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मरकुस 7:22 - नवीन हिंदी बाइबल

22 परस्‍त्रीगमन, लोभ, दुष्‍टता, छल, कामुकता, कुदृष्‍टि, निंदा, अहंकार और मूर्खता निकलती हैं।

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पवित्र बाइबल

22 व्यभिचार, लालच, दुष्टता, छल-कपट, अभद्रता, ईर्ष्या, चुगलखोरी, अहंकार और मूर्खता बाहर आते हैं।

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Hindi Holy Bible

22 चोरी, हत्या, पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 परस्‍त्री-गमन, लोभ, विद्वेष, छल-कपट, लम्‍पटता, ईष्‍र्या, झूठी निन्‍दा, अहंकार और धर्महीनता−

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 लोभ, दुष्‍टता, छल, लुचपन, कुदृष्‍टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 लोभ, दुराचारिता, छल-कपट, कामुकता, जलन, निंदा, अहंकार तथा मूर्खता की ओर लगा देते हैं.

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मरकुस 7:22
26 क्रॉस रेफरेंस  

क्या यह उचित नहीं कि मैं अपनी वस्तुओं के साथ जैसा चाहता हूँ वैसा करूँ? क्या मेरा भला होना तेरी आँख में खटकता है?’


इसी प्रकार, हे जवानो, तुम भी प्रवरों के अधीन रहो। तुम सब एक दूसरे के प्रति दीनता को धारण कर लो, क्योंकि परमेश्‍वर अभिमानियों का विरोध करता है, परंतु दीनों पर अनुग्रह करता है।


क्योंकि परमेश्‍वर की इच्छा यह है कि तुम भले कार्य करने के द्वारा अज्ञानता की बातें बोलनेवाले मूर्ख मनुष्यों का मुँह बंद कर दो।


और परमेश्‍वर के ज्ञान के विरुद्ध उठनेवाले तर्क-वितर्कों और प्रत्येक ऊँची बात का खंडन करते हैं, और प्रत्येक विचार को बंदी बनाकर मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं;


परंतु यदि तेरी आँख बुरी हो, तो तेरी सारी देह भी अंधकारमय होगी। इसलिए यदि तेरे भीतर की ज्योति ही अंधकार हो, तो वह अंधकार कितना अधिक होगा।


मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि और समझ को जानूँ, उनकी छान-बीन करूँ और उन्हें खोजूँ; और यह भी जानूँ कि मूर्खता की बुराई और पागलपन की मूर्खता क्या है।


लोभी मनुष्य धन के पीछे भागता है, और यह नहीं जानता कि कंगाली उस पर आ पड़ेगी।


चाहे तू मूर्ख को ओखली में डालकर अनाज के साथ मूसल से कूटे, फिर भी उसकी मूर्खता उससे दूर नहीं होगी।


मूर्खतापूर्ण योजना बनाना पाप है, और ठट्ठा करनेवाले से लोग घृणा करते हैं।


कंजूस मनुष्य की रोटी न खाना, और न उसके स्वादिष्‍ट भोजन की लालसा करना;


बच्‍‍चे के मन में मूर्खता की गाँठ बंधी रहती है; अनुशासन की छड़ी के द्वारा वह उससे दूर की जाती है।


समझदार मनुष्य ज्ञान को छिपाए रखता है, परंतु मूर्ख अपने मन की मूर्खता का प्रदर्शन करता है।


दुष्‍ट अपने अभिमान के कारण परमेश्‍वर को नहीं खोजता; वह सोचता है कि कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।


मेरे मन को अनुचित लाभ की ओर नहीं, बल्कि अपनी नीतियों की ओर फेर दे।


क्योंकि भीतर, अर्थात् मनुष्य के मन से बुरे-बुरे विचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या,


ये सब बुरी बातें भीतर से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं।”


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