाद देने और स्तुतिगीत गाने के लिए लेवीवंशी वहाँ आये। उन्होंने अपनी झाँझ, सारंगी और वीणाएँ बजाईं।