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सभोपदेशक 8:5 - नवीन हिंदी बाइबल

5 जो उसकी आज्ञा का पालन करता है वह विपत्ति में नहीं पड़ता, क्योंकि बुद्धिमान मनुष्य उचित समय और नियम को जानता है।

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पवित्र बाइबल

5 यदि राजा आज्ञा का पालन करता है तो वह सुरक्षित रहेगा। किन्तु एक बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा करने का उचित समय जानता है और वह यह भी जानता है कि समुचित बात कब करनी चाहिये।

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Hindi Holy Bible

5 जो आज्ञा को मानता है, वह जोखिम से बचेगा, और बुद्धिमान का मन समय और न्याय का भेद जानता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 जो व्यक्‍ति राजा की आज्ञा का पालन करता है, उसका अनिष्‍ट नहीं होता। बुद्धिमान मनुष्‍य उपयुक्‍त समय और उपयुक्‍त कार्य-विधि जानता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 जो आज्ञा को मानता है, वह जोखिम से बचेगा, और बुद्धिमान का मन समय और न्याय का भेद जानता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 जो व्यक्ति आज्ञा का पालन करता है, बुरा उसका भी न होगा, क्योंकि बुद्धिमान हृदय को सही समय और सही तरीका मालूम होता है.

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सभोपदेशक 8:5
21 क्रॉस रेफरेंस  

यदि मैं तेरी सब आज्ञाओं पर ध्यान करूँगा तो मैं लज्‍जित न होऊँगा।


परंतु वे दाइयाँ परमेश्‍वर का भय मानती थीं, इसलिए वे मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं।


धर्मी की कोई हानि नहीं होती, परंतु दुष्‍ट लोग विपत्तियों से घिरे रहते हैं।


बुद्धि समझदार मनुष्य के सम्मुख रहती है, परंतु मूर्ख की आँखें पृथ्वी की छोर तक भटकती रहती हैं।


बुद्धिमान का मन उचित बात की ओर लगा रहता है, परंतु मूर्ख का मन उसके विपरीत रहता है।


जब सब कुछ सुन लिया गया है तो निष्कर्ष यह है : परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि यही मनुष्य का संपूर्ण कर्त्तव्य है।


बुद्धिमान की आँखें उसके सिर में होती हैं, परंतु मूर्ख अंधकार में चलता है; फिर भी मैं जानता हूँ कि दोनों का अंत एक जैसा होता है।


मैं कहता हूँ कि परमेश्‍वर के सम्मुख खाई शपथ के कारण तू राजा की आज्ञा मान।


तब उसने उनसे कहा,“तो जो कैसर का है, वह कैसर को, और जो परमेश्‍वर का है, वह परमेश्‍वर को दो।”


परंतु पतरस और यूहन्‍ना ने उनको उत्तर दिया, “तुम ही न्याय करो। परमेश्‍वर की बात से बढ़कर तुम्हारी बात मानना क्या परमेश्‍वर की दृष्‍टि में उचित है?


तब पतरस और प्रेरितों ने उत्तर दिया, “मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्‍वर की आज्ञा मानना आवश्यक है।


इस कारण जिस दिन से हमने यह सुना, हम भी तुम्हारे लिए प्रार्थना और विनती करना नहीं छोड़ते कि तुम सारी आत्मिक बुद्धि और समझ में परमेश्‍वर की इच्छा की पहचान से परिपूर्ण हो जाओ,


परंतु ठोस भोजन बड़ों के लिए होता है, जिनकी ज्ञानेंद्रियाँ अभ्यास के द्वारा भले और बुरे की पहचान करने में निपुण हो गई हैं।


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