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1 यूहन्ना 4:12 - नवीन हिंदी बाइबल

12 परमेश्‍वर को कभी किसी ने नहीं देखा। यदि हम आपस में प्रेम रखते हैं, तो परमेश्‍वर हममें बना रहता है और उसका प्रेम हममें सिद्ध हो चुका है।

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पवित्र बाइबल

12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा है किन्तु यदि हम आपस में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हममें निवास करता है और उसका प्रेम हमारे भीतर सम्पूर्ण हो जाता है।

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Hindi Holy Bible

12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्‍वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 परमेश्‍वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्‍वर हम में बना रहता है और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा. यदि हममें आपस में प्रेम है तो हमारे भीतर परमेश्वर का वास है तथा उनके प्रेम ने हममें पूरी सिद्धता प्राप्‍त कर ली है.

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1 यूहन्ना 4:12
14 क्रॉस रेफरेंस  

परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा; परमेश्‍वर अर्थात् एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रकट किया।


परंतु जो कोई उसके वचन का पालन करता है, उसमें सचमुच परमेश्‍वर का प्रेम सिद्ध हो चुका है। इससे हम जान जाते हैं कि हम उसमें हैं।


जो एकमात्र अमर है, और अगम्य ज्योति में वास करता है, जिसे किसी मनुष्य ने न तो देखा है और न ही देख सकता है; उसी का आदर और पराक्रम युगानुयुग हो। आमीन।


यदि कोई कहे, “मैं परमेश्‍वर से प्रेम रखता हूँ” और अपने भाई से घृणा करे तो वह झूठा है। क्योंकि जो अपने उस भाई से प्रेम नहीं रखता जिसे उसने देखा है, तो वह उस परमेश्‍वर से प्रेम नहीं रख सकता जिसे उसने नहीं देखा।


जो उसकी आज्ञाओं का पालन करता है वह परमेश्‍वर में बना रहता है और परमेश्‍वर उसमें; और जो आत्मा उसने हमें दिया है उसी के द्वारा हम जान जाते हैं कि वह हममें बना रहता है।


फिर उसने कहा, “तू मेरा मुख नहीं देख सकता; क्योंकि मनुष्य मुझे देखकर जीवित नहीं रह सकता।”


हम परमेश्‍वर के हैं। जो परमेश्‍वर को जानता है वह हमारी सुनता है, जो परमेश्‍वर का नहीं है वह हमारी नहीं सुनता। इसी से हम सत्य के आत्मा और भ्रम की आत्मा को जान लेते हैं।


अब सनातन राजा, अर्थात् अविनाशी, अदृश्य और एकमात्र परमेश्‍वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।


तब याकूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा, “परमेश्‍वर को आमने-सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।”


विश्‍वास ही से उसने मिस्र को छोड़ दिया और राजा के क्रोध से नहीं डरा, क्योंकि उस अदृश्य को मानो देखते हुए वह दृढ़ रहा।


अब विश्‍वास, आशा और प्रेम, ये तीनों स्थाई हैं; पर इनमें सब से बड़ा प्रेम है।


जो प्रेम परमेश्‍वर हमसे रखता है उसे हम जान गए हैं, और हमने उस पर विश्‍वास किया है। परमेश्‍वर प्रेम है, और जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्‍वर में बना रहता है और परमेश्‍वर उसमें बना रहता है।


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