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रोमियों 1:30 - नवीन हिंदी बाइबल

30 निंदक, परमेश्‍वर से घृणा करनेवाले, ढीठ, अभिमानी, डींग मारनेवाले, बुराई गढ़नेवाले, माता-पिता की आज्ञा न माननेवाले,

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पवित्र बाइबल

30 वे पर निन्दक हैं, और परमेश्वर से घृणा करते हैं। वे उद्दण्ड हैं, अहंकारी हैं, बड़बोला हैं, बुराई के जन्मदाता हैं, और माता-पिता की आज्ञा नहीं मानते।

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Hindi Holy Bible

30 बदनाम करने वाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करने वाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनाने वाले, माता पिता की आज्ञा न मानने वाले।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

30 परनिन्‍दक, परमेश्‍वर के बैरी, धृष्‍ट, घमण्‍डी और डींग मारने वाले लोग हैं। वे बुराई करने में चतुर हैं, अपने माता-पिता की आज्ञा नहीं मानते

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

30 बदनाम करनेवाले, परमेश्‍वर से घृणा करनेवाले, दूसरों का अनादर करनेवाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी–बुरी बातों के बनानेवाले, माता पिता की आज्ञा न माननेवाले,

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सरल हिन्दी बाइबल

30 दूसरों की निंदा, परमेश्वर से घृणा, असभ्य, घमंड, डींग मारना, षड़्‍यंत्र रचना, माता-पिता की आज्ञा टालना,

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रोमियों 1:30
42 क्रॉस रेफरेंस  

दुष्‍ट अपने मन की अभिलाषा पर घमंड करता है, और लोभी मनुष्य यहोवा को शाप देता और उसका तिरस्कार करता है।


इस प्रकार वे अपने कार्यों से अशुद्ध हो गए, और अपने कर्मों के द्वारा व्यभिचारी बन गए।


वे तो अपनी संपत्ति पर भरोसा रखते, और अपने धन की बहुतायत पर घमंड करते हैं।


घमंडी तेरे सामने खड़े नहीं रह पाएँगे; तू सब कुकर्मियों से घृणा करता है।


हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमंड करता है? परमेश्‍वर की करुणा सदा बनी रहती है।


यहोवा के बैरी तो उसकी अधीनता में होंगे; और उनका दंड सदा बना रहेगा।


वे बकबक करते और ढिठाई की बातें बोलते हैं; सब अनर्थकारी डींग मारते हैं।


जो मूर्तियों की उपासना करते और उन पर घमंड करते हैं, वे लज्‍जित हों। हे सब देवताओ, तुम उसी को दंडवत् करो।


हे हमारे परमेश्‍वर यहोवा, तू उन्हें उत्तर देता था; तू उनके बुरे कार्यों का बदला तो लेता था, फिर भी उनके लिए क्षमा करनेवाला परमेश्‍वर था।


जो बुराई की युक्‍ति करता है, उसे लोग षड्यंत्रकारी कहते हैं।


उत्तरी वायु वर्षा लाती है, और चुगलखोर जीभ चेहरे पर क्रोध लाती है।


जो आँख अपने पिता की हँसी उड़ाती है, और माता की आज्ञा मानने को तुच्छ जानती है, उस आँख को तराई के कौए नोच नोचकर निकालेंगे, और गिद्ध के बच्‍चे खा जाएँगे।


परंतु जो मुझे पाने से चूक जाता है, वह अपनी ही हानि करता है। मुझसे बैर रखनेवाले सब लोग मृत्यु से प्रेम रखते हैं।”


देखो, मैंने केवल यह बात पाई है कि जब परमेश्‍वर ने मनुष्य को बनाया तो वह धर्मी था, परंतु उसने बहुत सी बुरी युक्‍तियाँ निकाल ली हैं।”


क्योंकि परमेश्‍वर ने कहाहै : अपने पिता और अपनी माता का आदर करऔर जो अपने पिता या माता को बुरा कहे वह निश्‍चय मार डाला जाए।


उस समय से यीशु अपने शिष्यों पर प्रकट करने लगा कि अवश्य है कि मैं यरूशलेम को जाऊँ और धर्मवृद्धों, मुख्य याजकों और शास्‍त्रियों के हाथों बहुत दुःख उठाऊँ और मार डाला जाऊँ, और तीसरे दिन जी उठूँ।


तुम अपने माता-पिता, भाइयों, संबंधियों और मित्रों के द्वारा भी पकड़वाए जाओगे, और वे तुममें से कुछ को मरवा डालेंगे,


संसार तुमसे घृणा नहीं कर सकता; परंतु वह मुझसे घृणा करता है, क्योंकि मैं उसके विरुद्ध साक्षी देता हूँ कि उसके कार्य बुरे हैं।


क्योंकि कुछ समय पहले थियूदास स्वयं कुछ होने का दावा करते हुए उठ खड़ा हुआ, और लगभग चार सौ पुरुष उसके साथ हो लिए थे; परंतु वह मारा गया, और जितने उसके अनुयायी थे वे सब तितर-बितर हो गए और मिट गए।


परंतु यदि तू यहूदी कहलाता है और व्यवस्था पर निर्भर रहता है, और परमेश्‍वर पर गर्व करता है,


तू जो व्यवस्था पर गर्व करता है, क्या व्यवस्था का उल्‍लंघन करके परमेश्‍वर का अपमान करता है?


तो घमंड कहाँ रहा? वह तो रहा ही नहीं। कौन सी व्यवस्था से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, परंतु विश्‍वास की व्यवस्था से।


हम मर्यादा से बाहर दूसरों के परिश्रम पर गर्व नहीं करते, परंतु हमारी आशा है कि तुम्हारा विश्‍वास बढ़ता जाए और तुम्हारे द्वारा हमारा कार्यक्षेत्र और भी फैलता जाए,


मुझे डर है, कहीं ऐसा न हो कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो तुम्हें वैसा पाऊँ जैसा मैं नहीं चाहता, और तुम भी मुझे वैसा पाओ जैसा तुम नहीं चाहते; ऐसा न हो कि तुममें झगड़े, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थ, निंदा, चुगली, अहंकार और उपद्रव हों।


जो प्रत्येक तथाकथित ईश्‍वर या आराध्य वस्तु का विरोध करता है और अपने आपको उनसे ऊँचा ठहराता है, यहाँ तक कि वह परमेश्‍वर के मंदिर में बैठकर अपने आपको परमेश्‍वर घोषित करता है।


क्योंकि मनुष्य स्वार्थी, लोभी, डींग मारनेवाले, अहंकारी, निंदक, माता-पिता की आज्ञा न माननेवाले, अकृतज्ञ, अपवित्र,


हम भी पहले निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, भ्रम में पड़े हुए, तथा विभिन्‍न‍ प्रकार की लालसाओं और भोग-विलास के दासत्व में थे, तथा बुराई और ईर्ष्या में जीवन व्यतीत करते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से घृणा करते थे।


इसी प्रकार जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी-बड़ी डींगे मारती है। देखो, एक थोड़ी सी आग कितने बड़े जंगल को जला देती है!


पर अब बात यह है कि तुम अपने डींग मारने पर घमंड करते हो; ऐसा सब घमंड बुरा है।


वे घमंड की व्यर्थ बातें बोलने और शारीरिक अभिलाषाओं और लुचपन के द्वारा उन लोगों को फँसा लेते हैं जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं।


ये कुड़कुड़ानेवाले हैं, जो दोष ढूँढ़ते और अपनी लालसाओं के अनुसार चलते हैं। वे अपने मुँह से घमंड भरी बातें बोलते और लाभ के लिए चापलूसी करते हैं।


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