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मत्ती 13:22 - नवीन हिंदी बाइबल

22 कँटीली झाड़ियों में बोया गया बीज वह है, जो वचन सुनता है परंतु संसार की चिंता और धन का धोखा उस वचन को दबा देता है, और वह बिना फल के ही रह जाता है।

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पवित्र बाइबल

22 “काँटों में गिरे बीज का अर्थ है, वह व्यक्ति जो सुसंदेश को सुनता तो है, पर संसार की चिंताएँ और धन का लोभ सुसंदेश को दबा देता है और वह व्यक्ति सफल नहीं हो पाता।

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Hindi Holy Bible

22 जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

22 जो काँटों में बोया गया है : यह वह है, जो वचन सुनता है; परन्‍तु संसार की चिन्‍ता और धन का मोह वचन को दबा देता है और वह फल नहीं लाता।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

22 जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता।

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सरल हिन्दी बाइबल

22 वह भूमि, जहां बीज कंटीली झाड़ियों के बीच गिरा, वह व्यक्ति है जो संदेश को सुनता तो है किंतु संसार की चिंताएं तथा सम्पन्‍नता का छलावा संदेश को दबा देते हैं और वह बिना फल के रह जाता है.

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मत्ती 13:22
42 क्रॉस रेफरेंस  

“देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्‍वर को अपना शरणस्थान नहीं माना, बल्कि अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखा, और अपनी दुष्‍टता में बढ़ता चला गया।”


अंधेर करने पर भरोसा मत रखो, न लूट-मार करने पर व्यर्थ आशा रखो। चाहे धन-संपत्ति बढ़े, फिर भी उस पर मन न लगाना।


अपने धन पर भरोसा रखनेवाले का पतन हो जाता है, परंतु धर्मी लोग हरे पत्तों के समान लहलहाते रहते हैं।


क्या तू अपनी दृष्‍टि ऐसी वस्तु पर लगाएगा जो लुप्‍त हो जाती है? क्योंकि धन तो निश्‍चय ही पंख लगाकर उकाब के समान आकाश में उड़ जाता है।


एक व्यक्‍ति है जिसका कोई नहीं है; उसका न तो कोई पुत्र है और न भाई, फिर भी उसके परिश्रम का अंत नहीं होता; और उसकी आँखें धन से संतुष्‍ट नहीं होतीं; और न वह यह सोचता है कि मैं किसके लिए परिश्रम करता हूँ और क्यों अपने को सुख से वंचित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और दुःखद कार्य है।


जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरुद्ध कोई बात कहेगा, उसका अपराध क्षमा किया जाएगा, परंतु जो कोई पवित्र आत्मा के विरुद्ध कहेगा, उसका अपराध न तो इस युग में और न ही आने वाले युग में क्षमा किया जाएगा।


और उन्हें बोनेवाला शत्रु शैतान है; तथा कटनी जगत का अंत है और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं।


इसलिए जैसे जंगली पौधों को बटोरकर आग में जलाया जाता है, वैसे ही जगत के अंत में होगा;


कुछ बीज कँटीली झाड़ियों में गिरे और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा दिया।


फिर उसने उनसे कहा,“ध्यान दो, हर प्रकार के लोभ से बचे रहो, क्योंकि किसी का जीवन उसकी संपत्ति के अधिक होने पर निर्भर नहीं होता।”


जो अपने लिए धन बटोरता है वह ऐसा ही है और परमेश्‍वर के सामने धनी नहीं।”


“तुम अपने विषय में सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे मन दुराचार, मतवालेपन और जीवन की चिंताओं के भार से दब जाएँ, और वह दिन अचानक फंदे के समान तुम पर आ पड़े।


कँटीली झाड़ियों में गिरनेवाले बीज वे हैं, जो सुनते तो हैं, परंतु आगे चलकर चिंताओं, धन और जीवन की लालसाओं से दब जाते हैं, और उनका फल नहीं पकता।


जब शमौन ने देखा कि प्रेरितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो वह उनके पास रुपए लाया और कहा,


इस संसार के सदृश्य न बनो, बल्कि अपने मन के नए हो जाने के द्वारा तुम परिवर्तित होते जाओ, जिससे तुम परमेश्‍वर की इच्छा को पहचान सको, जो भली, ग्रहणयोग्य और सिद्ध है।


कहाँ है ज्ञानवान? कहाँ है शास्‍त्री? कहाँ है इस युग का विवादी? क्या परमेश्‍वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?


फिर भी परिपक्‍व लोगों के बीच हम ज्ञान की बातें बताते हैं, परंतु यह ज्ञान इस युग का नहीं और न ही इस युग के शासकों का है जो मिटने वाले हैं;


इस युग के शासकों में से किसी ने इस ज्ञान को नहीं जाना, क्योंकि यदि वे जानते तो महिमा के प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।


कोई अपने आपको धोखा न दे। यदि तुममें से कोई इस संसार में अपने आपको बुद्धिमान समझता है तो वह मूर्ख बने कि बुद्धिमान बन जाए;


और इस संसार के ईश्‍वर ने उन अविश्‍वासियों की बुद्धि को अंधा कर दिया है ताकि परमेश्‍वर के प्रतिरूप अर्थात् मसीह के तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।


जिसने हमारे परमेश्‍वर और पिता की इच्छा के अनुसार अपने आपको हमारे पापों के लिए दे दिया कि हमें इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ा ले।


जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति के अनुसार अर्थात् आकाश पर अधिकार रखनेवाले उस शासक के अनुसार चलते थे, जिसकी आत्मा अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य करती है।


इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे कि वे अहंकारी न बनें और अनिश्‍चित धन पर नहीं बल्कि परमेश्‍वर पर आशा रखें जो हमारे आनंद के लिए सब कुछ बहुतायत से देता है।


क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय समझकर मुझे छोड़ दिया और थिस्सलुनीके को चला गया है। क्रेसकेंस गलातिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है।


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