1 इतिहास 15:2 - पवित्र बाइबल2 तब दाऊद ने कहा, “केवल लेवीवंशियों को साक्षीपत्र का सन्दूक ले चलने की स्वीकृति है। यहोवा ने उन्हें साक्षीपत्र का सन्दूक ले चलने और उसकी सदैव सेवा के लिये चुना है।” अध्याय देखेंHindi Holy Bible2 तब दाऊद ने कहा, लेवियों को छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिये, क्योंकि यहोवा ने उन को इसी लिये चुना है कि वे परमेश्वर का सन्दूक उठाएं और उसकी सेवा टहल सदा किया करें। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)2 तत्पश्चात् दाऊद ने यह आदेश दिया, ‘केवल लेवी कुल के उप-पुरोहित परमेश्वर की मंजूषा को वहन करेंगे; क्योंकि स्वयं प्रभु ने अपनी मंजूषा को वहन करने के लिए तथा स्थायी रूप से अपनी सेवा करने के लिए लेवी कुल के उप-पुरोहितों को चुना था।’ अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)2 तब दाऊद ने कहा, “लेवियों को छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिये, क्योंकि यहोवा ने उनको इसी लिये चुना है कि वे परमेश्वर का सन्दूक उठाएँ और उसकी सेवा टहल सदा किया करें।” अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल2 तब दावीद ने आदेश दिया, “परमेश्वर के संदूक को लेवियों के अलावा और कोई न उठाए, क्योंकि याहवेह ने हमेशा के लिए याहवेह के संदूक को उठाने के लिए और अपनी सेवा के लिए उन्हें ही चुना है.” अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20192 तब दाऊद ने कहा, “लेवियों को छोड़ और किसी को परमेश्वर का सन्दूक उठाना नहीं चाहिये, क्योंकि यहोवा ने उनको इसी लिए चुना है कि वे परमेश्वर का सन्दूक उठाएँ और उसकी सेवा टहल सदा किया करें।” अध्याय देखें |
योशिय्याह ने उन लेवीवंशियों से बातें कीं जो इस्राएल के लोगों को उपदेश देते थे तथा जो यहोवा की सेवा के लिये पवित्र बनाए गए थे। उसने उन लेवीवंशियों से कहा: “पवित्र सन्दूक को उस मन्दिर में रखो जिसे सुलैमान ने बनाया। सुलैमान दाऊद का पुत्र था। दाऊद इस्राएल का राजा था। पवित्र सन्दूक को अपने कंधों पर फिर एक स्थान से दूसरे स्थान पर मत ले जाओ। अब अपने यहोवा परमेश्वर की सेवा करो। परमेश्वर के लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों की सेवा करो।
उस समय यहोवा ने लेवी के परिवार समूह को अपने विशेष काम के लिए अन्य परिवार समूहों से अलग किया। उन्हें यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को ले चलने का कार्य करना था। वे याजक की सहायता भी यहोवा के मन्दिर में करते थे और यहोवा के नाम पर, वे लोगों को आशीर्वाद देने का काम भी करते थे। वे अब भी यह विशेष काम करते हैं।