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प्रेरितों के काम 1:15 - नवीन हिंदी बाइबल

15 उन्हीं दिनों में पतरस ने उन भाइयों के बीच (जहाँ लगभग एक सौ बीस लोग थे) खड़े होकर कहा,

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पवित्र बाइबल

15 फिर इन्हीं दिनों पतरस ने भाई-बंधुओं के बीच खड़े होकर, जिनकी संख्या कोई एक सौ बीस थी, कहा,

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Hindi Holy Bible

15 और उन्हीं दिनों में पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्ति के लगभग इकट्ठे थे, खड़ा होकर कहने लगा।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 उन्‍हीं दिनों पतरस विश्‍वासी भाई-बहिनों के बीच खड़े हुए, जो लगभग एक सौ बीस व्यक्‍तियों का समुदाय था। पतरस ने कहा,

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 उन्हीं दिनों में पतरस भाइयों के बीच में जो एक सौ बीस व्यक्‍ति के लगभग थे, खड़ा होकर कहने लगा,

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सरल हिन्दी बाइबल

15 तब एक दिन, जब लगभग एक सौ बीस विश्वासी इकट्ठा थे, पेतरॉस उनके बीच खड़े होकर कहने लगे,

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प्रेरितों के काम 1:15
31 क्रॉस रेफरेंस  

उसने उन्हें एक और दृष्‍टांत दिया :“स्वर्ग का राज्य राई के दाने के समान है, जिसे एक मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया;


परंतु मैंने तेरे लिए प्रार्थना की कि तेरा विश्‍वास चला न जाए; और जब तू फिरे तो अपने भाइयों को दृढ़ करना।”


“मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जो मुझ पर विश्‍वास करता है, वह भी उन कार्यों को करेगा जिन्हें मैं करता हूँ, बल्कि इनसे भी बड़े कार्य करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ;


इसलिए भाइयों में यह बात फैल गई कि वह शिष्य नहीं मरेगा। परंतु यीशु ने उससे यह नहीं कहा कि वह नहीं मरेगा, बल्कि यह,“यदि मैं चाहूँ कि वह मेरे आने तक रहे, तो इससे तुझे क्या?”


तब उसने उन्हें भीतर बुलाकर घर में ठहराया। फिर अगले दिन वह उठकर उनके साथ गया, और याफा के कुछ भाई भी उसके साथ हो लिए।


फिर प्रेरितों और भाइयों ने जो यहूदिया में थे सुना कि गैरयहूदियों ने भी परमेश्‍वर का वचन ग्रहण किया है।


तब आत्मा ने मुझे निःसंकोच उनके साथ जाने को कहा। ये छः भाई भी मेरे साथ गए, और हमने उस व्यक्‍ति के घर में प्रवेश किया।


जब वह उसे मिला तो उसे अंताकिया ले आया। फिर ऐसा हुआ कि पूरे एक वर्ष तक वे कलीसिया के साथ मिलते और बहुत से लोगों को उपदेश देते रहे; और शिष्य सब से पहले अंताकिया में मसीही कहलाए।


तब शिष्यों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सहायता के लिए कुछ भेजे।


उसने हाथ से उन्हें चुप रहने का संकेत करते हुए बताया कि किस प्रकार प्रभु ने उसे बंदीगृह से बाहर निकाला। फिर उसने कहा, “याकूब तथा भाइयों को ये बातें बताओ।” और वह निकलकर दूसरे स्थान को चला गया।


परंतु विश्‍वास न करनेवाले यहूदियों ने गैरयहूदियों को भड़काया और उनके मनों में भाइयों के विरुद्ध कटुता भर दी।


अब कुछ लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे, “यदि मूसा की रीति के अनुसार तुम्हारा ख़तना न हो, तो तुम्हारा उद्धार नहीं हो सकता।”


अतः कलीसिया ने उन्हें विदा किया; और वे फीनीके और सामरिया से होकर गैरयहूदियों के मन-परिवर्तन का वर्णन करते हुए गए जिससे सब भाई बहुत आनंदित हुए।


वह लुस्‍त्रा और इकुनियुम के भाइयों में सुनाम था।


तब वे बंदीगृह से निकलकर लुदिया के घर गए, और भाइयों से मिलकर उन्हें प्रोत्साहित किया और वहाँ से चल दिए।


भाइयों ने तुरंत पौलुस और सीलास को रात ही में बिरीया भेज दिया। वहाँ पहुँचकर वे यहूदियों के आराधनालय में जाने लगे।


तब भाइयों ने तुरंत पौलुस को समुद्र तट पर जाने के लिए भेज दिया; परंतु सीलास और तीमुथियुस वहीं रहे।


परंतु जब उन्होंने उन्हें वहाँ नहीं पाया तो वे यासोन और कुछ भाइयों को नगर के अधिकारियों के पास घसीटते हुए लाए, और चिल्‍लाकर कहने लगे, “जिन लोगों ने संसार को उलट-पुलट कर दिया, वे यहाँ भी आ पहुँचे हैं,


वहाँ बहुत दिन तक रहने के बाद पौलुस ने भाइयों से विदा ली और प्रिस्किल्‍ला और अक्‍विला सहित जहाज़ द्वारा सीरिया को चल दिया। उसने किंख्रिया में अपना सिर मुँड़वाया, क्योंकि उसने मन्‍नत मानी थी।


फिर जब अपुल्‍लोस ने अखाया में जाना चाहा तो भाइयों ने उसे प्रोत्साहित करके शिष्यों को लिखा कि उसका स्वागत करें। वहाँ पहुँचकर उसने उन लोगों की बड़ी सहायता की जिन्होंने अनुग्रह के द्वारा विश्‍वास किया था;


जब हम यरूशलेम पहुँचे तो भाइयों ने आनंद के साथ हमारा स्वागत किया।


यह सुनकर वे परमेश्‍वर की महिमा करने लगे, और उन्होंने उससे कहा, “भाई, तू देखता है कि यहूदियों में से हज़ारों ने विश्‍वास किया है, और वे सब व्यवस्था के लिए बड़े उत्साही हैं।


तब सूर से जलयात्रा पूरी करके हम पतुलिमयिस में पहुँचे, और भाइयों को नमस्कार किया और एक दिन उनके साथ रहे।


महायाजक और सब धर्मवृद्ध भी इस बात के साक्षी हैं। मैं उनसे भाइयों के लिए पत्र भी प्राप्‍त करके दमिश्क की ओर जा रहा था कि जो वहाँ हैं उन्हें भी बाँधकर यरूशलेम में ले आऊँ ताकि उन्हें दंड मिले।


जहाँ हमें कुछ भाई मिले जिन्होंने विनती की कि हम उनके साथ सात दिन रहें; और इस प्रकार हम रोम पहुँचे।


इसके बाद वह पाँच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिनमें से अधिकांश तो अब तक जीवित हैं, परंतु कुछ सो गए।


उसी समय एक बड़ा भूकंप हुआ, और नगर का दसवाँ भाग गिर पड़ा। उस भूकंप में सात हज़ार लोग मारे गए, और बाकी लोगों ने भयभीत होकर स्वर्ग के परमेश्‍वर की महिमा की।


परंतु सरदीस में तेरे यहाँ कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने वस्‍त्रों को अशुद्ध नहीं किया। वे श्‍वेत वस्‍त्र पहने हुए मेरे साथ चलेंगे, क्योंकि वे इस योग्य हैं।


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