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ऑनलाइन बाइबिल

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याकूब 1:18 - नवीन हिंदी बाइबल

18 उसने अपनी इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्‍न‍ किया कि हम उसकी सृष्‍टि में से मानो प्रथम फल हों।

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पवित्र बाइबल

18 सत्य के सुसंदेश के द्वारा अपनी संतान बनाने के लिए उसने हमें चुना। ताकि हम सभी प्राणियों के बीच उसकी फ़सल के पहले फल सिद्ध हों।

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Hindi Holy Bible

18 उस ने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 उसने अपनी ही इच्‍छा से सत्‍य के वचन द्वारा हम को जीवन प्रदान किया है, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्‍टि के प्रथम फल बनें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उसकी सृष्‍टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 उन्होंने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हमें सत्य के वचन के द्वारा नया जीवन दिया है कि हम उनके द्वारा बनाए गए प्राणियों में पहले फल के समान हों.

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याकूब 1:18
24 क्रॉस रेफरेंस  

तुमने नाशवान नहीं बल्कि अविनाशी बीज से, अर्थात् परमेश्‍वर के जीवित और अटल रहनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म प्राप्‍त किया है;


वे न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से और न ही मनुष्य की इच्छा से, परंतु परमेश्‍वर से उत्पन्‍न‍ हुए हैं।


धन्य है परमेश्‍वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता, जिसने यीशु मसीह के मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा अपनी महान दया के अनुसार हमें जीवित आशा में नया जन्म दिया है,


ये वे हैं जो स्‍त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, और कुँवारे हैं। ये वे हैं, जो मेमने के पीछे-पीछे जहाँ कहीं वह जाता है चलते हैं। ये परमेश्‍वर और मेमने के लिए प्रथम फल के रूप में मनुष्यों में से छुड़ा लिए गए हैं।


ताकि हम, जिन्होंने पहले से मसीह पर आशा रखी है, उसकी महिमा की स्तुति का कारण बनें।


प्रत्येक जो परमेश्‍वर से उत्पन्‍न‍ हुआ है वह पाप नहीं करता, क्योंकि परमेश्‍वर का बीज उसमें बना रहता है; और वह पाप में नहीं चल सकता, क्योंकि वह परमेश्‍वर से उत्पन्‍न‍ हुआ है।


और पहलौठों की महासभा तथा कलीसिया के पास जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हैं, और सब के न्यायी परमेश्‍वर, और सिद्ध किए हुए धर्मी लोगों की आत्माओं के पास,


इसलिए सारी मलिनता और समस्त बुराई को छोड़कर उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो जो तुममें रोपा गया है और तुम्हारे प्राणों को बचा सकता है।


यदि मसीह में तुम्हारे शिक्षक दस हज़ार भी हों, फिर भी अनेक पिता तो नहीं, क्योंकि सुसमाचार के द्वारा मसीह यीशु में मैं तुम्हारा पिता बना।


(जैसा लिखा है : मैंने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है), उस परमेश्‍वर की दृष्‍टि में जिस पर उसने विश्‍वास किया जो मृतकों को जीवन देता है और जो वस्तुएँ हैं ही नहीं उनका नाम ऐसे लेता है मानो वे हैं।


“इस्राएलियों से कह : जब तुम उस देश में प्रवेश करो जो मैं तुम्हें देता हूँ और उसकी फसल काटो, तब अपनी फसल का पहला पूला याजक के पास लाना;


सत्य के वचन से, परमेश्‍वर के सामर्थ्य से, और धार्मिकता के हथियारों को दाहिने और बाएँ हाथों में लेकर,


उसी में जब तुमने सत्य का वचन अर्थात् अपने उद्धार का सुसमाचार सुना और उस पर विश्‍वास भी किया, तो तुम पर प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की मुहर लगी,


अपने आपको परमेश्‍वर की दृष्‍टि में ग्रहणयोग्य और ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्‍न कर, जिसे लज्‍जित होना न पड़े और जो सत्य के वचन को भली-भाँति काम में लाता हो।


फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जन्म देती है, और पाप बढ़कर मृत्यु को उत्पन्‍न‍ करता है।


परंतु यदि तुम्हारे मन में कटु ईर्ष्या और स्वार्थ भरा है, तो घमंड न करो और न ही सत्य के विरोध में झूठ बोलो।


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