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मत्ती 6:28 - नवीन हिंदी बाइबल

28 फिर वस्‍त्र के विषय में तुम क्यों चिंता करते हो? जंगली सौसन के फूलों पर ध्यान दो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते हैं और न ही कातते हैं;

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पवित्र बाइबल

28 “और तुम अपने वस्त्रों की क्यों सोचते हो? सोचो जंगल के फूलों की वे कैसे खिलते हैं। वे न कोई काम करते हैं और न अपने लिए कपड़े बनाते हैं।

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Hindi Holy Bible

28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

28 और कपड़ों की चिन्‍ता क्‍यों करते हो? खेत के फूलों से सीखो। वे कैसे बढ़ते हैं! वे न तो श्रम करते हैं और न कातते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

28 “और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते, न कातते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

28 “और वस्त्र तुम्हारी चिंता का विषय क्यों? मैदान के फूलों का ध्यान तो करो कि वे कैसे खिलते हैं. वे न तो परिश्रम करते हैं और न ही वस्त्र निर्माण.

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मत्ती 6:28
13 क्रॉस रेफरेंस  

यात्रा के लिए न थैला, न दो कुरते, न जूते और न ही लाठी लेना; क्योंकि मज़दूर को उसका भोजन मिलना चाहिए।


“इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने प्राण के लिए चिंता मत करो कि क्या खाएँगे या क्या पीएँगे, और न ही अपनी देह के लिए कि क्या पहनेंगे; क्या प्राण भोजन से और देह वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?


तुममें से कौन है जो चिंता करके अपनी आयु में एक घड़ीभी बढ़ा सकता है?


इसलिए यह कहकर चिंता न करो, ‘हम क्या खाएँगे?’ या ‘क्या पीएँगे?’ या फिर ‘क्या पहनेंगे?’


इस पर प्रभु ने उससे कहा,“मार्था, मार्था, तू बहुत सी बातों की चिंता करती है और घबरा जाती है,


“जब लोग तुम्हें आराधनालयों, शासकों और अधिकारियों के सामने ले जाएँ, तो तुम चिंता न करना कि अपने बचाव में कैसे और क्या उत्तर दोगे या क्या कहोगे;


फिर उसने अपने शिष्यों से कहा :“इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने प्राण के लिए चिंता मत करो कि क्या खाएँगे, और न ही अपनी देह के लिए कि क्या पहनेंगे।


सौसन के फूलों पर ध्यान दो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो परिश्रम करते हैं और न ही कातते हैं; परंतु मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलैमान भी अपने सारे वैभव में उनमें से किसी के समान वस्‍त्र पहने हुए नहीं था।


उसने उन्हें उत्तर दिया, “जिसके पास दो कुरते हों वह उसके साथ बाँट ले जिसके पास नहीं है, और जिसके पास भोजन हो वह भी ऐसा ही करे।”


किसी भी बात की चिंता मत करो, बल्कि प्रत्येक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सामने प्रस्तुत किए जाएँ।


अपनी सारी चिंता उसी पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारा ध्यान रखता है।


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