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लूका 14:26 - नवीन हिंदी बाइबल

26 “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने पिता और माता और पत्‍नी और संतान और भाइयों और बहनों और यहाँ तक कि अपने प्राण को भी अप्रिय नहीं जानता, तो वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता।

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पवित्र बाइबल

26 “यदि मेरे पास कोई भी आता है और अपने पिता, माता, पत्नी और बच्चों अपने भाइयों और बहनों और यहाँ तक कि अपने जीवन तक से मुझ से अधिक प्रेम रखता है, वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता!

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Hindi Holy Bible

26 यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और लड़के बालों और भाइयों और बहिनों बरन अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्‍नी, सन्‍तान, भाई-बहिनों और यहाँ तक कि अपने जीवन से बैर नहीं करता, तो वह मेरा शिष्‍य नहीं हो सकता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्‍चों और भाइयों और बहिनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता;

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सरल हिन्दी बाइबल

26 “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्नी, संतान तथा भाई बहनों को, यहां तक कि स्वयं अपने जीवन को, मुझसे अधिक महत्व देता है, मेरा चेला नहीं हो सकता.

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लूका 14:26
18 क्रॉस रेफरेंस  

“जो अपने पिता या माता को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं; और जो अपने बेटे या बेटी को मुझसे अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं;


जो अपने प्राण को प्रिय जानता है वह उसे गँवाता है, और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है, वह उसे अनंत जीवन के लिए बचाए रखेगा।


इससे भी बढ़कर मैं अपने प्रभु मसीह यीशु के ज्ञान की श्रेष्‍ठता के कारण सब बातों को हानि समझता हूँ, जिसके कारण मैंने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूँ जिससे मैं मसीह को प्राप्‍त करूँ,


परंतु मैं अपने प्राण को अपने लिए मूल्यवान नहीं समझता, बल्कि यह कि मैं अपनी दौड़ को और उस सेवा को पूरा करूँ जो मुझे प्रभु यीशु से मिली है, अर्थात् मैं परमेश्‍वर के अनुग्रह के सुसमाचार की दृढ़तापूर्वक साक्षी दूँ।


उन्होंने मेमने के लहू के द्वारा और अपनी साक्षी के वचन के द्वारा उस पर जय प्राप्‍त की, और अपने प्राणों को प्रिय नहीं जाना, यहाँ तक कि मृत्यु भी सह ली।


जैसा लिखा है : याकूब से मैंने प्रेम रखा, परंतु एसाव को अप्रिय जाना।


अब एक बड़ी भीड़ यीशु के साथ जा रही थी, और उसने मुड़कर उनसे कहा :


हाँ, मैं उनसे बहुत घृणा करता हूँ; मैं उन्हें अपना शत्रु समझता हूँ।


एक और ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इस कारण मैं आ नहीं सकता।’


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