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उत्पत्ति 30:1 - नवीन हिंदी बाइबल

1 जब राहेल ने देखा कि उससे याकूब के लिए कोई संतान उत्पन्‍न नहीं हुई, तो वह अपनी बहन से ईर्ष्या करने लगी और उसने याकूब से कहा, “मुझे भी संतान दे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

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पवित्र बाइबल

1 राहेल ने देखा कि वह याकूब के लिए किसी बच्चे को जन्म नहीं दे रही है। राहेल अपनी बहन लिआ से ईर्ष्या करने लगी। इसलिए राहेल ने याकूब से कहा, “मुझे बच्चा दो, वरना मैं मर जाऊँगी।”

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Hindi Holy Bible

1 जब राहेल ने देखा, कि याकूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होता, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी: और याकूब से कहा, मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊंगी।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

1 जब राहेल ने देखा कि उससे याकूब के लिए सन्‍तान उत्‍पन्न नहीं हुई, तब वह अपनी बहिन से ईष्‍र्या करने लगी। उसने याकूब से कहा, ‘मुझे सन्‍तान दो, अन्‍यथा मैं मर जाऊंगी।’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

1 जब राहेल ने देखा कि याक़ूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी और याक़ूब से कहा, “मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।”

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सरल हिन्दी बाइबल

1 राहेल ने यह देखा कि याकोब के लिए उसके द्वारा कोई संतान नहीं हुई, तो उसे अपनी बहन से नफ़रत हो गई. वह याकोब से झगड़ने लगी, “मुझे संतान दीजिए, नहीं तो मैं मर जाऊंगी!”

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उत्पत्ति 30:1
26 क्रॉस रेफरेंस  

जब यहोवा ने देखा कि लिआ को अप्रिय जाना गया है, तो उसने उसकी कोख खोली, पर राहेल बाँझ रही।


उसके भाई उससे ईर्ष्या करते थे, परंतु उसके पिता ने उसकी बात को मन में रखा।


उन्होंने छावनी में मूसा, और यहोवा के पवित्र जन हारून से ईर्ष्या की;


शांत मन, तन का जीवन है; परंतु ईर्ष्या हड्डियों को गला देती है।


अधोलोक, बाँझ की कोख, भूमि जो कभी जल से तृप्‍त नहीं होती, और आग जो कभी “बस” नहीं कहती।


फिर मैंने लोगों को अपने पड़ोसी से जलन रखने के कारण सब परिश्रम और सब निपुणता के कार्यों को करते हुए देखा। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान है।


तब वह यहूदिया छोड़कर फिर गलील को चल दिया।


क्योंकि उसके शिष्य नगर में भोजन खरीदने के लिए गए हुए थे।


क्योंकि तुम अब तक शारीरिक हो। जबकि तुममें ईर्ष्या और झगड़े हैं, तो क्या तुम शारीरिक नहीं? और मानवीय रीति पर नहीं चलते?


क्योंकि जो दुःख परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार होता है, वह उद्धार के लिए ऐसा पश्‍चात्ताप उत्पन्‍न‍ करता है जिसके लिए पछताना नहीं पड़ता; परंतु सांसारिक दुःख मृत्यु उत्पन्‍न‍ करता है।


डाह, मतवालापन, रंगरेलियाँ, तथा ऐसे और भी कार्य हैं जिनके विषय में मैं तुम्हें पहले ही कह देता हूँ, जैसा मैं पहले भी कह चुका हूँ कि ऐसे कार्य करनेवाले परमेश्‍वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे।


हम भी पहले निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, भ्रम में पड़े हुए, तथा विभिन्‍न‍ प्रकार की लालसाओं और भोग-विलास के दासत्व में थे, तथा बुराई और ईर्ष्या में जीवन व्यतीत करते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से घृणा करते थे।


परंतु यदि तुम्हारे मन में कटु ईर्ष्या और स्वार्थ भरा है, तो घमंड न करो और न ही सत्य के विरोध में झूठ बोलो।


या तुम सोचते हो कि पवित्रशास्‍त्र व्यर्थ ही कहता है कि परमेश्‍वर जिसने आत्मा को हमारे भीतर बसाया है, वह उसकी तीव्र लालसा करता है।


हमारे पर का पालन करें:

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