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लूका 1:20 - नवीन हिंदी बाइबल

20 और देख, जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो जाएँ तू मौन रहेगा और बोल न पाएगा, क्योंकि तूने मेरी बातों पर विश्‍वास नहीं किया जो अपने समय पर पूरी होंगी।”

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पवित्र बाइबल

20 किन्तु देख! क्योंकि तूने मेरे शब्दों पर, जो निश्चित समय आने पर सत्य सिद्ध होंगे, विश्वास नहीं किया, इसलिये तू गूँगा हो जायेगा और उस दिन तक नहीं बोल पायेगा जब तक यह पूरा न हो ले।”

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Hindi Holy Bible

20 और देख जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा, और बोल न सकेगा, इसलिये कि तू ने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, प्रतीति न की।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

20 देखिए, जिस दिन तक ये बातें पूरी नहीं होंगी, उस दिन तक आप गूँगे रहेंगे और बोल नहीं सकेंगे; क्‍योंकि आपने मेरी बातों पर, जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्‍वास नहीं किया।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

20 देख, जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो लें, उस दिन तक तू मौन रहेगा और बोल न सकेगा, इसलिये कि तू ने मेरी बातों की जो अपने समय पर पूरी होंगी, प्रतीति न की।”

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सरल हिन्दी बाइबल

20 और सुनो! जब तक मेरी ये बातें पूरी न हो जाए, तब तक के लिए तुम गूंगे हो जाओगे, बोलने में असमर्थ, क्योंकि तुमने मेरे वचनों पर विश्वास नहीं किया, जिसका नियत समय पर पूरा होना निश्चित है.”

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लूका 1:20
22 क्रॉस रेफरेंस  

यहोवा ने उससे कहा, “मनुष्य का मुँह किसने बनाया है? और मनुष्य को गूँगा, या बहरा, या देखनेवाला, या अंधा कौन बनाता है? क्या मैं यहोवा ही ऐसा नहीं करता?


इसके बाद जब वे ग्यारह भोजन करने बैठे थे, यीशु वहाँ प्रकट हुआ और उसने उनके अविश्‍वास तथा मन की कठोरता को धिक्‍कारा, क्योंकि उन्होंने उन लोगों का विश्‍वास नहीं किया जिन्होंने उसे जी उठने के बाद देखा था।


इस पर यीशु ने उनसे कहा,“हे अविश्‍वासी पीढ़ी! कब तक मैं तुम्हारे साथ रहूँगा? कब तक तुम्हारी सहूँगा? उसे मेरे पास लाओ।”


स्वर्गदूत ने उसे उत्तर दिया, “मैं जिब्राईल हूँ, जो परमेश्‍वर के सामने खड़ा रहता हूँ; और मुझे तुझसे बात करने और तुझे यह सुसमाचार सुनाने के लिए भेजा गया है।


जो लोग जकरयाह की प्रतीक्षा कर रहे थे, वे आश्‍चर्य करने लगे कि उसे मंदिर में इतनी देर कैसे लग रही है।


जब वह बाहर आया तो उनसे बोल न सका। तब वे जान गए कि उसने मंदिर में कोई दर्शन पाया है; और वह उन्हें संकेत करता रहा और गूँगा ही रहा।


धन्य है वह जिसने विश्‍वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उससे कही गई हैं, पूरी होंगी।”


तुरंत उसका मुँह और उसकी जीभ खुल गई और वह परमेश्‍वर की स्तुति करने लगा।


यदि कुछ लोगों ने विश्‍वास नहीं भी किया तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्‍वास परमेश्‍वर की विश्‍वासयोग्यता को व्यर्थ ठहराएगा?


यदि हम विश्‍वासयोग्य न भी हों, तो भी वह विश्‍वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह स्वयं अपना इनकार नहीं कर सकता।


उस अनंत जीवन की आशा में जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर ने, जो झूठ नहीं बोल सकता, सनातन काल से की है,


ताकि दो न बदलनेवाली बातों के द्वारा, जिनमें परमेश्‍वर का झूठा ठहरना असंभव है, हमें—जो सामने रखी हुई आशा को प्राप्‍त करने के लिए दौड़ पड़े हैं—दृढ़ प्रोत्साहन मिले।


जिनसे मैं प्रीति रखता हूँ, उन्हें मैं झिड़कता और ताड़ना देता हूँ। इसलिए सरगर्म हो जा और पश्‍चात्ताप कर।


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