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रोमियों 2:5 - नवीन हिंदी बाइबल

5 परंतु तू अपनी कठोरता और अपश्‍चात्तापी मन के कारण प्रकोप के दिन के लिए, जब परमेश्‍वर का सच्‍चा न्याय प्रकट होगा, अपने प्रति प्रकोप इकट्ठा कर रहा है।

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पवित्र बाइबल

5 किन्तु अपनी कठोरता और कभी पछतावा नहीं करने वाले मन के कारण उसके क्रोध को अपने लिए उस दिन के वास्ते इकट्ठा कर रहा है जब परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा।

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Hindi Holy Bible

5 पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिस में परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रगट होगा, अपने निमित क्रोध कमा रहा है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 किन्‍तु तुम अपने इस हठ और अपने हृदय के अपश्‍चात्ताप के कारण कोप के दिन के लिए अपने विरुद्ध कोप का संचय कर रहे हो, जब परमेश्‍वर का निष्‍पक्ष न्‍याय प्रकट होगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 पर तू अपनी कठोरता और हठीले मन के कारण उसके क्रोध के दिन के लिये, जिसमें परमेश्‍वर का सच्‍चा न्याय प्रगट होगा, अपने लिये क्रोध कमा रहा है।

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सरल हिन्दी बाइबल

5 तुम अपने हठीले मनवाले तथा पश्चाताप विरोधी हृदय के कारण अपने ही लिए उस क्रोध के दिन पर परमेश्वर के सच्चे न्याय के प्रकाशन के अवसर के लिए क्रोध जमा कर रहे हो.

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रोमियों 2:5
40 क्रॉस रेफरेंस  

प्रभु तेरे दाहिनी ओर है; अपने क्रोध के दिन वह राजाओं को कुचल डालेगा।


यदि आज तुम उसकी बात सुनो तो अपना हृदय ऐसा कठोर न करना, जैसा उस दिन जंगल में मरीबा और मस्सा में किया था,


देख, मैं स्वयं मिस्रियों के मन को कठोर करूँगा, और वे उनका पीछा करेंगे। तब फ़िरौन, और उसकी सारी सेना, और रथों, और घुड़सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी।


परंतु अब तू जा और लोगों को उस स्थान पर लेकर जा जिसके विषय में मैंने तुझे बताया था; देख, मेरा दूत तेरे आगे-आगे चलेगा। फिर भी जिस दिन मैं दंड दूँगा, उस दिन उन्हें उनके पाप का भी दंड दूँगा।”


परंतु जब फ़िरौन ने देखा कि उसे आराम मिला है तो जैसा यहोवा ने कहा था, उसने अपने मन को फिर से कठोर किया, और उनकी न सुनी।


ये तो अपनी ही हत्या के लिए घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात में रहते हैं।


प्रकोप के दिन धन किसी काम नहीं आता, परंतु धार्मिकता मृत्यु से बचाती है।


क्या ही धन्य है वह जो सदा प्रभु का भय मानता है, परंतु जो अपने मन को कठोर करता है वह विपत्ति में पड़ता है।


जो मनुष्य डाँट खा खाकर भी हठ नहीं छोड़ता, वह अचानक नष्‍‍ट हो जाएगा और फिर कोई उपाय न रहेगा।


क्योंकि परमेश्‍वर प्रत्येक कार्य और प्रत्येक गुप्‍त बात का, चाहे वह भली हो या बुरी, न्याय करेगा।


परमेश्‍वर का प्रकोप उन लोगों की समस्त अभक्‍ति और अधार्मिकता पर स्वर्ग से प्रकट होता है जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं,


हे भाइयो, कहीं तुम अपने आपको बुद्धिमान न समझ लो, इसलिए मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो कि जब तक गैरयहूदियों की संख्या पूर्ण न हो जाए तब तक इस्राएल का एक भाग कठोर बना रहेगा।


तो क्या हुआ यदि परमेश्‍वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपना सामर्थ्य प्रकट करने की इच्छा से विनाश के लिए तैयार किए गए क्रोध के पात्रों को बड़े धैर्य के साथ सहा,


क्योंकि हम सब को मसीह के न्यायासन के सामने उपस्थित होना अवश्य है ताकि प्रत्येक को अपने उन भले या बुरे कार्यों का प्रतिफल मिले जो उसने देह के द्वारा किए हैं।


यह परमेश्‍वर के सच्‍चे न्याय का स्पष्‍ट प्रमाण है कि तुम परमेश्‍वर के राज्य के योग्य ठहराए जाओगे, जिसके लिए तुम दुःख भी उठा रहे हो।


जब तक “आज का दिन” कहलाता है, तब तक एक दूसरे को प्रतिदिन प्रोत्साहित करते रहो, ताकि तुममें से कोई पाप के छलावे में आकर कठोर न हो जाए—


जैसा कहा गया है : यदि आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपने मनों को वैसे कठोर न करना, जैसे तुमने मुझे क्रोध दिलाने के समय किया था।


इसलिए वह फिर से एक विशेष दिन को नियुक्‍त करता है, जिसे बहुत समय के बाद वह दाऊद के द्वारा फिर “आज का दिन” कहता है; जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है : यदि आज तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करना।


तुम्हारे सोने और चाँदी पर जंग लग गया है, और उनका जंग तुम्हारे विरुद्ध साक्षी देगा और तुम्हारे शरीर को आग के समान खा जाएगा। तुमने अंतिम दिनों में धन इकट्ठा किया है।


तो स्पष्‍ट है कि प्रभु धर्मियों को परीक्षा में से निकालना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दंड की दशा में रखना भी जानता है,


परंतु उसी वचन के द्वारा यह आकाश और यह पृथ्वी आग से भस्म किए जाने के लिए रखे गए हैं तथा ये अधर्मी मनुष्यों के न्याय और विनाश के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।


फिर जिन स्वर्गदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा बल्कि अपने निवासस्थान को छोड़ दिया, उनको उसने उस भीषण दिन के न्याय के लिए अनंत बंधनों में बाँधकर अंधकार में रखा है।


मैंने उसे पश्‍चात्ताप करने का समय दिया,परंतु वह अपने व्यभिचार से पश्‍चात्ताप करना नहीं चाहती।


क्योंकि उनके प्रकोप का भयानक दिन आ पहुँचा है, अब कौन खड़ा रह सकता है?”


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