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उत्पत्ति 32:30 - नवीन हिंदी बाइबल

30 तब याकूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा, “परमेश्‍वर को आमने-सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।”

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पवित्र बाइबल

30 इसलिए याकूब ने उस जगह का नाम पनीएल रखा। याकूब ने कहा, “इस जगह मैंने परमेश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन किया है। किन्तु मेरे जीवन की रक्षा हो गई।”

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Hindi Holy Bible

30 तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

30 याकूब ने उस स्‍थान का नाम ‘पनीएल’ रखा; क्‍योंकि उसने कहा, ‘मैंने परमेश्‍वर को साक्षात् देखा फिर भी मैं जीवित रहा!’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

30 तब याक़ूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा; “परमेश्‍वर को आमने–सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

30 जहां यह सब कुछ हुआ याकोब ने उस स्थान का नाम पनीएल रखा, यह कहकर कि “मैंने परमेश्वर को आमने-सामने देखा, फिर भी मेरा जीवन बच गया!”

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उत्पत्ति 32:30
28 क्रॉस रेफरेंस  

तब उसने यहोवा का नाम, जिसने उससे बातें की थीं “तू एलरोई है” रखा, और उसने कहा, “क्या मैंने यहाँ सचमुच उसे देखा है जो मुझे देखता है?”


परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा; परमेश्‍वर अर्थात् एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रकट किया।


विश्‍वास ही से उसने मिस्र को छोड़ दिया और राजा के क्रोध से नहीं डरा, क्योंकि उस अदृश्य को मानो देखते हुए वह दृढ़ रहा।


पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रकट होने के द्वारा प्रकाशित हुआ है, जिसने मृत्यु का नाश किया और सुसमाचार के द्वारा जीवन और अमरता को प्रकाश में ले आया।


कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर, जो महिमा का पिता है, अपनी पूर्ण पहचान में तुम्हें बुद्धि और प्रकाशन की आत्मा दे,


यहोवा ने कहा, “मैं स्वयं तेरे साथ चलूँगा और तुझे विश्राम दूँगा।”


वह अदृश्य परमेश्‍वर का प्रतिरूप और समस्त सृष्‍टि में पहलौठा है;


मुझे आश्‍चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे इतने शीघ्र फिरकर तुम किसी और ही सुसमाचार की ओर जा रहे हो।


इसलिए कि परमेश्‍वर जिसने कहा, “अंधकार में से ज्योति चमके,” वह स्वयं हमारे हृदयों में चमका कि हमें परमेश्‍वर की महिमा के ज्ञान का प्रकाश प्रदान करे जो यीशु मसीह के चेहरे में है।


हम सब उघाड़े मुँह से प्रभु का तेज मानो दर्पण में देखते हुए प्रभु अर्थात् आत्मा के द्वारा उसी तेजस्वी रूप में अंश-अंश करके बदलते जाते हैं।


उसने उस स्थान का नाम बेतेल रखा; यद्यपि उस नगर का नाम पहले लूज था।


अभी तो हमें दर्पण में धुँधला सा दिखाई देता है, परंतु उस समय आमने-सामने देखेंगे; अभी तो मेरा ज्ञान अधूरा है, परंतु उस समय मैं पूर्ण रूप से जानूँगा, जैसे मुझे भी पूर्ण रूप से जाना गया है।


जब याकूब पद्दनराम से लौट आया, तो परमेश्‍वर ने उसे दूसरी बार दर्शन दिया और उसे आशिष दी।


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