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भजन संहिता 53:1 - नवीन हिंदी बाइबल

1 मूर्ख अपने मन में कहता है, “परमेश्‍वर है ही नहीं।” वे भ्रष्‍ट हैं, और अधर्म के घृणित कार्य करते हैं। ऐसा कोई नहीं जो भलाई करता हो।

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पवित्र बाइबल

1 बस एक मूर्ख ही ऐसे सोचता है कि परमेश्वर नहीं होता। ऐसे मनुष्य भ्रष्ट, दुष्ट, द्वेषपूर्ण होते हैं। वे कोई अच्छा काम नहीं करते।

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Hindi Holy Bible

1 मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 मूर्ख अपने हृदय में यह कहते हैं: “परमेश्‍वर है ही नहीं।” वे भ्रष्‍ट हो गए हैं, वे अन्‍याय के घृणास्‍पद कार्य करते हैं; ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 मूढ़ ने अपने मन में कहा, “कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।” वे बिगड़ गए, उन्होंने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।

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सरल हिन्दी बाइबल

1 मूर्ख मन ही मन में कहते हैं, “परमेश्वर है ही नहीं.” वे सभी भ्रष्‍ट हैं और उनकी जीवनशैली घिनौनी है; ऐसा कोई भी नहीं, जो भलाई करता हो.

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भजन संहिता 53:1
24 क्रॉस रेफरेंस  

दुष्‍ट अपने अभिमान के कारण परमेश्‍वर को नहीं खोजता; वह सोचता है कि कोई परमेश्‍वर है ही नहीं।


जब उन्होंने परमेश्‍वर को पहचानना न चाहा, तब परमेश्‍वर ने उन्हें उनके भ्रष्‍ट मन के वश में छोड़ दिया कि वे अनुचित कार्य करें।


परंतु परमेश्‍वर ने उससे कहा, ‘हे मूर्ख! इसी रात तेरा प्राण तुझसे ले लिया जाएगा; अब तूने जो तैयारी की है, वह किसकी होगी?’


क्योंकि तुमने पहले ही बहुत समय गैरयहूदियों की इच्छा के अनुसार काम करने, कामुकता, लालसाओं, मतवालेपन, रंगरेलियों, पियक्‍कड़पन और घृणित मूर्तिपूजा में पड़कर गँवा दिया है।


क्योंकि जो कार्य वे गुप्‍त में करते हैं उनकी चर्चा करना भी लज्‍जा की बात है।


परंतु मैं तुमसे कहता हूँ कि प्रत्येक जो अपने भाई परक्रोध करता है वह दंड के योग्य होगा; और जो कोई अपने भाई को ‘निकम्मा’ कहेगा, वह महासभा में दंड के योग्य होगा; और जो कोई ‘मूर्ख’ कहेगा, वह नरक की आग के योग्य ठहरेगा।


दुष्‍ट व्यक्‍ति परमेश्‍वर को क्यों तुच्छ जानता है? वह अपने मन में कहता है, “तू लेखा नहीं लेगा।”


दुष्‍ट अपने मन में कहता है, “परमेश्‍वर भूल गया है, उसने अपना मुँह छिपा रखा है; वह कभी नहीं देखेगा।”


वह अपने मन में कहता है, “मैं कभी न टलूँगा : पीढ़ी से पीढ़ी तक मुझ पर कोई विपत्ति न पड़ेगी।”


क्योंकि परमेश्‍वर को जानने पर भी उन्होंने न तो परमेश्‍वर के योग्य उसकी महिमा की और न ही उसका धन्यवाद किया, बल्कि वे अपने विचारों में निरर्थक हो गए और उनका नासमझ मन अंधकारमय हो गया।


पशु समान मनुष्य इसे नहीं जानता, और मूर्ख इसे नहीं समझता :


हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर यहोवा, मैं दिन और रात तेरी दुहाई देता हूँ।


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