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भजन संहिता 39:6 - नवीन हिंदी बाइबल

6 निश्‍चय हर मनुष्य छाया के समान चलता-फिरता है; सचमुच लोग व्यर्थ ही घबराते हैं। मनुष्य धन का संचय तो करता है पर नहीं जानता कि उसे कौन लेगा।

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पवित्र बाइबल

6 वह जीवन जिसको हम लोग जीते हैं, वह झूठी छाया भर होता है। जीवन की सारी भाग दौड़ निरर्थक होती है। हम तो बस व्यर्थ ही चिन्ताएँ पालते हैं। धन दौलत, वस्तुएँ हम जोड़ते रहते हैं, किन्तु नहीं जानते उन्हें कौन भोगेगा।

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Hindi Holy Bible

6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 निस्‍सन्‍देह मनुष्‍य छाया जैसा चलता-फिरता प्राणी है। निस्‍सन्‍देह वह व्‍यर्थ ही उत्तोजित है; मनुष्‍य धन का ढेर तो लगाता है, पर नहीं जानता कि कौन उसे भोगेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!

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सरल हिन्दी बाइबल

6 “एक छाया के समान, जो चलती-फिरती रहती है; उसकी सारी भाग दौड़ निरर्थक ही होती है. वह धन संचित करता जाता है, किंतु उसे यह ज्ञात ही नहीं होता, कि उसका उपभोग कौन करेगा.

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भजन संहिता 39:6
31 क्रॉस रेफरेंस  

तुम्हारा सवेरे-सवेरे उठना, देर तक जागते रहना और परिश्रम की रोटी खाना, तुम्हारे लिए व्यर्थ है; क्योंकि वह तो अपने प्रियों को नींद प्रदान करता है।


मनुष्य तो श्‍वास के समान है, उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।


ऐसा कौन मनुष्य है जो सदा जीवित रहे, और मृत्यु को न देखे? क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? सेला।


भला मनुष्य अपने नाती-पोतों के लिए धन-संपत्ति छोड़ जाता है, परंतु पापी की संपत्ति धर्मी के लिए रखी जाती है।


क्या तू अपनी दृष्‍टि ऐसी वस्तु पर लगाएगा जो लुप्‍त हो जाती है? क्योंकि धन तो निश्‍चय ही पंख लगाकर उकाब के समान आकाश में उड़ जाता है।


धन-संपत्ति तो सदा नहीं रहती, और न ही राजमुकुट पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहता है।


मैंने उन सब कार्यों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो, वे सब व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान हैं।


अपने मन से दुःख और अपनी देह से कष्‍ट को दूर कर, क्योंकि लड़कपन और जवानी दोनों क्षणभंगुर हैं।


जब सब कुछ सुन लिया गया है तो निष्कर्ष यह है : परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर, क्योंकि यही मनुष्य का संपूर्ण कर्त्तव्य है।


उपदेशक कहता है, “व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है!”


जिस मनुष्य से वह प्रसन्‍न होता है, उसे वह बुद्धि, ज्ञान और आनंद प्रदान करता है; परंतु पापी को वह धन का संचय करने और उसका ढेर लगाने का कार्य देता है कि उसे उस मनुष्य को दे जो परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करता है। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान है।


मैंने अपने लिए सोना-चाँदी तथा राजाओं और प्रांतों की संपत्ति का भी संचय किया। मैंने अपने लिए गायक-गायिकाएँ और बहुत सी रखैलियाँ भी रख लीं जिनसे पुरुष सुख पाते हैं।


वह धन किसी विपत्ति में नष्‍ट हो जाता है, और उसके घर पुत्र उत्पन्‍न होता है परंतु उसके हाथ में कुछ नहीं होता।


इसलिए यदि तुम सब से छोटा कार्य भी नहीं कर सकते, तो अन्य बातों की चिंता क्यों करते हो?


इसलिए तुम इसकी खोज में मत रहो कि क्या खाएँगे और क्या पीएँगे, और न ही संदेह करो;


और संसार का उपयोग करनेवाले ऐसे हों जैसे उसमें लिप्‍त नहीं; क्योंकि इस संसार का स्वरूप बदलता जाता है।


तुम यह भी नहीं जानते कि कल तुम्हारे जीवन का क्या होगा—क्योंकि तुम तो भाप के समान हो जो थोड़ी देर दिखाई देती है, और फिर लुप्‍त हो जाती है—


तुम्हारे सोने और चाँदी पर जंग लग गया है, और उनका जंग तुम्हारे विरुद्ध साक्षी देगा और तुम्हारे शरीर को आग के समान खा जाएगा। तुमने अंतिम दिनों में धन इकट्ठा किया है।


क्योंकि प्रत्येक प्राणी घास के समान है, और उसका सारा वैभव घास के फूल के समान है। घास सूख जाती, और फूल झड़ जाता है,


अपनी सारी चिंता उसी पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारा ध्यान रखता है।


हमारे पर का पालन करें:

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