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1 तीमुथियुस 3:15 - नवीन हिंदी बाइबल

15 कि मेरे आने में देर होने पर भी तुझे यह मालूम रहे कि परमेश्‍वर के घराने में, जो जीवित परमेश्‍वर की कलीसिया है और सत्य का स्तंभ तथा आधार है, कैसा आचरण होना चाहिए।

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पवित्र बाइबल

15 यदि मुझे आने में समय लग जाये तो तुम्हें पता रहे कि परमेश्वर के परिवार में, जो सजीव परमेश्वर की कलीसिया है, किसी को अपना व्यवहार कैसा रखना चाहिए। कलीसिया ही सत्य की नींव और आधार स्तम्भ है।

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Hindi Holy Bible

15 कि यदि मेरे आने में देर हो तो तू जान ले, कि परमेश्वर का घर, जो जीवते परमेश्वर की कलीसिया है, और जो सत्य का खंभा, और नेव है; उस में कैसा बर्ताव करना चाहिए।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 यदि मेरे आने में देर हो जाये, तो तुम्‍हें इस बात की जानकारी रहे कि परमेश्‍वर के परिवार में लोगों का आचरण कैसा होना चाहिए। परमेश्‍वर का परिवार जीवन्‍त परमेश्‍वर की कलीसिया है; वह सत्‍य का स्‍तम्‍भ और मूलाधार है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 कि यदि मेरे आने में देर हो, तो तू जान ले कि परमेश्‍वर के घराने में जो जीवते परमेश्‍वर की कलीसिया है और जो सत्य का खंभा और नींव है, कैसा बर्ताव करना चाहिए।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 कि यदि मेरे आने में देरी हो ही जाए तो भी तुम्हें इसका अहसास हो कि परमेश्वर के परिवार में, जो जीवित परमेश्वर की कलीसिया तथा सच्चाई का स्तंभ व नींव है, किस प्रकार का स्वभाव करना चाहिए.

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1 तीमुथियुस 3:15
55 क्रॉस रेफरेंस  

मैं परमेश्‍वर के लिए, हाँ, जीवित परमेश्‍वर के लिए प्यासा हूँ। मैं कब जाऊँगा और परमेश्‍वर के मुख का दर्शन करूँगा?


मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते मूर्च्छित हो चला है; मेरा तन और मन जीवित परमेश्‍वर को पुकार रहे हैं।


शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीवित परमेश्‍वर का पुत्र मसीह है।”


“मैं तुमसे सच कहता हूँ, जो कुछ तुम पृथ्वी पर बाँधोगे वह स्वर्ग में बँध जाएगा, और जो कुछ तुम पृथ्वी पर खोलोगे वह स्वर्ग में खुल जाएगा।


व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई, परंतु अनुग्रह और सच्‍चाई यीशु मसीह के द्वारा आई।


यीशु ने उससे कहा,“मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ। बिना मेरे द्वारा कोई भी पिता के पास नहीं पहुँचता।


तब पिलातुस ने उससे पूछा, “तो क्या तू राजा है?” यीशु ने उत्तर दिया,“तू आप ही कह रहा है कि मैं राजा हूँ। मैंने इसलिए जन्म लिया और इसलिए इस संसार में आया हूँ कि सत्य की साक्षी दूँ। प्रत्येक जो सत्य का है, वह मेरी आवाज़ सुनता है।”


हमने विश्‍वास किया और जान लिया है कि तू ही परमेश्‍वर का पवित्र जन है।”


और उस दिन तक करता रहा जब तक वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया।


और कहा, “हे लोगो, तुम ये क्यों कर रहे हो? हम भी तुम्हारे समान मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं को छोड़कर उस जीवित परमेश्‍वर की ओर फिरो जिसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उनमें है सब को बनाया।


हर प्रकार से बहुत कुछ। पहले तो यह कि परमेश्‍वर के वचन उन्हें सौंपे गए।


और ऐसा होगा कि उसी स्थान पर जहाँ उनसे कहा गया था, “तुम मेरी प्रजा नहीं हो,” वहाँ वे “जीवित परमेश्‍वर के पुत्र” कहलाएँगे।


तुम न तो यहूदियों, न यूनानियों और न ही परमेश्‍वर की कलीसिया के लिए ठोकर का कारण बनो;


क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्‍वर का मंदिर हो और परमेश्‍वर का आत्मा तुममें वास करता है?


यह स्पष्‍ट है कि तुम हमारी सेवा के फलस्वरूप मसीह का पत्र हो, जिसे स्याही से नहीं बल्कि जीवित परमेश्‍वर के आत्मा से, और पत्थर की पटियाओं पर नहीं बल्कि मानवीय हृदय-पटल पर लिखा गया है।


और मूर्तियों के साथ परमेश्‍वर के मंदिर की क्या सहमति? क्योंकि हम तो जीवित परमेश्‍वर का मंदिर हैं; जैसा कि परमेश्‍वर ने कहा है : मैं उनमें वास करूँगा और उनके मध्य चला-फिरा करूँगा। मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा, और वे मेरे लोग होंगे।


सत्य के वचन से, परमेश्‍वर के सामर्थ्य से, और धार्मिकता के हथियारों को दाहिने और बाएँ हाथों में लेकर,


और मुझे दिए गए अनुग्रह को पहचानकर याकूब और कैफा और यूहन्‍ना ने, जो कलीसिया के स्तंभ समझे जाते हैं, मुझे और बरनाबास को संगति का दाहिना हाथ दिया कि हम गैरयहूदियों में, और वे ख़तना किए हुए लोगों में कार्य करें।


हे निर्बुद्धि गलातियो, तुम्हें किसने मोह लिया? तुम्हारी आँखों के सामने ही तो मानो यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया हुआ दिखाया गया था।


यह मानकर कि तुमने वास्तव में उसके विषय में सुना है और जैसा यीशु में सत्य है, उसमें सिखाए भी गए हो,


यह उस आशा के कारण है जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी है जिसके विषय में तुमने सत्य के वचन अर्थात् उस सुसमाचार में पहले ही सुना है


वे स्वयं ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे बीच हमारा कैसा स्वागत हुआ, और कैसे तुम मूर्तियों से परमेश्‍वर की ओर फिरे कि जीवित और सच्‍चे परमेश्‍वर की सेवा करो,


मुझे आशा है कि मैं शीघ्र तेरे पास आऊँगा; फिर भी मैं तुझे ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ,


निस्संदेह भक्‍ति का यह भेद बड़ा है : वह देह में प्रकट हुआ, आत्मा के द्वारा धर्मी ठहरा, स्वर्गदूतों को दिखाई दिया, गैरयहूदियों में उसका प्रचार हुआ, जगत में उस पर विश्‍वास किया गया और महिमा में ऊपर उठा लिया गया।


इसलिए आवश्यक है कि अध्यक्ष निर्दोष, एक ही पत्‍नी का पति, संयमी, समझदार, सम्माननीय, अतिथि-सत्कार करनेवाला और सिखाने में निपुण हो;


(यदि कोई अपने ही घर को संभालना न जानता हो, तो वह परमेश्‍वर की कलीसिया की देखभाल कैसे करेगा?)


इसी कारण हम परिश्रम और संघर्ष करते रहते हैं, क्योंकि हमारी आशा उस जीवित परमेश्‍वर पर है, जो सब मनुष्यों का, विशेषकर विश्‍वासियों का उद्धारकर्ता है।


जो एकमात्र अमर है, और अगम्य ज्योति में वास करता है, जिसे किसी मनुष्य ने न तो देखा है और न ही देख सकता है; उसी का आदर और पराक्रम युगानुयुग हो। आमीन।


परंतु परमेश्‍वर की पक्‍की नींव बनी रहती है, जिस पर यह मुहर लगी है : “प्रभु अपने लोगों को जानता है,” और “जो कोई प्रभु का नाम लेता है वह अधर्म से दूर रहे।”


बड़े घर में केवल सोने-चाँदी ही के नहीं बल्कि लकड़ी और मिट्टी के पात्र भी होते हैं; कुछ आदर के तो कुछ अनादर के लिए।


और जबकि हमारा एक ऐसा महान याजक है, जो परमेश्‍वर के घर का अधिकारी है,


परंतु तुम तो सिय्योन पहाड़, और जीवित परमेश्‍वर के नगर अर्थात् स्वर्गीय यरूशलेम, तथा असंख्य स्वर्गदूतों के पास,


हे भाइयो, सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुममें से किसी का मन बुरा और अविश्‍वासी हो और वह तुम्हें जीवित परमेश्‍वर से दूर कर दे।


तो मसीह, जिसने अपने आपको अनंत आत्मा के द्वारा परमेश्‍वर के सामने निर्दोष चढ़ा दिया, उसका लहू हमारे विवेक को मरे हुए कार्यों से कितना अधिक शुद्ध करेगा ताकि हम जीवित परमेश्‍वर की सेवा कर सकें।


तुम भी स्वयं जीवित पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो कि याजकों का पवित्र समाज बनकर ऐसे आत्मिक बलिदानों को चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर को ग्रहणयोग्य हों।


क्योंकि समय आ पहुँचा है कि परमेश्‍वर के घराने से न्याय का आरंभ हो; और यदि यह हमसे आरंभ होगा, तो उनका परिणाम क्या होगा जो परमेश्‍वर के सुसमाचार को नहीं मानते?


तब मैंने जीवित परमेश्‍वर की मुहर लिए हुए एक और स्वर्गदूत को पूर्व दिशा से ऊपर उठते हुए देखा। उसने उन चारों स्वर्गदूतों से, जिन्हें पृथ्वी और समुद्र को हानि पहुँचाने का अधिकार दिया गया था, ऊँची आवाज़ से पुकारकर कहा,


हमारे पर का पालन करें:

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