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निर्गमन 20:13 - नवीन हिंदी बाइबल

13 “तू हत्या न करना।

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पवित्र बाइबल

13 “तुम्हें किसी व्यक्ति की हत्या नहीं करनी चाहिए।

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Hindi Holy Bible

13 तू खून न करना॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 ‘तू हत्‍या न करना।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 “तू खून न करना।

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सरल हिन्दी बाइबल

13 तुम मानव हत्या नहीं करना.

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निर्गमन 20:13
32 क्रॉस रेफरेंस  

“जो किसी व्यक्‍ति को ऐसे मारे कि वह मर जाए, तो वह भी निश्‍चय मार डाला जाए।


परंतु यदि कोई किसी को मार डालने के इरादे से उस पर छल से आक्रमण करे, तो उसे मार डालने के लिए मेरी वेदी के पास से ले जाना।


“यदि कोई अपने दास या दासी को लाठी से ऐसा मारे कि वह उसके सामने मर जाए, तो उसे निश्‍चय दंड दिया जाए।


परंतु यदि उस बैल को पहले से ही सींग मारने की आदत हो, और उसके स्वामी ने चिताए जाने पर भी उसे बाँधकर न रखा हो, और वह किसी पुरुष या स्‍त्री को मार डाले, तो उस बैल पर पथराव किया जाए, और उसके स्वामी को भी मार डाला जाए।


तू झूठे मुकदमे से दूर रहना, तथा निर्दोष और धर्मी व्यक्‍ति को घात न करना, क्योंकि मैं दुष्‍ट को निर्दोष न ठहराऊँगा।


यदि वे कहें, “हमारे साथ चल कि हम हत्या करने के लिए घात लगाएँ; चल हम निर्दोषों पर वार करने की घात में रहें,


ये तो अपनी ही हत्या के लिए घात लगाते हैं, और अपने ही प्राणों की घात में रहते हैं।


“फिर जो कोई किसी मनुष्य का प्राण ले ले, वह निश्‍चय मार डाला जाए।


जो किसी पशु को मार डाले वह उसकी क्षतिपूर्ति करे, परंतु जो किसी मनुष्य को मार डाले उसे मार डाला जाए।


उसने उससे कहा, “कौन सी?” यीशु ने कहा,“यह कि तू हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना,


आज्ञाओं को तो तू जानता है : हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और माता का आदर करना।”


आज्ञाओं को तो तू जानता है : व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, अपने पिता और माता का आदर करना।”


कि पौलुस ने ऊँची आवाज़ से पुकारकर कहा, “अपने आपको हानि न पहुँचा, क्योंकि हम सब यहीं हैं।”


जब उन निवासियों ने उस जंतु को उसके हाथ से लटके हुए देखा, तो वे आपस में कहने लगे, “यह मनुष्य अवश्य ही कोई हत्यारा है; वह समुद्र से तो बच निकला, पर न्याय ने उसे जीवित रहने नहीं दिया।”


इसलिए कि, तू व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, और न ही लालच करना, और यदि कोई दूसरी आज्ञा भी हो, तो उसका सारांश इस वचन में पाया जाता है, तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।


डाह, मतवालापन, रंगरेलियाँ, तथा ऐसे और भी कार्य हैं जिनके विषय में मैं तुम्हें पहले ही कह देता हूँ, जैसा मैं पहले भी कह चुका हूँ कि ऐसे कार्य करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे।


हम यह भी जानते हैं कि व्यवस्था धर्मी जन के लिए नहीं बल्कि अधर्मियों और उपद्रवियों, भक्‍तिहीनों और पापियों, अपवित्र और अशुद्ध लोगों, माता-पिता को मार डालनेवालों, हत्यारों,


जिसने यह कहा, तू व्यभिचार न करना, उसने यह भी कहा, तू हत्या न करना। अब यदि तू व्यभिचार नहीं करता परंतु हत्या करता है, तो तू व्यवस्था का अपराधी ठहरता है।


क्योंकि जिसने दया नहीं की उसका न्याय भी बिना दया के होगा : दया न्याय पर विजयी होती है।


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