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प्रेरितों के काम 25:12 - नवीन हिंदी बाइबल

12 तब फेस्तुस ने अपने मंत्रिमंडल के साथ परामर्श करके उसे उत्तर दिया, “तूने कैसर से अपील की है, तू कैसर के पास जाएगा।”

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पवित्र बाइबल

12 अपनी परिषद् से सलाह करने के बाद फेस्तुस ने उसे उत्तर दिया, “तूने कैसर से पुनर्विचार की प्रार्थना की है, इसलिये तुझे कैसर के सामने ही ले जाया जायेगा।”

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Hindi Holy Bible

12 तब फेस्तुस ने मन्त्रियों की सभा के साथ बातें करके उत्तर दिया, तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के पास जाएगा॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 फ़ेस्‍तुस ने परिषद् से परामर्श करने के बाद यह उत्तर दिया, “तुमने सम्राट की दुहाई दी है, तुम सम्राट के पास ही जाओगे।”

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 तब फेस्तुस ने मन्त्रियों की सभा के साथ बातें करके उत्तर दिया, “तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के ही पास जाएगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

12 अपनी महासभा से विचार-विमर्श के बाद फ़ेस्तुस ने घोषणा की, “ठीक है. तुमने कयसर से सुनवाई की विनती की है तो तुम्हें कयसर के पास ही भेजा जाएगा.”

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प्रेरितों के काम 25:12
17 क्रॉस रेफरेंस  

मनुष्य का क्रोध भी तेरी स्तुति करेगा; और जो क्रोध रह जाए उससे तू अपनी कमर कसेगा।


इसलिए हमें बता, तू क्या सोचता है; कैसर को कर देना उचित है या नहीं?”


जब ये बातें हो चुकीं, तो पौलुस ने अपनी आत्मा में मकिदुनिया और अखाया होते हुए यरूशलेम को जाने का निश्‍चय किया, और कहा, “वहाँ पहुँचने के बाद मुझे रोम भी देखना अवश्य है।”


उसी रात प्रभु ने उसके पास खड़े होकर कहा,“साहस रख, क्योंकि जिस प्रकार तूने यरूशलेम में मेरे विषय में दृढ़तापूर्वक साक्षी दी है, उसी प्रकार तुझे रोम में भी साक्षी देनी होगी।”


यदि मैंने कुछ बुरा किया है और मृत्युदंड के योग्य कोई कार्य किया है तो मैं मरने से इनकार नहीं करता; परंतु यदि ऐसी कोई बात नहीं है जिनका ये मुझ पर आरोप लगाते हैं, तो कोई भी मुझे उनके हाथ नहीं सौंप सकता। मैं कैसर से अपील करता हूँ।”


जब कुछ दिन बीत गए तो राजा अग्रिप्पा और बिरनीके, फेस्तुस का अभिवादन करने कैसरिया में आए।


परंतु जब पौलुस ने महाराजाधिराज के निर्णय तक स्वयं को वहीं पहरे में रखने की अपील की, तो मैंने उसे तब तक पहरे में रखने का आदेश दिया जब तक कि उसे कैसर के पास न भेज दूँ।”


तब अग्रिप्पा ने फेस्तुस से कहा, “यदि इस मनुष्य ने कैसर से अपील न की होती तो इसे छोड़ा जा सकता था।”


जब यह निश्‍चित हो गया कि हमें जहाज़ से इटली जाना है, तो उन्होंने पौलुस और कुछ अन्य बंदियों को औगुस्तुस के सैन्य दल के यूलियुस नामक शतपति के हाथ सौंप दिया।


जब हमने रोम में प्रवेश किया तो पौलुस को एक सैनिक के साथ, जो उसकी रखवाली करता था, अलग रहने की अनुमति मिली।


मेरी हार्दिक इच्छा और आशा यही है कि मैं किसी भी बात में लज्‍जित न होऊँ बल्कि जैसे मसीह की महिमा मेरी देह से पूरे साहस के साथ सदा होती रही है वैसे ही अब भी हो, चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊँ।


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