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याकूब 1:11 - नवीन हिंदी बाइबल

11 सूर्य तपती धूप के साथ उदय होकर घास को सुखा देता है, उसका फूल झड़ जाता है और उसका सुंदर रूप नष्‍ट हो जाता है; इसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते-चलते धूल में मिल जाएगा।

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पवित्र बाइबल

11 सूरज कड़कड़ाती धूप लिए उगता है और पौधों को सुखा डालता है। उनकी फूल पत्तियाँ झड़ जाती हैं और सुन्दरता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार धनी व्यक्ति भी अपनी भाग दौड़ के साथ समाप्त हो जाता है।

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Hindi Holy Bible

11 क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 जब सूर्य उगता है और लू चलने लगती है, तो घास मुरझाती है, फूल झड़ता है और उसकी कान्‍ति नष्‍ट हो जाती है। इसी तरह धनी और उसका पूरा व्‍यापार समाप्‍त हो जायेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है और उसकी शोभा जाती रहती है। इसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते–चलते धूल में मिल जाएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 सूर्य की तेज गर्मी से घास मुरझा जाती है और उसमें खिला फूल झड़ जाता है. उसकी सुंदरता नाश हो जाती है. इसी प्रकार धनी व्यक्ति अपनी उपलब्धियों के साथ साथ धूल में मिट जाएगा.

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याकूब 1:11
27 क्रॉस रेफरेंस  

जब सूर्य उदय हुआ तो वे झुलस गए और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गए।


परंतु सूर्य उदय होने पर वे झुलस गए और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गए।


जब प्रधान चरवाहा प्रकट होगा, तब तुम महिमा के उस मुकुट को प्राप्‍त करोगे जो कभी नहीं मुरझाएगा।


कि हम उस उत्तराधिकार को प्राप्‍त करें जो अविनाशी, निष्कलंक और अमिट है और तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखा गया है।


और संसार का उपयोग करनेवाले ऐसे हों जैसे उसमें लिप्‍त नहीं; क्योंकि इस संसार का स्वरूप बदलता जाता है।


मेरा मन घास के समान झुलसकर सूख गया है, यहाँ तक कि मैं अपनी रोटी खाना भी भूल जाता हूँ।


जैसे वह अपनी माँ के गर्भ से नंगा आया था, वैसे ही नंगा लौट जाएगा। वह अपने परिश्रम के फल में से कुछ भी अपने साथ नहीं ले जा सकेगा।


मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं घास के समान सूख जाता हूँ।


क्योंकि वे घास के समान शीघ्र ही सूख जाएँगे, और हरे पौधों के समान मुरझा जाएँगे।


निश्‍चय हर मनुष्य छाया के समान चलता-फिरता है; सचमुच लोग व्यर्थ ही घबराते हैं। मनुष्य धन का संचय तो करता है पर नहीं जानता कि उसे कौन लेगा।


जो भोर को फूलती और बढ़ती है, और साँझ तक मुरझाकर सूख जाती है।


मनुष्य की आयु घास के समान होती है; वह मैदान के फूल के समान फूलता है,


यदि परमेश्‍वर मैदान की घास को, जो आज है और कल भट्ठी में झोंकी जाएगी, ऐसे वस्‍त्र पहनाता है, तो हे अल्पविश्‍वासियो, क्या वह तुम्हें इससे बढ़कर नहीं पहनाएगा?


‘अंत में आनेवालों ने तो एक ही घंटा कार्य किया, फिर भी तूने उन्हें हमारे बराबर कर दिया जिन्होंने दिन भर के बोझ और गर्मी को सहा।’


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