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सभोपदेशक 8:12 - नवीन हिंदी बाइबल

12 पापी चाहे सौ बार पाप करे और बहुत समय तक जीवित रहे, फिर भी मैं जानता हूँ कि जो परमेश्‍वर का भय मानते हैं और उसकी उपस्थिति में भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा।

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पवित्र बाइबल

12 कोई पापी चाहे सैकड़ों पाप करे और चाहे उसकी आयु कितनी ही लम्बी हो किन्तु मैं यह जानता हूँ कि तो भी परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना और उसका सम्मान करना उत्तम है।

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Hindi Holy Bible

12 चाहे पापी सौ बार पाप करे अपने दिन भी बढ़ाए, तौभी मुझे निश्चय है कि जो परमेश्वर से डरते हैं और अपने तईं उसको सम्मुख जानकर भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा;

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 यद्यपि पापी मनुष्‍य सौ बार दुष्‍कर्म करता है, और उसे दण्‍ड नहीं मिलता, वह लम्‍बी उम्र तक जीवित रहता है, तथापि मैं यह जानता हूं कि परमेश्‍वर से डरनेवालों का अन्‍त में भला ही होता है। परमेश्‍वर उनका भला करता है, क्‍योंकि वे उससे डरते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 चाहे पापी सौ बार पाप करे और अपने दिन भी बढ़ाए, तौभी मुझे निश्‍चय है कि जो परमेश्‍वर से डरते हैं और उसको अपने सम्मुख जानकर भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा;

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सरल हिन्दी बाइबल

12 चाहे पापी हज़ार बार बुरा करें और अपने जीवन को बढ़ाते रहें, मगर मुझे मालूम है कि जिनमें परमेश्वर के लिए श्रद्धा और भय की भावना है उनका भला ही होगा, क्योंकि उनमें परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय की भावना हैं.

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सभोपदेशक 8:12
34 क्रॉस रेफरेंस  

परंतु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शांति के कारण आनंदित होंगे।


तो स्पष्‍ट है कि प्रभु धर्मियों को परीक्षा में से निकालना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दंड की दशा में रखना भी जानता है,


मैंने अपने व्यर्थ जीवनकाल में यह सब देखा है : कोई धर्मी जन धार्मिकता के मार्ग पर चलते हुए शीघ्र मर जाता है जबकि दुष्‍ट जन बुराई के मार्ग पर चलते हुए लंबी आयु पाता है।


मैं जानता हूँ कि परमेश्‍वर जो कुछ करता है वह सदा स्थिर रहता है; उसमें न तो कुछ जोड़ा जा सकता है और न उसमें से कुछ घटाया जा सकता है। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया है कि मनुष्य उसका भय माने।


तो क्या हुआ यदि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपना सामर्थ्य प्रकट करने की इच्छा से विनाश के लिए तैयार किए गए क्रोध के पात्रों को बड़े धैर्य के साथ सहा,


और उसकी दया उन पर, जो उसका भय मानते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।


परंतु तू अपनी कठोरता और अपश्‍चात्तापी मन के कारण प्रकोप के दिन के लिए, जब परमेश्‍वर का सच्‍चा न्याय प्रकट होगा, अपने प्रति प्रकोप इकट्ठा कर रहा है।


तब राजा अपने दाहिनी ओर वालों से कहेगा, ‘हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ! जगत की उत्पत्ति से तुम्हारे लिए जो राज्य तैयार किया गया है, उसके उत्तराधिकारी बनो;


यह अच्छा है कि तू एक बात को तो पकड़े रहे, और दूसरी बात को भी अपने हाथ से जाने न दे, क्योंकि जो परमेश्‍वर का भय मानता है वह सब कठिनाइयों से पार हो जाता है।


यह भी एक दुखदायक बुराई है : जैसा वह आया था, ठीक वैसा ही जाएगा, तो उसके इस व्यर्थ परिश्रम से उसे क्या लाभ?


विपत्ति पापियों के पीछे पड़ती है, परंतु धर्मियों का प्रतिफल सुख-समृद्धि होता है।


क्या छोटे क्या बड़े जितने यहोवा का भय मानते हैं, वह उन्हें आशिष देगा।


याह की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्‍न रहता है।


पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दंडवत् करो। हे सारी पृथ्वी के लोगो, उसके सामने काँपते रहो।


इसलिए परमेश्‍वर ने दाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए।


तू अपने हाथों के परिश्रम का फल खाएगा; तू प्रसन्‍न रहेगा और तेरा भला होगा।


क्योंकि बहुत स्वप्‍नों और बहुत शब्दों का होना भी व्यर्थ है। परंतु तू परमेश्‍वर का भय मान।


जब सब कुछ सुन लिया गया है तो निष्कर्ष यह है : परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि यही मनुष्य का संपूर्ण कर्त्तव्य है।


क्या ही धन्य है वह जो सदा प्रभु का भय मानता है, परंतु जो अपने मन को कठोर करता है वह विपत्ति में पड़ता है।


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