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मत्ती 13:15 - नवीन हिंदी बाइबल

15 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है; वे कानों से सुनना नहीं चाहते और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली हैं। कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें और कानों से सुनें, मन से समझें तथा फिरें, और मैं उन्हें स्वस्थ करूँ।

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पवित्र बाइबल

15 क्योंकि इनके हृदय जड़ता से भर गये। इन्होंने अपने कान बन्द कर रखे हैं और अपनी आखें मूँद रखी हैं ताकि वे अपनी आँखों से कुछ भी न देखें और वे कान से कुछ न सुन पायें या कि अपने हृदय से कभी न समझें और कभी मेरी ओर मुड़कर आयें और जिससे मैं उनका उद्धार करुँ।’

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Hindi Holy Bible

15 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है, और वे कानों से ऊंचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आंखें मूंद लीं हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएं, और मैं उन्हें चंगा करूं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 क्‍योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गयी है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं; इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं; जिससे कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ। ’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है, और वे कानों से ऊँचा सुनते हैं और उन्होंने अपनी आँखें मूंद ली हैं; कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, और कानों से सुनें और मन से समझें, और फिर जाएँ, और मैं उन्हें चंगा करूँ।’

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सरल हिन्दी बाइबल

15 क्योंकि इन लोगों का मन-मस्तिष्क मंद पड़ चुका है. वे अपने कानों से ऊंचा ही सुना करते हैं. उन्होंने अपनी आंखें मूंद रखी हैं कि कहीं वे अपनी आंखों से देखने न लगें, कानों से सुनने न लगें तथा अपने हृदय से समझने न लगें और मेरी ओर फिर जाएं कि मैं उन्हें स्वस्थ कर दूं.’

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मत्ती 13:15
25 क्रॉस रेफरेंस  

उनका मन मोटा हो गया है, परंतु मैं तेरी व्यवस्था में मगन रहूँगा।


जो आँखों से इशारा करता है, वह कुटिल योजनाएँ बनाता है; और जो अपने होंठ दबाता है, वह बुराई करता है।


जिससे कि वे देखते हुए देखें परंतु उन्हें न सूझे, और सुनते हुए सुनें परंतु न समझें; कहीं ऐसा न हो कि वे फिरें औरक्षमा किए जाएँ।”


और कहा,“भला होता यदि तूने, हाँ तूने भी आज ही शांति की बातों को जाना होता, परंतु अभी तो यह तेरी आँखों से छिपी हुई है।


क्योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है; वे कानों से सुनना नहीं चाहते और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली हैं। कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें और कानों से सुनें, मन से समझें तथा फिरें, और मैं उन्हें स्वस्थ करूँ।’


इसलिए पश्‍चात्ताप करो और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ,


परंतु उन्होंने ऊँची आवाज़ से चिल्‍लाकर अपने कान बंद कर लिए, और एक साथ उस पर झपटे,


वे अपने कान सत्य से फेरकर कल्पित कथाओं पर लगाएँगे।


इस विषय में हमारे पास कहने के लिए बहुत कुछ है, जिसे समझाना कठिन है, क्योंकि तुम ऊँचा सुनने लगे हो।


वह सड़क के बीचों-बीच बहती थी। नदी के इस ओर और उस ओर जीवन का वृक्ष था, जिसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था, और उस वृक्ष की पत्तियों से जाति-जाति के लोग स्वस्थ होते थे।


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