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रोमियों 11:16 - नवीन हिंदी बाइबल

16 यदि उपज का पहला भाग पवित्र है, तो उसका गूँधा हुआ आटा भी; और यदि जड़ पवित्र है, तो डालियाँ भी।

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पवित्र बाइबल

16 यदि हमारी भेंट का एक भाग पवित्र है तो क्या वह समूचा ही पवित्र नहीं है? यदि पेड़ की जड़ पवित्र है तो उसकी शाखाएँ भी पवित्र हैं।

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Hindi Holy Bible

16 जब भेंट का पहिला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गुंधा हुआ आटा भी पवित्र है: और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियां भी ऐसी ही हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

16 यदि गुंधे हुए आटे का पहला पेड़ा पवित्र है, तो सारा गुंधा हुआ आटा पवित्र है और यदि जड़ पवित्र है, तो डालियाँ भी पवित्र हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

16 जब भेंट का पहला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गूँधा हुआ आटा भी पवित्र है; और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियाँ भी ऐसी ही हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

16 यदि भेंट का पहला पेडा पवित्र ठहरा तो गूंधा हुआ सारा आटा ही पवित्र है. यदि जड़ पवित्र है तो शाखाएं भी पवित्र ही हुईं न?

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रोमियों 11:16
17 क्रॉस रेफरेंस  

और मैं तेरे साथ, और तेरे बाद तेरे वंश के साथ पीढ़ी से पीढ़ी तक की अपनी सदाकाल की वाचा बाँधूँगा कि मैं तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी परमेश्‍वर ठहरूँ।


“अपने खेतों की उत्तम उपज और फलों के रस में से कुछ मुझे देने में विलंब न करना। अपने बेटों मे से पहलौठे को मुझे देना।


तूने अपने खेत में जो बोया है जब उसकी पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्व मनाना। जब तू वर्ष के अंत में अपने परिश्रम का फल खेत से बटोरे, तब बटोरने का पर्व मनाना।


“तू अपनी भूमि की पहली उपज का उत्तम भाग अपने परमेश्‍वर यहोवा के भवन में ले आना। बकरी के बच्‍चे को तू उसकी माता के दूध में न पकाना।


अपनी संपत्ति के द्वारा, और अपनी सारी उपज का पहला भाग देकर यहोवा का आदर करना।


“इस्राएलियों से कह : जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ और उसकी फसल काटो, तब अपनी फसल का पहला पूला याजक के पास लाना;


परंतु यदि कुछ डालियाँ तोड़ दी गईं, और तुझे जंगली जैतून की डाली होने पर भी उनमें कलम लगाया गया, और तू अच्छे जैतून की जड़ के पोषक-तत्त्व का सहभागी हुआ,


और केवल यही नहीं, बल्कि स्वयं हम भी जिनके पास आत्मा का पहला फल है, अपने आपमें कराहते हैं और लेपालक पुत्र होने की अर्थात् अपनी देह के छुटकारे की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करते हैं।


क्योंकि अविश्‍वासी पति अपनी पत्‍नी के कारण पवित्र ठहरता है, और अविश्‍वासी पत्‍नी अपने पति के कारण पवित्र ठहरती है; अन्यथा तुम्हारे बच्‍चे अशुद्ध होते, परंतु वे तो पवित्र हैं।


उसने अपनी इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्‍न‍ किया कि हम उसकी सृष्‍टि में से मानो प्रथम फल हों।


ये वे हैं जो स्‍त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, और कुँवारे हैं। ये वे हैं, जो मेमने के पीछे-पीछे जहाँ कहीं वह जाता है चलते हैं। ये परमेश्‍वर और मेमने के लिए प्रथम फल के रूप में मनुष्यों में से छुड़ा लिए गए हैं।


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