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लूका 8:43 - नवीन हिंदी बाइबल

43 एक स्‍त्री थी जो बारह वर्ष से रक्‍तस्राव से पीड़ित थी। वह अपनी सारी जीविका वैद्यों पर व्यय कर चुकी थी, फिर भी कोई उसे स्वस्थ नहीं कर सका था।

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पवित्र बाइबल

43 वहीं एक स्त्री थी जिसे बारह साल से खून बह रहा था। जो कुछ उसके पास था, उसने चिकित्सकों पर खर्च कर दिया था, पर वह किसी से भी ठीक नहीं हो पायी थी।

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Hindi Holy Bible

43 और एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जिविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी और तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

43 एक स्‍त्री बारह वर्ष से रक्‍तस्राव से पीड़ित थी। वह अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर चुकी थी, पर कोई भी उसे स्‍वस्‍थ नहीं कर सका था।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

43 एक स्त्री ने जिस को बारह वर्ष से लहू बहने का रोग था, और जो अपनी सारी जीविका वैद्यों के पीछे व्यय कर चुकी थी, तौभी किसी के हाथ से चंगी न हो सकी थी,

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सरल हिन्दी बाइबल

43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.

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लूका 8:43
22 क्रॉस रेफरेंस  

शत्रु के विरुद्ध हमारी सहायता कर, क्योंकि मनुष्य का किया हुआ छुटकारा व्यर्थ होता है।


क्योंकि सब ने अपनी भरपूरी में से डाला है, परंतु इसने अपने अभाव में से जो कुछ उसके पास था, वह सब, अर्थात् अपनी संपूर्ण जीविका डाल दी है।”


वह उसे जहाँ भी पकड़ती है, वहीं पटक देती है; और वह मुँह से झाग निकालता, अपने दाँत पीसता और सूखता जाता है। इसलिए मैंने तेरे शिष्यों से कहा कि उसे निकाल दें, परंतु वे निकाल न सके।”


और देखो, एक स्‍त्री अठारह वर्ष से दुर्बल करनेवाली आत्मा से ग्रस्त थी और वह कुबड़ी हो गई थी तथा पूरी तरह से सीधी खड़ी नहीं हो सकती थी।


तो क्या यह आवश्यक नहीं था कि अब्राहम की इस बेटी को, जिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बाँध रखा था, सब्त के दिन इस बंधन से मुक्‍त किया जाता?”


जब यीशु किनारे पर उतरा तो उसे उस नगर का एक मनुष्य मिला जो दुष्‍टात्माओं से ग्रसित था; वह बहुत समय से वस्‍त्र नहीं पहनता था और घर में नहीं बल्कि कब्रों में रहा करता था।


क्योंकि उसकी एकलौती बेटी जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी। जब यीशु जा रहा था तो भीड़ उस पर टूटी पड़ रही थी।


उसने पीछे से आकर यीशु के वस्‍त्र का किनारा छू लिया, और तुरंत उसका रक्‍तस्राव रुक गया।


फिर जाते हुए यीशु ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म से अंधा था।


परंतु हम नहीं जानते कि अब यह कैसे देखता है और न ही जानते हैं कि इसकी आँखें किसने खोलीं। उसी से पूछ लो, वह सयाना है, वह स्वयं अपने विषय में बताएगा।”


लोग जन्म से लंगड़े एक मनुष्य को लाकर प्रतिदिन मंदिर-परिसर के सुंदर नामक द्वार के पास बैठा देते थे कि वह मंदिर-परिसर में प्रवेश करनेवालों से भीख माँगे।


जिस मनुष्य पर स्वस्थ होने का यह चिह्‍न दिखाया गया था, वह चालीस वर्ष से अधिक का था।


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