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इब्रानियों 1:2 - नवीन हिंदी बाइबल

2 पर इन अंतिम दिनों में उसने अपने पुत्र के द्वारा हमसे बातें कीं, जिसे उसने सब वस्तुओं का उत्तराधिकारी ठहराया, और उसी के द्वारा उसने सृष्‍टि की भी रचना की है।

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पवित्र बाइबल

2 किन्तु इन अंतिम दिनों में उसने हमसे अपने पुत्र के माध्यम से बातचीत की, जिसे उसने सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया है और जिसके द्वारा उसने समूचे ब्रह्माण्ड की रचना की है।

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Hindi Holy Bible

2 इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 परन्‍तु वर्तमान अन्‍तिम युग में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है। उसने उस पुत्र के द्वारा समस्‍त विश्‍व की सृष्‍टि की और उसी को सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्‍त किया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 इन अन्तिम दिनों में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्‍टि की रचना की है।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 किंतु अब इस अंतिम समय में उन्होंने हमसे अपने पुत्र के द्वारा बातें की हैं, जिन्हें परमेश्वर ने सारी सृष्टि का वारिस चुना और जिनके द्वारा उन्होंने युगों की सृष्टि की.

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इब्रानियों 1:2
70 क्रॉस रेफरेंस  

तब याकूब ने अपने पुत्रों को बुलाकर कहा, इकट्ठे हो जाओ, ताकि मैं तुम्हें बताऊँ कि आने वाले दिनों में तुम पर क्या-क्या बीतेगा।


और उन्हें बोनेवाला शत्रु शैतान है; तथा कटनी जगत का अंत है और काटनेवाले स्वर्गदूत हैं।


अभी वह यह कह ही रहा था कि देखो, एक उजला बादल उन पर छा गया, और देखो उस बादल में से आवाज़ आई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ; इसकी सुनो।”


परंतु जब किसानों ने पुत्र को देखा तो आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। आओ, इसे मार डालें और इसका उत्तराधिकार हड़प लें।’


परंतु यीशु चुप रहा। तब महायाजक ने उससे कहा, “मैं तुझे जीवित परमेश्‍वर की शपथ देता हूँ कि यदि तू परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है तो हमें बता।”


तब यीशु ने उनके पास आकर कहा,“स्वर्ग में और पृथ्वी पर, सारा अधिकार मुझे दिया गया है।


और देखो, आकाश से एक आवाज़ आई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ।”


परमेश्‍वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरंभ।


“अब उसके पास एक ही था, उसका प्रिय पुत्र। अंत में उसने उसे यह सोचकर उनके पास भेजा, ‘वे मेरे पुत्र का सम्मान करेंगे।’


परंतु उन किसानों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। आओ, इसे मार डालें, और यह उत्तराधिकार हमारा हो जाएगा।’


वह जगत में था और जगत उसके द्वारा उत्पन्‍न‍ हुआ, परंतु जगत ने उसे नहीं पहचाना।


वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में डेरा किया। हमने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। वह अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण था।


सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्‍न‍ हुआ और जो कुछ उत्पन्‍न‍ हुआ है, उसमें से कुछ भी उसके बिना उत्पन्‍न‍ नहीं हुआ।


यीशु यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथों में दे दिया, और मैं परमेश्‍वर की ओर से आया और परमेश्‍वर के पास जा रहा हूँ,


यदि उसमें परमेश्‍वर की महिमा हुई, तो परमेश्‍वर भी अपने में उसकी महिमा करेगा, और तुरंत उसकी महिमा करेगा।


अब से मैं तुम्हें दास नहीं कहूँगा, क्योंकि दास नहीं जानता कि उसका स्वामी क्या करता है; परंतु मैंने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि जो मैंने अपने पिता से सुना, तुम्हें सब बता दिया।


वह सब जो पिता का है, मेरा है; इसलिए मैंने कहा कि वह मेरी बातों को लेकर तुम्हें बताएगा।


क्योंकि तूने उसे संपूर्ण मानव जाति पर अधिकार दिया है कि जिन्हें तूने उसे सौंपा है उन सब को वह अनंत जीवन दे;


“क्योंकि परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे वह नाश न हो, परंतु अनंत जीवन पाए।


फिर वहाँ यूहन्‍ना के शिष्यों का एक यहूदी के साथ शुद्धीकरण के विषय में वाद-विवाद हो गया।


क्योंकि जिस प्रकार पिता अपने में जीवन रखता है, उसी प्रकार उसने होने दिया कि पुत्र भी अपने में जीवन रखे;


और उसने उसे न्याय करने का अधिकार भी दिया, क्योंकि वह मनुष्य का पुत्र है।


हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने मूसा से बातें कीं, परंतु हम इसको नहीं जानते कि कहाँ का है।”


जो संदेश परमेश्‍वर ने यीशु मसीह के द्वारा (जो सब का प्रभु है) शांति का सुसमाचार सुनाते हुए इस्राएल की संतानों के पास भेजा,


परमेश्‍वर कहता है, ‘अंतिम दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूँगा, और तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियाँ भविष्यवाणी करेंगी, और तुम्हारे युवक दर्शन देखेंगे, और तुम्हारे वृद्ध स्वप्न देखेंगे;


और पवित्रता के आत्मा के अनुसार मृतकों में से जी उठने के द्वारा सामर्थ्य के साथ परमेश्‍वर का पुत्र प्रमाणित हुआ,


अब यदि संतान हैं, तो उत्तराधिकारी भी—परमेश्‍वर के उत्तराधिकारी, और मसीह के सह-उत्तराधिकारी—जबकि हम उसके साथ महिमा पाने के लिए उसके साथ दुःख उठाते हैं।


बल्कि हम भेद में परमेश्‍वर के उस गुप्‍त ज्ञान का वर्णन करते हैं जिसे परमेश्‍वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया है।


फिर भी हमारे लिए तो एक ही परमेश्‍वर है, अर्थात् पिता, जिसकी ओर से सब कुछ है और हम भी उसी के लिए हैं; और एक ही प्रभु है, अर्थात् यीशु मसीह, जिसके द्वारा सब कुछ है और हम भी उसी के द्वारा हैं।


परंतु जब समय पूरा हुआ तो परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्‍त्री से जन्मा और व्यवस्था के अधीन उत्पन्‍न‍ हुआ,


कि समयों के पूर्ण होने पर ऐसा प्रबंध हो कि जो स्वर्ग में है और जो पृथ्वी पर है, सब मसीह में एकत्रित हों।


और सब पर यह प्रकट करूँ कि उस भेद का प्रबंधन क्या है, जो सब वस्तुओं के सृष्‍टि करनेवाले परमेश्‍वर में युगों से गुप्‍त था,


स्वर्गदूतों में से उसने कब किसी से यह कहा : तू मेरा पुत्र है, आज ही मैंने तुझे उत्पन्‍न‍ किया है, और फिर यह, मैं उसका पिता होऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा।


परंतु पुत्र के विषय में वह कहता है, “हे परमेश्‍वर, तेरा सिंहासन युगानुयुग का है, और तेरे राज्य का राजदंड न्याय का राजदंड है।


विश्‍वास ही से हम समझते हैं कि परमेश्‍वर के वचन के द्वारा सारी सृष्‍टि की रचना ऐसे हुई कि जो वस्तुएँ दिखाई देती हैं वे उनसे रची गईं जो दिखाई नहीं देतीं।


तो हम ऐसे महान उद्धार की उपेक्षा करके कैसे बच सकते हैं? इस उद्धार का वर्णन सर्वप्रथम प्रभु के द्वारा किया गया, और सुननेवालों के द्वारा हमारे सामने इसकी पुष्‍टि हुई।


परंतु मसीह परमेश्‍वर के घराने पर एक पुत्र के समान विश्‍वासयोग्य रहा; और यदि हम अपने साहस और अपने आशा के गर्व पर दृढ़ रहें तो हम ही उसका घराना हैं।


जबकि हमारे पास ऐसा बड़ा महायाजक है जो आकाशमंडल से होकर गया, अर्थात् परमेश्‍वर का पुत्र यीशु, तो आओ, हम अपने विश्‍वास के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें।


यद्यपि वह पुत्र था, फिर भी उसने दुःख उठाकर आज्ञाकारिता सीखी,


व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्‍त करती है, परंतु शपथ का वह वचन, जो व्यवस्था के बाद आया, उस पुत्र को नियुक्‍त करता है जो सदा के लिए सिद्ध किया गया है।


उसका न तो कोई पिता, न माता, और न ही कोई वंशावली है, उसके दिनों का न तो आरंभ है और न ही जीवन का अंत; परंतु परमेश्‍वर के पुत्र के सदृश्य ठहरकर वह सदा के लिए याजक बना रहता है।


अन्यथा उसे जगत की उत्पत्ति से बार-बार दुःख उठाना पड़ता; परंतु अब वह युग के अंत में एक ही बार प्रकट हुआ कि अपने बलिदान के द्वारा पाप को मिटा दे।


वह तो जगत की उत्पत्ति के पहले ही से जाना गया था, परंतु अब तुम्हारे लिए इन अंतिम समयों में प्रकट हुआ।


सब से पहले तुम यह समझ लो कि अंतिम दिनों में ठट्ठा करनेवाले ठट्ठा करते हुए आएँगे, और अपनी लालसाओं के अनुसार चलेंगे,


वे तुमसे कहा करते थे, “अंतिम समयों में ऐसे ठट्ठा करनेवाले होंगे जो अपनी बुरी अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।”


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