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1 तीमुथियुस 3:8 - नवीन हिंदी बाइबल

8 इसी प्रकार सेवकों का भी सम्माननीय होना आवश्यक है; वे न दोगले, न पियक्‍कड़ और न ही धन के लोभी हों,

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पवित्र बाइबल

8 इसी प्रकार कलीसिया के सेवकों को भी सम्मानीय होना चाहिए जिसके शब्दों पर विश्वास किया जाता हो। मदिरा पान में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। बुरे रास्तों से उन्हें धन कमाने का इच्छुक नहीं होना चाहिए।

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Hindi Holy Bible

8 वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 इसी तरह धर्मसेवक आचरण में गम्‍भीर तथा निष्‍कपट हों। वे न तो मद्यसेवी हों और न लोभी।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दोरंगी, पियक्‍कड़ और नीच कमाई के लोभी न हों;

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सरल हिन्दी बाइबल

8 इसी प्रकार आवश्यक है कि दीकन भी गंभीर तथा निष्कपट हों. मदिरा पान में उसकी रुचि नहीं होनी चाहिए, न नीच कमाई के लालची.

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1 तीमुथियुस 3:8
17 क्रॉस रेफरेंस  

वे एक दूसरे से झूठ बोलते हैं; वे चापलूसी भरे होंठों से और धोखा देनेवाले मन से बात करते हैं।


उनके मुँह में कोई सच्‍चाई नहीं है; उनके मन में दुष्‍टता भरी है। उनका गला खुली हुई कब्र है, और वे अपनी जीभ से चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं।


तूने बुराई के लिए अपना मुँह खोला है, और तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है।


हे छल करनेवाले, तेरी जीभ तो विनाश गढ़ती है। वह तो पैने उस्तरे के समान है।


“जब कभी तू या तेरे साथ तेरे पुत्र मिलापवाले तंबू में आएँ, तब तुममें से कोई न तो दाखमधु पीए और न किसी प्रकार की मदिरा, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ। तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में यह सदा की विधि रहे,


उनका गला खुली हुई कब्र है, वे अपनी जीभ से धोखा देते हैं, उनके होंठों पर साँपों का विष है।


मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से फिलिप्पी में रहनेवाले अध्यक्षों और सेवकों सहित सब पवित्र लोगों के नाम जो मसीह यीशु में हैं।


सेवक एक ही पत्‍नी के पति हों, और अपने बाल-बच्‍चों तथा घर को अच्छी तरह से संभालनेवाले हों।


इसलिए आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, एक ही पत्‍नी का पति, संयमी, समझदार, सम्माननीय, अतिथि-सत्कार करनेवाला और सिखाने में निपुण हो;


पियक्‍कड़ और मारपीट करनेवाला न हो बल्कि विनम्र हो, और न ही झगड़ालू और धन का लोभी हो।


अब से केवल पानी ही न पी, बल्कि अपने पेट और बार-बार हो रही बीमारियों के कारण थोड़े दाखरस का भी उपयोग कर लिया कर।


परमेश्‍वर के भंडारी के रूप में अध्यक्ष के लिए आवश्यक है कि वह निर्दोष हो; वह न तो अहंकारी, न क्रोधी, न पियक्‍कड़, न मारपीट करनेवाला और न ही धन का लोभी हो,


इसी प्रकार वृद्ध स्‍त्रियों का आचरण भी पवित्र हो। वे न तो दोष लगानेवाली और न ही पियक्‍कड़ हों, बल्कि अच्छी बातें सिखानेवाली हों,


एक ही मुँह से आशिष और शाप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाइयो! ऐसा नहीं होना चाहिए।


परमेश्‍वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच है, रखवाली करो, किसी दबाव से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार, और नीच कमाई के लिए नहीं बल्कि उत्साह से;


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