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2 कुरिन्थियों 10:18 - नवीन हिंदी बाइबल

18 क्योंकि जो अपनी प्रशंसा करता है वह नहीं, बल्कि जिसकी प्रशंसा प्रभु करता है, वही ग्रहणयोग्य होता है।

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पवित्र बाइबल

18 क्योंकि अच्छा वही माना जाता है जिसे प्रभु अच्छा स्वीकारता है, न कि वह जो अपने आप को स्वयं अच्छा समझता है।

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Hindi Holy Bible

18 क्योंकि जो अपनी बड़ाई करता है, वह नहीं, परन्तु जिस की बड़ाई प्रभु करता है, वही ग्रहण किया जाता है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 इसलिए जो अपनी सिफ़ारिश करता है, वह नहीं, बल्‍कि जिसे प्रभु की सिफ़ारिश प्राप्‍त है, वही सुयोग्‍य है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 क्योंकि जो अपनी बड़ाई करता है वह नहीं, परन्तु जिसकी बड़ाई प्रभु करता है, वही ग्रहण किया जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 ग्रहण वह नहीं किया जाता, जो अपनी तारीफ़ स्वयं करता है परंतु वह है, जिसकी तारीफ़ प्रभु करते हैं.

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2 कुरिन्थियों 10:18
21 क्रॉस रेफरेंस  

मनुष्य अपनी बुद्धि के अनुरूप प्रशंसा पाता है, परंतु कुटिल मनवाला तुच्छ समझा जाता है।


मनुष्य का सारा चाल-चलन उसकी अपनी दृष्‍टि में तो ठीक होता है, परंतु यहोवा मन को तौलता है।


तेरी प्रशंसा कोई दूसरा करे तो करे, परंतु तू आप न करना; कोई अन्य करे तो करे, परंतु तू अपनी प्रशंसा न करना।


तब यीशु ने उनसे कहा :“तुम अपने आपको मनुष्यों के सामने धर्मी ठहराते हो, परंतु परमेश्‍वर तुम्हारे मनों को जानता है; क्योंकि जो मनुष्यों में सम्मानित है वह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में घृणित है।


क्योंकि उन्हें परमेश्‍वर की प्रशंसा से बढ़कर मनुष्यों की प्रशंसा अधिक प्रिय थी।


“हे इस्राएलियो, ये बातें सुनो : यीशु नासरी सामर्थ्य के कार्यों, अद्भुत कार्यों और चिह्‍नों के द्वारा तुम्हारे सामने ऐसा मनुष्य प्रमाणित हुआ जो परमेश्‍वर की ओर से है। ये कार्य परमेश्‍वर ने उसके द्वारा तुम्हारे बीच दिखाए, जैसा तुम स्वयं जानते हो।


जो इस प्रकार मसीह की सेवा करता है वह परमेश्‍वर को भावता है और मनुष्यों को ग्रहणयोग्य होता है।


अपिल्‍लेस को, जो मसीह में खरा है, नमस्कार कहना। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार कहना।


परंतु यहूदी वही है जो मन से यहूदी है, और ख़तना वही है जो आत्मा के द्वारा हृदय का है न कि लेख का। ऐसे व्यक्‍ति की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ओर से होती है।


तुम्हारे बीच दलबंदी भी अवश्य होगी, ताकि तुममें जो खरे हैं, वे प्रकट हो जाएँ।


इसलिए समय से पहले अर्थात् जब तक प्रभु न आ जाए, किसी बात का न्याय मत करो। वही अंधकार में छिपी बातों को प्रकाशित करेगा और मनों के उद्देश्यों को प्रकट करेगा। तब परमेश्‍वर की ओर से प्रत्येक की प्रशंसा होगी।


हम उनके साथ अपनी गिनती या तुलना करने का साहस नहीं करते जो अपनी ही प्रशंसा करते हैं; परंतु जब वे स्वयं से अपने को नापते और स्वयं से ही अपनी तुलना करते हैं तो नासमझ ठहरते हैं।


अब हम परमेश्‍वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो; इसलिए नहीं कि हम खरे दिखाई दें बल्कि इसलिए कि तुम वही करो जो अच्छा है, भले ही हम निकम्मे क्यों न ठहरें।


क्या हम फिर अपनी प्रशंसा करने लगे? या अन्य लोगों के समान क्या हमें भी तुम्हें प्रशंसा-पत्र देने या तुमसे लेने की आवश्यकता है?


हम तुम्हारे सामने फिर से अपनी प्रशंसा नहीं कर रहे हैं बल्कि तुम्हें हम पर गर्व करने का अवसर दे रहे हैं ताकि तुम उन्हें उत्तर दे सको जो मन पर नहीं बल्कि दिखावे पर घमंड करते हैं।


बल्कि हम हर बात में परमेश्‍वर के सेवकों के समान अपने आपको प्रस्तुत करते हैं, अर्थात् बड़े धीरज के साथ क्लेशों में, अभावों में, संकटों में,


अपने आपको परमेश्‍वर की दृष्‍टि में ग्रहणयोग्य और ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्‍न कर, जिसे लज्‍जित होना न पड़े और जो सत्य के वचन को भली-भाँति काम में लाता हो।


ताकि तुम्हारा परखा हुआ विश्‍वास, जो आग में ताए गए नाशवान सोने से भी अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रकट होने पर प्रशंसा, महिमा और आदर का कारण ठहरे।


हमारे पर का पालन करें:

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