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प्रेरितों के काम 25:25 - नवीन हिंदी बाइबल

25 परंतु मैंने जान लिया कि इसने मृत्युदंड के योग्य कोई कार्य नहीं किया, और अब जबकि इसने स्वयं ही महाराजाधिराज से अपील की है तो मैंने उसे भेजने का निर्णय किया है।

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पवित्र बाइबल

25 किन्तु मैंने जाँच लिया है कि इसने ऐसा कुछ नहीं किया है कि इसे मृत्युदण्ड दिया जाये। क्योंकि इसने स्वयं सम्राट से पुनर्विचार की प्रार्थना की है इसलिये मैंने इसे वहाँ भेजने का निर्णय लिया है।

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Hindi Holy Bible

25 परन्तु मैं ने जान लिया, कि उस ने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जब कि उस ने आप ही महाराजाधिराज की दोहाई दी, तो मैं ने उसे भेजने का उपाय निकाला।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

25 किन्‍तु मैंने इस में प्राणदण्‍ड के योग्‍य कोई अपराध नहीं पाया और जब इसने महाराजाधिराज की दुहाई दी, तो मैंने इसे भेजने का निश्‍चय किया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

25 परन्तु मैं ने जान लिया कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जबकि उसने आप ही महाराजाधिराज की दोहाई दी, तो मैं ने उसे भेजने का निर्णय किया।

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सरल हिन्दी बाइबल

25 किंतु अपनी जांच में मैंने इसमें ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए और अब, जब उसने स्वयं सम्राट के न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है, मैंने उसे रोम भेज देने का निश्चय किया है.

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प्रेरितों के काम 25:25
11 क्रॉस रेफरेंस  

“तुम इस मनुष्य को लोगों का भड़कानेवाला कहकर मेरे पास लाए हो, परंतु देखो, जब मैंने तुम्हारे सामने इसकी जाँच की तो जिन बातों का आरोप तुम इस पर लगाते हो, उनके विषय में मैंने इसमें कोई दोष नहीं पाया;


तब पिलातुस ने मुख्य याजकों और लोगों से कहा, “मैं इस मनुष्य में कोई दोष नहीं पाता।”


पिलातुस ने उससे कहा, “सत्य क्या है?” यह कहकर वह फिर से यहूदियों के पास बाहर निकला और उनसे कहा, “मैं उसमें कोई दोष नहीं पाता।


तब मुझे पता चला कि वे अपनी व्यवस्था के विवादों के विषय में उस पर आरोप लगा रहे हैं, परंतु उसमें मृत्युदंड या बंदी बनाए जाने योग्य कोई दोष नहीं।


तब बड़ा कोलाहल मच गया, और फरीसियों के दल के कुछ शास्‍त्री उठ खड़े हुए और यह कहकर झगड़ने लगे, “हम इस मनुष्य में कोई बुराई नहीं पाते; यदि किसी आत्मा या स्वर्गदूत ने उससे बातें की हैं तो क्या?”


मेरे पास उसके विषय में महाराजा को लिखने के लिए कोई निश्‍चित बात नहीं है; इसलिए मैं उसे तुम्हारे सामने और, हे राजा अग्रिप्पा, विशेष करके तेरे सामने लाया हूँ, ताकि जाँच होने पर मुझे लिखने के लिए कुछ मिल जाए।


और वहाँ से निकलकर आपस में यह कहने लगे, “इस मनुष्य ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जो मृत्युदंड या बंदी बनाए जाने के योग्य हो।”


जब यह निश्‍चित हो गया कि हमें जहाज़ से इटली जाना है, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बंदियों को औगुस्तुस के सैन्य दल के यूलियुस नामक शतपति के हाथ सौंप दिया।


उन्होंने मेरी जाँच-पड़ताल करके मुझे छोड़ देना चाहा क्योंकि उन्हें मुझमें मृत्युदंड का कोई कारण नहीं मिला।


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