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सभोपदेशक 12:13 - नवीन हिंदी बाइबल

13 जब सब कुछ सुन लिया गया है तो निष्कर्ष यह है : परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि यही मनुष्य का संपूर्ण कर्त्तव्य है।

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पवित्र बाइबल

13-14 इस सब कुछ को सुन लेने के बाद अब एक अन्तिम बात यह बतानी है कि परमेश्वर का आदर करो और उसके आदेशों पर चलो क्योंकि यह नियम हर व्यक्ति पर लागू होता है। क्योंकि लोग जो करते हैं, उसे यहाँ तक कि उनकी छिपी से छिपी बातों को भी परमेश्वर जानता है। वह उनकी सभी अच्छी बातों और बुरी बातों के विषय में जानता है। मनुष्य जो कुछ भी करते हैं उस प्रत्येक कर्म का वह न्याय करेगा।

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Hindi Holy Bible

13 सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 जो कुछ तुमने सुना, उसका सार यह है : तुम परमेश्‍वर पर श्रद्धा रखो, और उसकी आज्ञाओं का पालन करो; क्‍योंकि मनुष्‍य का सम्‍पूर्ण धर्म यही है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्तव्य यही है।

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सरल हिन्दी बाइबल

13 इसलिये इस बात का अंत यही है: कि परमेश्वर के प्रति श्रद्धा और भय की भावना रखो और उनकी व्यवस्था और विधियों का पालन करो, क्योंकि यही हर एक मनुष्य पर लागू होता है.

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सभोपदेशक 12:13
27 क्रॉस रेफरेंस  

उसने कहा, “लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न ही उसे कोई हानि पहुँचा। मैं अब जान गया हूँ कि तू परमेश्‍वर का भय मानता है, क्योंकि तूने अपने पुत्र अर्थात् अपने एकलौते पुत्र को भी मुझे देने से इनकार नहीं किया।”


यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है। जो उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उन सब की समझ उत्तम होती है। उसकी स्तुति सदा होती रहेगी।


वह अपने भय माननेवालों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दुहाई सुनकर उन्हें बचाता है।


यहोवा अपने भय माननेवालों से प्रसन्‍न होता है, अर्थात् उनसे जो उसकी करुणा की आशा लगाए रहते हैं।


यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; मूर्ख लोग ही बुद्धि और शिक्षा को तुच्छ समझते हैं।


यहोवा का भय जीवन की ओर ले जाता है; और जो उसका भय मानता है, वह सुखी रहता है और उस पर विपत्ति नहीं पड़ती।


पापियों के प्रति तेरे मन में ईर्ष्या न हो, परंतु तू सदा यहोवा के भय में बने रहना।


मैंने अपने मन में सोचा कि मैं अपनी देह को दाखमधु से कैसे बहलाऊँ और कैसे मेरी बुद्धि बनी रहे; और कैसे मैं मूर्खता को थामे रहूँ, जब तक यह पता न लगा लूँ कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य आकाश के नीचे अपने छोटे से जीवन में कर सकता है।


मैं जानता हूँ कि परमेश्‍वर जो कुछ करता है वह सदा स्थिर रहता है; उसमें न तो कुछ जोड़ा जा सकता है और न उसमें से कुछ घटाया जा सकता है। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया है कि मनुष्य उसका भय माने।


क्योंकि बहुत स्वप्‍नों और बहुत शब्दों का होना भी व्यर्थ है। परंतु तू परमेश्‍वर का भय मान।


कौन जानता है कि मनुष्य के व्यर्थ जीवन के थोड़े से दिनों में क्या अच्छा है? वह उसे छाया के समान बिता देगा। मनुष्य को कौन बता सकता है कि उसके बाद इस संसार में क्या होगा?


यह अच्छा है कि तू एक बात को तो पकड़े रहे, और दूसरी बात को भी अपने हाथ से जाने न दे, क्योंकि जो परमेश्‍वर का भय मानता है वह सब कठिनाइयों से पार हो जाता है।


पापी चाहे सौ बार पाप करे और बहुत समय तक जीवित रहे, फिर भी मैं जानता हूँ कि जो परमेश्‍वर का भय मानते हैं और उसकी उपस्थिति में भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा।


जो उसकी आज्ञा का पालन करता है वह विपत्ति में नहीं पड़ता, क्योंकि बुद्धिमान मनुष्य उचित समय और नियम को जानता है।


और उसकी दया उन पर, जो उसका भय मानते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।


सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्‍वर का भय मानो, और राजा का सम्मान करो।


तब सिंहासन में से एक आवाज़ आई जो यह कह रही थी: उसके सब दासो, तुम जो उसका भय मानते हो, चाहे छोटे हो या बड़े, हमारे परमेश्‍वर की स्तुति करो।


हमारे पर का पालन करें:

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