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2 कुरिन्थियों 7:11 - नवीन हिंदी बाइबल

11 अतः देखो, यह दुःख जो परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार हुआ उससे तुममें कितना उत्साह, अपने को निर्दोष सिद्ध करने की कितनी अभिलाषा, कितना रोष, कितना भय, कितनी लालसा, कितनी धुन और न्याय चुकाने की कितनी इच्छा उत्पन्‍न‍ हुई है। तुमने हर बात में अपने आपको निर्दोष प्रस्तुत किया है।

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पवित्र बाइबल

11 देखो। यह दुःख जिसे परमेश्वर ने दिया है, उसने तुममें कितना उत्साह जगा दिया है, अपने भोलेपन की कितनी प्रतिरक्षा, कितना आक्रोश, कितनी आकुलता, हमसे मिलने की कितनी बेचैनी, कितना साहस, पापी के प्रति न्याय चुकाने की कैसी भावना पैदा कर दी है। तुमने हर बात में यह दिखा दिया है कि इस बारे में तुम कितने निर्दोष थे।

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Hindi Holy Bible

11 सो देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्वर-भक्ति का शोक हुआ तुम में कितनी उत्तेजना और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और पलटा लेने का विचार उत्पन्न हुआ तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया, कि तुम इस बात में निर्दोष हो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 आप देखते हैं कि आपने जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया, उससे आप में कितनी निष्‍ठा उत्‍पन्न हुई, अपनी सफाई देने की कितनी तत्‍परता, कितना रोष, कितनी आशंका, कितनी अभिलाषा, कितना उत्‍साह और न्‍याय चुकाने की कितनी इच्‍छा! इस प्रकार आपने इस मामले में हर तरह से निर्दोष होने का प्रमाण दिया है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 अत: देखो, इसी बात से कि तुम्हें परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक हुआ तुम में कितना उत्साह और प्रत्युत्तर और रिस, और भय, और लालसा, और धुन और दण्ड देने का विचार उत्पन्न हुआ? तुम ने सब प्रकार से यह सिद्ध कर दिखाया कि तुम इस बात में निर्दोष हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 ध्यान दो कि परमेश्वर की ओर से आए दुःख ने तुममें क्या-क्या परिवर्तन किए हैं: ऐसी उत्सुकता भरी तत्परता, अपना पक्ष स्पष्ट करने की ऐसी बड़ी इच्छा, अन्याय के प्रति ऐसा क्रोध, संकट के प्रति ऐसी सावधानी, मुझसे भेंट करने की ऐसी तेज लालसा, सेवा के प्रति ऐसा उत्साह तथा दुराचारी को दंड देने के लिए ऐसी तेजी के द्वारा तुमने यह साबित कर दिया कि सब कुछ ठीक-ठाक करने में तुमने कोई भी कमी नहीं छोड़ी है.

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2 कुरिन्थियों 7:11
54 क्रॉस रेफरेंस  

मेरी धुन मुझे खाए जा रही है, क्योंकि मेरे शत्रु तेरे वचनों को भूल गए हैं।


पहरेदार जितना भोर को चाहते हैं, हाँ, पहरेदार जितना भोर को चाहते हैं, उससे भी अधिक मेरा प्राण प्रभु को चाहता है।


वह अपने भय माननेवालों की इच्छा पूरी करता है, और उनकी दुहाई सुनकर उन्हें बचाता है।


भय के साथ यहोवा की आराधना करो, और काँपते हुए मगन होओ।


जब वे रोगी थे, तो मैंने शोक-वस्‍त्र पहने, और उपवास रखकर मैंने अपने को दीन किया, पर मेरी प्रार्थना सुनी नहीं गई।


हे प्रभु, मेरी हर अभिलाषा तेरे सामने है, और मेरा आहें भरना तुझसे छिपा नहीं।


जैसे हरिणी नदी के जल के लिए हाँफती है, वैसे ही, हे परमेश्‍वर, मैं तेरे लिए हाँफता हूँ।


क्योंकि तेरे भवन की धुन ने मुझे भस्म कर दिया है। जो निंदा वे तेरी करते हैं, वही मुझे सहनी पड़ी है।


बुद्धिमान मनुष्य बुराई से डरता और उससे दूर रहता है, परंतु मूर्ख ढीठ और लापरवाह होता है।


क्या ही धन्य है वह जो सदा प्रभु का भय मानता है, परंतु जो अपने मन को कठोर करता है वह विपत्ति में पड़ता है।


उसने उन सब को क्रोध से देखा और उनके मन की कठोरता पर दुःखी होकर उस मनुष्य से कहा,“अपना हाथ बढ़ा!” उसने बढ़ाया और उसका हाथ फिर से ठीक हो गया।


तब उसके शिष्यों को स्मरण आया कि लिखा है : तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी।


जब पौलुस एथेंस में उनकी प्रतीक्षा कर रहा था, तो नगर को मूर्तियों से भरा हुआ देखकर अपनी आत्मा में जल उठा।


ठीक है! वे अपने अविश्‍वास के कारण तोड़ी गईं, परंतु तू अपने विश्‍वास के कारण स्थिर है। अभिमानी न हो, परंतु भय मान;


जो इस प्रकार मसीह की सेवा करता है वह परमेश्‍वर को भावता है और मनुष्यों को ग्रहणयोग्य होता है।


परंतु यदि हमारी अधार्मिकता परमेश्‍वर की धार्मिकता को प्रकट करती है, तो हम क्या कहें? क्या परमेश्‍वर जो क्रोध करता है, अधर्मी है? (मैं मानवीय रीति पर कह रहा हूँ।)


ताकि देह में कोई फूट न पड़े, बल्कि सब अंग अपने समान एक दूसरे का ध्यान रखें।


बाहरवालों का न्याय तो परमेश्‍वर करेगा। तुम उस दुष्‍ट जन को अपने बीच में से निकाल दो।


फिर भी तुम घमंड से फूले हुए हो। क्या तुम्हें शोक नहीं मनाना चाहिए था कि ऐसा कार्य करनेवाला तुम्हारे बीच में से निकाला जाता?


अब हम परमेश्‍वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो; इसलिए नहीं कि हम खरे दिखाई दें बल्कि इसलिए कि तुम वही करो जो अच्छा है, भले ही हम निकम्मे क्यों न ठहरें।


ऐसे व्यक्‍ति को बहुमत से जो दंड मिला वही पर्याप्‍त है;


बल्कि हम हर बात में परमेश्‍वर के सेवकों के समान अपने आपको प्रस्तुत करते हैं, अर्थात् बड़े धीरज के साथ क्लेशों में, अभावों में, संकटों में,


अतः हे प्रियो, जब कि हमें ये प्रतिज्ञाएँ प्राप्‍त हैं, तो आओ हम अपने आपको देह और आत्मा की सारी मलिनता से शुद्ध करते हुए परमेश्‍वर के भय में पवित्रता को पूर्ण करें।


न केवल उसके आने के द्वारा बल्कि उस प्रोत्साहन के द्वारा भी, जो उसे तुमसे प्राप्‍त हुआ। उसने तुम्हारी लालसा, तुम्हारे शोक और मेरे प्रति तुम्हारे उत्साह के विषय में हमें बताया, जिससे मैं अति आनंदित हुआ।


परंतु अब मैं आनंदित हूँ, इसलिए नहीं कि तुम्हें दुःख पहुँचा, बल्कि इसलिए कि उस दुःख के कारण तुमने पश्‍चात्ताप किया। तुम्हारा दुःखी होना तो परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार हुआ ताकि हमारे कारण तुम्हें किसी प्रकार की हानि न हो।


क्योंकि मैं तुम्हारी उत्सुकता को जानता हूँ और मकिदुनिया के लोगों के सामने तुम्हारे विषय में गर्व करता हूँ कि अखाया के लोग पिछले वर्ष से तैयार हैं, और तुम्हारे उत्साह ने बहुतों को प्रेरित किया है।


क्रोध तो करो पर पाप मत करो; सूर्यास्त होने तक तुम्हारा क्रोध बना न रहे,


अंधकार के निष्फल कार्यों में सहभागी न हो, बल्कि उन्हें प्रकाश में लाओ;


अतः हे मेरे प्रियो, जिस प्रकार तुमने सदैव आज्ञा मानी, उसी प्रकार केवल मेरी उपस्थिति में ही नहीं बल्कि अनुपस्थिति में भी, उससे और भी अधिक डरते और काँपते हुए अपने-अपने उद्धार का कार्य पूरा करो;


इस बात में कोई अपने भाई के प्रति अपराध न करे और न उसका अनुचित लाभ उठाए क्योंकि इन सब बातों का बदला लेनेवाला प्रभु है, जैसा कि हमने तुम्हें पहले ही बताया और चिताया भी था।


जो पाप में लिप्‍त हैं, उन्हें सब के सामने डाँट ताकि बाकी लोग भी डरें।


अपने आपको परमेश्‍वर की दृष्‍टि में ग्रहणयोग्य और ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्‍न कर, जिसे लज्‍जित होना न पड़े और जो सत्य के वचन को भली-भाँति काम में लाता हो।


यह बात सच है, और मैं चाहता हूँ कि तू इन बातों के विषय में दृढ़ता से बोले ताकि जिन्होंने परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया है, वे भले कार्य करने पर मन लगाएँ। ये बातें मनुष्यों के लिए उत्तम और लाभदायक हैं।


इसलिए जब उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा अब तक बनी हुई है, तो हम सतर्क रहें, कहीं ऐसा न हो कि तुममें से कोई उससे वंचित रह जाए।


परंतु जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले पवित्र है, फिर शांतिप्रिय, विनम्र, विचारशील, दया और अच्छे फलों से भरा हुआ, पक्षपात-रहित और निष्कपट है;


यदि तुम “हे पिता” कहकर उससे प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात प्रत्येक का न्याय उसके कार्य के अनुसार करता है, तो तुम पृथ्वी पर अपने रहने का समय भय सहित बिताओ।


नवजात शिशुओं के समान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा तुम उद्धार में बढ़ते जाओ;


दूसरों को आग में से झपटकर बचा लो और भय के साथ अन्य लोगों पर दया करो, पर उस वस्‍त्र तक से घृणा करो जो शरीर से कलंकित हो गया है।


जिनसे मैं प्रीति रखता हूँ, उन्हें मैं झिड़कता और ताड़ना देता हूँ। इसलिए सरगर्म हो जा और पश्‍चात्ताप कर।


हमारे पर का पालन करें:

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