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1 इतिहास 19:2 - पवित्र बाइबल

2 तब दाऊद ने कहा, “नाहाश मेरे प्रति दयालु था, इसलिए मैं नाहाश के पुत्र हानून के प्रति दायालु रहूँगा।” अतः दाऊद ने अपने दूतों को उसके पिता की मृत्यु पर सांत्वना देने भेजे। दाऊद के दूत हानून को सांन्तवा देने अम्मोन देश को गए।

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Hindi Holy Bible

2 तब दाऊद ने यह सोचा, कि हानून के पिता नाहाश ने जो मुझ पर प्रीति दिखाई थी, इसलिये मैं भी उस पर प्रीति दिखाऊंगा। तब दाऊद ने उसके पिता के विषय शांति देने के लिये दूत भेजे। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में हानून के पास उसे शांति देने को आए।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 दाऊद ने यह सोचा, ‘जैसे हानून के पिता नाहाश ने मुझसे प्रेमपूर्ण व्‍यवहार किया था, वैसे ही मैं हानून के साथ करूंगा।’ अत: दाऊद ने उसके पिता की मृत्‍यु के विषय में अपने दरबारियों के हाथ संवेदना-संदेश भेजा। दाऊद के दरबारी हानून को सांत्‍वना देने के लिए अम्‍मोन देश में आए।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 तब दाऊद ने यह सोचा, “हानून के पिता नाहाश ने जो मुझ पर प्रीति दिखाई थी, इसलिये मैं भी उस पर प्रीति दिखाऊँगा।” तब दाऊद ने उसके पिता के विषय शांति देने के लिये दूत भेजे। दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में हानून के पास उसे शांति देने को आए।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 दावीद ने सोचा, “मैं नाहाश के पुत्र हानून पर अपनी दया बनाकर रखूंगा, क्योंकि उसका पिता मुझ पर कृपालु था,” इसलिये दावीद ने उसे उसके पिता की मृत्यु के संबंध में सांत्वना देने के लिए अपने दूत भेजे. दावीद के दूत अम्मोन के वंशजों के नगर में राजा हानून को सांत्वना देने पहुंचे,

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

2 तब दाऊद ने यह सोचा, “हानून के पिता नाहाश ने जो मुझ पर प्रीति दिखाई थी, इसलिए मैं भी उस पर प्रीति दिखाऊँगा।” तब दाऊद ने उसके पिता के विषय शान्ति देने के लिये दूत भेजे। और दाऊद के कर्मचारी अम्मोनियों के देश में हानून के पास उसे शान्ति देने को आए।

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1 इतिहास 19:2
14 क्रॉस रेफरेंस  

दाऊद ने पूछा, “क्या शाऊल के परिवार में अब तक कोई बचा है? मैं योनातन के कारण उस व्यक्ति पर दया करना चाहता हूँ।”


दाऊद ने मेपीबोशेत से कहा, “डरो नहीं। मैं तुम्हारे प्रति दयालु रहूँगा। मैं यह तुम्हारे पिता योनातन के लिये करूँगा। मैं तुम्हारे पितामह शाऊल की सारी भूमि तुमको दूँगा, और तुम सदा मेरी मेज पर भोजन कर सकोगे।”


एलीशा ने अपने सेवक से कहा—अब इस स्त्री से कहो, “देखो हम लोगों की देखभाल के लिये तुमने यथासम्भव अच्छा किया है। हम लोग तुम्हारे लिये क्या करें क्या तुम चाहती हो कि हम लोग तुम्हारे लिये राजा या सेना के सेनापती से बात करें” उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ बहुत अच्छी तरह अपने लोगों में रह रही हूँ।”


नाहाश अम्मोनी लोगों का राजा था। नाहाश मरा, और उसका पुत्र नया राजा बना।


किन्तु अम्मोनी प्रमुखों ने हानून से कहा, “मूर्ख मत बनो। दाऊद ने सच्चे भाव से तुम्हें सांत्वना देने के लिये या तुम्हारे मृत पिता को सम्मान देने के लिये नहीं भेजा है! नहीं, दाऊद ने अपने सेवकों को तुम्हारी और तुम्हारे देश की जासूसी करने को भेजा है। दाऊद वस्तुतः तुम्हारे देश को नष्ट करना चाहता है!”


उस दिन मूसा की पुस्तक का ऊँचे स्वर में पाठ किया गय ताकि सभी लोग उसे सुन लें। मूसा की पुस्तक में उन्हें यह नियम लिखा हुआ मिला: किसी भी अम्मोनी व्यक्ति को और किसी भी मोआबी व्यक्ति को परमेश्वर की सभाओं में सम्मिलित न होने दिया जाये।


अम्मोन का निवासी तोबियाह सम्बल्लत के साथ था। तोबियाह बोला, “ये यहूदी जो निर्माण कर रहे उसके बारे में ये क्या सोचते हैं? यदि कोई छोटी सी लोमड़ी भी उस दीवार पर चढ़ जाये तो उनकी वह पत्थरों की दीवार ढह जायेगी!”


किन्तु सम्बल्लत, तोबियाह, अरब के लोगों, अम्मोन के निवासियों और अशदोद के रहने वाले लोगों को उस समय बहुत क्रोध आया। जब उन्होंने यह सुना कि यरूशलेम के परकोटे पर लोग निरन्तर काम कर रहे हैं। उन्होंने सुना था कि लोग उस दीवार की दरारों को भर रहे हैं।


इस पर महाराजा ने प्रश्न किया, “इस बात के लिए मोर्दकै को कौन सा आदर और कौन सी उत्तम वस्तुएं प्रदान की गयी थीं?” उन दासों ने राजा को उत्तर दिया, “मोर्दकै के लिये कुछ नहीं किया गया था।”


उसी नगर में एक बुद्धिमान पुरुष रहता था। वह बहुत निर्धन था। किन्तु उसने उस नगर को बचाने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग किया। जब नगर की विपत्ती टल गयी और सब कुछ समाप्त हो गया तो लोगों ने उस गरीब व्यक्ति को भुला दिया।


भाई की मृत्यु पर मारथा और मरियम को सांत्वना देने के लिये बहुत से यहूदी नेता आये थे।


दाऊद सिकलग में आया। तब उसने उन चीजों में से, जो अमालेकियों से ली थीं, कुछ को अपने मित्रों यहूदा नगर के प्रमुखों के लिये भेजा। दाऊद ने कहा, “ये भेटें आप लोगों के लिये उन चीज़ों में से हैं जिन्हें हम लोगों ने यहोवा के शत्रुओं से प्राप्त कीं।”


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