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यूहन्ना 14:17 - नवीन हिंदी बाइबल

17 अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न तो उसे देखता और न ही जानता है। तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और वह तुममें होगा।

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पवित्र बाइबल

17 यानी सत्य का आत्मा जिसे जगत ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि वह उसे न तो देखता है और न ही उसे जानता है। तुम लोग उसे जानते हो क्योंकि वह आज तुम्हारे साथ रहता है और भविष्य में तुम में रहेगा।

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Hindi Holy Bible

17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 वह सत्‍य का आत्‍मा है, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह उसे न तो देखता है और न जानता है। तुम उसे जानते हो, क्‍योंकि वह तुम्‍हारे साथ रहता है और तुम में रहेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है; तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

17 सच का आत्मा, जिन्हें संसार ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि संसार न तो उन्हें देखता है और न ही उन्हें जानता है. तुम उन्हें जानते हो क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहते हैं, और वह तुममें रहेंगे.

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यूहन्ना 14:17
30 क्रॉस रेफरेंस  

मन अपने दुःख को स्वयं जानता है, और कोई पराया उसके आनंद में सहभागी नहीं होता।


क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं, बल्कि तुम्हारे पिता का आत्मा है जो तुममें बोलता है।


और मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक अन्य सहायक देगा कि वह सदा तुम्हारे साथ रहे,


इस पर यीशु ने उससे कहा,“यदि कोई मुझसे प्रेम रखता है तो वह मेरे वचन का पालन करेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएँगे और उसके साथ वास करेंगे।


“जब वह सहायक आएगा जिसे मैं पिता की ओर से तुम्हारे पास भेजूँगा, अर्थात् सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से आता है, तब वह मेरे विषय में साक्षी देगा;


परंतु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो संपूर्ण सत्य में तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से कुछ नहीं कहेगा, बल्कि जो कुछ सुनेगा वही कहेगा और आनेवाली बातों को तुम पर प्रकट करेगा।


क्योंकि मेरे पिताकी इच्छा यह है कि जो कोई पुत्र को देखे और उस पर विश्‍वास करे, वह अनंत जीवन पाए, और मैं उसे अंतिम दिन में जिला उठाऊँगा।”


फिर क्या करना चाहिए? मैं आत्मा में प्रार्थना करूँगा, और बुद्धि से भी प्रार्थना करूँगा; मैं आत्मा से गाऊँगा, और बुद्धि से भी गाऊँगा।


परंतु शारीरिक मनुष्य परमेश्‍वर के आत्मा की बातों को ग्रहण नहीं करता, क्योंकि उसके लिए वह मूर्खता है; वह उन्हें जान नहीं सकता, क्योंकि वे आत्मिक रूप से परखी जाती हैं।


क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्‍वर का मंदिर हो और परमेश्‍वर का आत्मा तुममें वास करता है?


क्या तुम यह नहीं जानते कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मंदिर है जो तुममें है, और परमेश्‍वर की ओर से तुम्हें मिला है? और तुम अपने नहीं हो,


अपने आपको परखो कि तुम विश्‍वास में हो या नहीं। अपने आपको जाँचो! या क्या तुम अपने विषय में नहीं जानते कि यीशु मसीह तुममें है? यदि नहीं तो तुम निकम्मे हो।


और मूर्तियों के साथ परमेश्‍वर के मंदिर की क्या सहमति? क्योंकि हम तो जीवित परमेश्‍वर का मंदिर हैं; जैसा कि परमेश्‍वर ने कहा है : मैं उनमें वास करूँगा और उनके मध्य चला-फिरा करूँगा। मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा, और वे मेरे लोग होंगे।


क्योंकि तुम पुत्र हो, इसलिए परमेश्‍वर ने अपने पुत्र के आत्मा को हमारे हृदयों में भेजा है जो “हे अब्बा, हे पिता” कहकर पुकारता है।


जिसमें तुम भी आत्मा में परमेश्‍वर के निवासस्थान होने के लिए एक साथ बनाए जाते हो।


और विश्‍वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदयों में वास करे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नींव डालकर


परमेश्‍वर चाहता था कि वे जानें कि गैरयहूदियों में उस भेद की महिमा का धन क्या है; वह भेद यह है कि मसीह जो महिमा की आशा है, तुममें है।


पवित्र आत्मा के द्वारा, जो हममें वास करता है, उस अच्छी धरोहर की रखवाली कर।


परंतु जहाँ तक तुम्हारा संबंध है, जो अभिषेक तुमने उससे प्राप्‍त किया वह तुममें बना रहता है, इसलिए आवश्यकता नहीं कि कोई तुम्हें सिखाए। वह अभिषेक सब बातों के विषय में तुम्हें सिखाता है, और वह सत्य है और झूठ नहीं, इसलिए जैसे उसने तुम्हें सिखाया है, उसमें बने रहो।


जो उसकी आज्ञाओं का पालन करता है वह परमेश्‍वर में बना रहता है और परमेश्‍वर उसमें; और जो आत्मा उसने हमें दिया है उसी के द्वारा हम जान जाते हैं कि वह हममें बना रहता है।


बच्‍चो, तुम परमेश्‍वर के हो और तुमने झूठे भविष्यवक्‍ताओं पर जय पाई है, क्योंकि जो तुममें है वह उससे जो संसार में है, कहीं अधिक बढ़कर है।


हम परमेश्‍वर के हैं। जो परमेश्‍वर को जानता है वह हमारी सुनता है, जो परमेश्‍वर का नहीं है वह हमारी नहीं सुनता। इसी से हम सत्य के आत्मा और भ्रम की आत्मा को जान लेते हैं।


जो साक्षी देते हैं तीन हैं,


“जिसके पास कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है : जो जय पाए उसे मैं गुप्‍त मन्‍ना में से दूँगा, और उसे एक श्‍वेत पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम लिखा हुआ होगा, जिसे उसके प्राप्‍त करनेवाले को छोड़ और कोई न जान पाएगा।


हमारे पर का पालन करें:

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