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कुलुस्सियों 1:5 - नवीन हिंदी बाइबल

5 यह उस आशा के कारण है जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी है जिसके विषय में तुमने सत्य के वचन अर्थात् उस सुसमाचार में पहले ही सुना है

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पवित्र बाइबल

5 यह उस आशा के कारण हुआ है जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में सुरक्षित है और जिस के विषय में तुम पहले ही सच्चे संदेश अर्थात् सुसमाचार के द्वारा सुन चुके हो।

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Hindi Holy Bible

5 उस आशा की हुई वस्तु के कारण जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी हुई है, जिस का वर्णन तुम उस सुसमाचार के सत्य वचन में सुन चुके हो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

5 आप का विश्‍वास और प्रेम उस आशा पर आधारित है, जो स्‍वर्ग में आपके लिए सुरक्षित है और जिसके विषय में आपने तब सुना, जब शुभसमाचार का सत्‍य संदेश

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

5 उस आशा की हुई वस्तु के कारण जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी हुई है, जिसका वर्णन तुम उस सुसमाचार के सत्य वचन में सुन चुके हो,

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सरल हिन्दी बाइबल

5 इनका आधार है वह विश्वास और प्रेम जो उपजा है उस आशा से जो आपके लिए स्वर्ग में रखी हुई है तथा जिसके विषय में तुम पहले ही सच्चाई का वर्णन—उद्धार के सुसमाचार में सुन चुके हो

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कुलुस्सियों 1:5
33 क्रॉस रेफरेंस  

तेरी भलाई कितनी महान है जो तूने अपने भय माननेवालों के लिए रख छोड़ी है, और अपने शरणागतों के लिए मनुष्यों के सामने प्रकट की है।


अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिए ऐसे बटुए बनाओ जो पुराने नहीं होते, अर्थात् स्वर्ग में समाप्‍त न होनेवाला धन इकट्ठा करो, जिसके निकट न तो चोर आता है और न कीड़ा नष्‍ट करता है।


जो संदेश परमेश्‍वर ने यीशु मसीह के द्वारा (जो सब का प्रभु है) शांति का सुसमाचार सुनाते हुए इस्राएल की संतानों के पास भेजा,


“हे भाइयो, अब्राहम के घराने की संतानो और परमेश्‍वर का भय माननेवालो, हमारे लिए ही यह उद्धार का वचन भेजा गया है।


तब पौलुस यह जानकर कि एक दल सदूकियों का और दूसरा फरीसियों का है, महासभा में पुकारकर कहने लगा, “हे भाइयो, मैं फरीसी हूँ और फरीसियों के वंश का हूँ, और मृतकों के पुनरुत्थान की आशा के विषय में मुझ पर मुकदमा चलाया जा रहा है।”


और परमेश्‍वर में यह आशा रखता हूँ, जो ये स्वयं भी रखते हैं, कि धर्मी और अधर्मी दोनों का पुनरुत्थान होगा।


परंतु वह क्या कहती है? वचन तेरे निकट है, वह तेरे मुँह में और तेरे मन में है, यह विश्‍वास का वचन है जिसका हम प्रचार करते हैं।


अब विश्‍वास, आशा और प्रेम, ये तीनों स्थाई हैं; पर इनमें सब से बड़ा प्रेम है।


यदि हमने मसीह से केवल इस जीवन में आशा रखी है, तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं।


अर्थात् परमेश्‍वर ने मसीह में होकर संसार का अपने साथ मेल-मिलाप कर लिया और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और मेल-मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।


सत्य के वचन से, परमेश्‍वर के सामर्थ्य से, और धार्मिकता के हथियारों को दाहिने और बाएँ हाथों में लेकर,


परंतु जब मैंने देखा कि वे सुसमाचार की सच्‍चाई पर सीधी चाल नहीं चल रहे हैं, तो मैंने सब के सामने कैफा से कहा, “यदि तू यहूदी होकर यहूदियों के समान नहीं परंतु गैरयहूदियों के समान आचरण करता है, तो तू गैरयहूदियों को यहूदियों के समान आचरण करने के लिए कैसे विवश कर सकता है?”


हमने एक घड़ी के लिए भी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की ताकि सुसमाचार की सच्‍चाई तुममें बनी रहे।


क्योंकि आत्मा के द्वारा हम विश्‍वास से उस धार्मिकता की उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करते हैं जिसकी हमें आशा है।


उसी में जब तुमने सत्य का वचन अर्थात् अपने उद्धार का सुसमाचार सुना और उस पर विश्‍वास भी किया, तो तुम पर प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की मुहर लगी,


यह मानकर कि तुमने वास्तव में उसके विषय में सुना है और जैसा यीशु में सत्य है, उसमें सिखाए भी गए हो,


यह तभी होगा यदि तुम विश्‍वास में दृढ़ होकर स्थिर बने रहो और उस सुसमाचार की आशा को न छोड़ो जिसे तुमने सुना, जिसका प्रचार आकाश के नीचे सारी सृष्‍टि में किया गया, और जिसका मैं पौलुस सेवक बना।


परमेश्‍वर चाहता था कि वे जानें कि गैरयहूदियों में उस भेद की महिमा का धन क्या है; वह भेद यह है कि मसीह जो महिमा की आशा है, तुममें है।


मसीह का वचन तुममें बहुतायत से वास करे। सारी बुद्धि के साथ तुम एक दूसरे को सिखाते और चेतावनी देते रहो और धन्यवाद के साथ अपने-अपने मनों में परमेश्‍वर के लिए भजन, स्तुति और आत्मिक गीत गाते रहो।


इसी कारण हम भी निरंतर परमेश्‍वर का धन्यवाद करते हैं कि जब हमारे द्वारा तुम्हें परमेश्‍वर के वचन का संदेश मिला, तो तुमने उसे मनुष्यों का नहीं, बल्कि परमेश्‍वर का वचन समझकर ग्रहण किया (सचमुच वह है भी) जो तुम विश्‍वास करनेवालों में कार्य भी करता है।


अब स्वयं हमारा प्रभु यीशु मसीह और हमारा परमेश्‍वर पिता, जिसने हमसे प्रेम रखा और अनुग्रह के द्वारा हमें अनंत शांति और उत्तम आशा दी है,


यह बात सच और हर प्रकार से ग्रहणयोग्य है कि मसीह यीशु जगत में पापियों का उद्धार करने आया, जिनमें सब से बड़ा मैं हूँ।


भविष्य में मेरे लिए धार्मिकता का मुकुट रखा हुआ है जिसे प्रभु, जो धार्मिकता से न्याय करनेवाला है, मुझे उस दिन देगा और केवल मुझे ही नहीं बल्कि उन सब को भी जो उसके प्रकट होने को प्रिय समझते हैं।


उस अनंत जीवन की आशा में जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर ने, जो झूठ नहीं बोल सकता, सनातन काल से की है,


क्योंकि व्यवस्था ने किसी को सिद्ध नहीं किया—वहीं दूसरी ओर एक उत्तम आशा रखी गई जिसके द्वारा हम परमेश्‍वर के निकट आते हैं।


नवजात शिशुओं के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा तुम उद्धार में बढ़ते जाओ;


पर अपने मन में मसीह को प्रभु जानकर आदर दो; और जो तुम्हारी आशा के विषय में तुमसे कुछ पूछे, उसे नम्रता और आदर के साथ उत्तर देने को हर समय तैयार रहो;


इसलिए मैं तुम्हें इन बातों का सदैव स्मरण दिलाता रहूँगा, भले ही तुम इन्हें जानते हो और उस सत्य में जो तुम्हारे पास है, दृढ़ भी किए गए हो।


प्रत्येक जो उस पर यह आशा रखता है, अपने आपको वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।


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