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1 पतरस 3:8 - नवीन हिंदी बाइबल

8 अंततः तुम सब एक मन, करुणामय, भाईचारे का प्रेम रखनेवाले, दयालु और नम्र बनो।

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पवित्र बाइबल

8 अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।

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Hindi Holy Bible

8 निदान, सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखने वाले, और करूणामय, और नम्र बनो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 अन्‍त में यह : आप सब-के-सब एकमत, सहानुभूतिशील, भ्रातृप्रेमी, दयालु तथा विनम्र बनें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 अत: सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय, और नम्र बनो।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 अंततः, तुम सब हृदय में मैत्री भाव बनाए रखो; सहानुभूति रखो; आपस में प्रेम रखो, करुणामय और नम्र बनो.

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1 पतरस 3:8
32 क्रॉस रेफरेंस  

जैसे पिता अपने बच्‍चों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा उन पर दया करता है जो उसका भय मानते हैं।


जो ब्याज और अनुचित लाभ के द्वारा अपना धन बढ़ाता है, वह उसके लिए जमा करता है जो कंगालों पर कृपा करता है।


जैसे मैंने तुझ पर दया की, क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया नहीं करनी चाहिए थी?’


फिर एक सामरी यात्री उसके पास से निकला और जब उसे देखा तो उसने तरस खाया,


जब पिंतेकुस्त का दिन आया, तो वे सब एक स्थान पर एकत्रित थे।


दूसरे दिन हम सैदा में उतरे, और यूलियुस ने पौलुस पर कृपा करके उसे मित्रों के पास जाने की अनुमति दी कि उसका सत्कार किया जाए।


उस स्थान के आस-पास की भूमि उस द्वीप के मुखिया की थी, जिसका नाम पुबलियुस था। उसने हमारा स्वागत किया और तीन दिन तक मित्रभाव से हमारा अतिथि-सत्कार किया।


विश्‍वास करनेवालों का समूह एक मन और एक चित्त था, और कोई भी अपनी संपत्ति को अपनी नहीं कहता था, बल्कि उनका सब कुछ साझे का था।


भाईचारे की भावना से एक दूसरे से स्‍नेह रखो, आदर करने में एक दूसरे से आगे रहो,


अब धीरज और प्रोत्साहन का परमेश्‍वर, तुम्हें मसीह यीशु के अनुसार आपस में मन की एकता दे,


हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से मैं तुमसे विनती करता हूँ कि तुम सब एक ही बात कहो, और तुममें फूट न हो, परंतु तुम एक ही मन और एक ही विचार में होकर मिले रहो।


इसलिए यदि एक अंग दुःख उठाता है तो उसके साथ सब अंग दुःख उठाते हैं; यदि एक अंग का सम्मान होता है तो उसके साथ सब अंग आनंद मनाते हैं।


संपूर्ण दीनता और नम्रता के साथ धैर्य रखते हुए प्रेम में एक दूसरे की सह लो,


सारी बुराई के साथ सब प्रकार की कड़वाहट, और रोष, और क्रोध, और कलह, और निंदा तुमसे दूर किए जाएँ।


एक दूसरे के प्रति कृपालु और दयालु बनो, और जैसे परमेश्‍वर ने मसीह में तुम्हें क्षमा किया है, वैसे तुम भी एक दूसरे को क्षमा करो।


स्वार्थ से या अहंकार से कुछ न करो, बल्कि दीनता से दूसरों को अपने से श्रेष्‍ठ समझो,


फिर भी जहाँ तक हम पहुँचे हैं, उसके अनुसार चलें।


अतः तुम परमेश्‍वर के चुने हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, करुणा, दयालुता, दीनता, नम्रता और सहनशीलता को धारण करो।


भाईचारे का प्रेम बना रहे।


क्योंकि जिसने दया नहीं की उसका न्याय भी बिना दया के होगा : दया न्याय पर विजयी होती है।


परंतु जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले पवित्र है, फिर शांतिप्रिय, विनम्र, विचारशील, दया और अच्छे फलों से भरा हुआ, पक्षपात-रहित और निष्कपट है;


देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं। तुमने अय्यूब के धीरज के विषय में सुना और प्रभु से प्राप्‍त प्रतिफल को भी देखा है कि प्रभु अत्यंत करुणामय और दयालु है।


जब तुमने भाईचारे के निष्कपट प्रेम के लिए अपने मनों को सत्य का पालन करके शुद्ध किया है, तो उत्साहपूर्वक शुद्ध मन से आपस में प्रेम रखो।


सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्‍वर का भय मानो, और राजा का सम्मान करो।


इसी प्रकार, हे जवानो, तुम भी प्रवरों के अधीन रहो। तुम सब एक दूसरे के प्रति दीनता को धारण कर लो, क्योंकि परमेश्‍वर अभिमानियों का विरोध करता है, परंतु दीनों पर अनुग्रह करता है।


और भक्‍ति में भाईचारे की प्रीति और भाईचारे की प्रीति में प्रेम बढ़ाते जाओ।


हम जानते हैं कि हम मृत्यु में से निकलकर जीवन में प्रवेश कर चुके हैं क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं। जो प्रेम नहीं रखता वह मृत्यु में बना रहता है।


हमारे पर का पालन करें:

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