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उत्पत्ति 2:7 - नवीन हिंदी बाइबल

7 तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया।

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पवित्र बाइबल

7 तब यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी से धूल उठाई और मनुष्य को बनाया। यहोवा ने मनुष्य की नाक में जीवन की साँस फूँकी और मनुष्य एक जीवित प्राणी बन गया।

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Hindi Holy Bible

7 और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

7 तब प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को भूमि की मिट्टी से गढ़ा तथा उसके नथुनों में जीवन का श्‍वास फूँका और मनुष्‍य एक जीवित प्राणी बन गया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

7 तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम* को भूमि की मिट्टी से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया।

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सरल हिन्दी बाइबल

7 फिर याहवेह परमेश्वर ने मिट्टी से मनुष्य को बनाया तथा उसके नाक में जीवन की सांस फूंक दिया. इस प्रकार मनुष्य जीवित प्राणी हो गया.

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उत्पत्ति 2:7
33 क्रॉस रेफरेंस  

तब परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में रचा; अपने ही स्वरूप में परमेश्‍वर ने उसे रचा; उसने उन्हें नर और नारी के रूप में रचा।


परंतु कुहरा पृथ्वी से उठता था जिससे भूमि की सारी सतह सिंच जाती थी।


तू तब तक अपने पसीने की रोटी खाया करेगा, जब तक कि मिट्टी में न मिल जाए, क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है। तू तो मिट्टी है, और मिट्टी में फिर मिल जाएगा।”


इसलिए यहोवा परमेश्‍वर ने उसे अदन की वाटिका से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिसमें से उसे बनाया गया था।


सूखी भूमि पर रहनेवाले सब के सब जिनके नथनों में जीवन का श्‍वास था, मर मिटे।


जान लो कि यहोवा ही परमेश्‍वर है। उसी ने हमें बनाया है और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा और उसके चरागाह की भेड़ें हैं।


क्योंकि वह जानता है कि हम कैसे बने हैं; उसे स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।


मनुष्य की आत्मा यहोवा का दीपक है, जो मनुष्य के सब भीतरी भागों को खोजता है।


तब मिट्टी ज्यों की त्यों भूमि में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्‍वर के पास जिसने उसे दिया, लौट जाएगी।


फाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय;


यह कहकर उसने उन पर फूँका और उनसे कहा,“पवित्र आत्मा लो।


और न ही मनुष्यों के हाथों से सेवा लेता है मानो उसे किसी बात की आवश्यकता हो, क्योंकि वह स्वयं सब को जीवन और श्‍वास और सब कुछ देता है।


हे मनुष्य, परमेश्‍वर को पलटकर उत्तर देनेवाला भला तू कौन होता है? क्या रचना अपने रचनाकार से यह कहेगी, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया है?”


इसलिए यह भी लिखा है : पहला मनुष्य, आदम जीवित प्राणी बना, और अंतिम आदम जीवनदायक आत्मा बना;


पहला मनुष्य पृथ्वी से अर्थात् मिट्टी का था, दूसरा मनुष्य स्वर्ग से है।


परंतु हमारे पास यह धन मिट्टी के पात्रों में इसलिए है ताकि यह स्पष्‍ट हो कि यह असीम सामर्थ्य हमारी ओर से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ओर से है।


हम जानते हैं कि जब हमारा पृथ्वी पर का तंबू रूपी घर गिराया जाएगा, तो स्वर्ग में हमें परमेश्‍वर से ऐसा भवन अर्थात् अनंत घर मिलेगा जो हाथों से बना हुआ नहीं होगा।


क्योंकि आदम पहले रचा गया था, उसके बाद हव्वा।


फिर यह भी कि जब हमारे शारीरिक पिता हमारी ताड़ना किया करते थे तो हमने उनका आदर किया। तो क्या हम आत्माओं के पिता के और भी अधिक अधीन न रहें, जिससे कि जीवित रहें?


हमारे पर का पालन करें:

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