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1 कुरिन्थियों 6:18 - नवीन हिंदी बाइबल

18 व्यभिचार से भागो; अन्य सब पाप जो मनुष्य करता है देह के बाहर होते हैं, परंतु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है।

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पवित्र बाइबल

18 यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है।

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Hindi Holy Bible

18 व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 व्‍यभिचार से दूर रहें। मनुष्‍य के दूसरे सभी पाप उसके शरीर से बाहर हैं, किन्‍तु व्‍यभिचार करने वाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 व्यभिचार से बचे रहो। जितने अन्य पाप मनुष्य करता है वे देह के बाहर हैं, परन्तु व्यभिचार करनेवाला अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 वेश्यागामी से दूर भागो! मनुष्य द्वारा किए गए अन्य पाप उसके शरीर को प्रभावित नहीं करते किंतु वेश्यावृत्ति करनेवाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है.

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1 कुरिन्थियों 6:18
19 क्रॉस रेफरेंस  

जब कोई पुरुष स्‍त्री से संभोग करे और वीर्यपात हो जाए तो वे दोनों जल से स्‍नान करें, और साँझ तक अशुद्ध रहें।


इसलिए परमेश्‍वर ने उन्हें उनके मन की वासनाओं में अशुद्धता के लिए छोड़ दिया कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।


या क्या तुम नहीं जानते कि अधर्मी लोग परमेश्‍वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे? धोखा न खाओ : न व्यभिचारी, न मूर्तिपूजक, न परस्‍त्रीगामी, न किसी भी प्रकार के समलैंगिक,


मुझे डर है, कहीं ऐसा न हो कि जब मैं फिर से आऊँ तो मेरा परमेश्‍वर मुझे तुम्हारे सामने लज्‍जित करे, और मैं उन बहुतों के लिए शोक करूँ जिन्होंने पाप किया है और अपनी अशुद्धता, व्यभिचार और कामुकता के कार्यों से पश्‍चात्ताप नहीं किया।


अब शरीर के कार्य तो स्पष्‍ट हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता,


जैसा कि पवित्र लोगों के लिए उचित है, तुम्हारे बीच व्यभिचार, किसी भी प्रकार की अशुद्धता या लालच का नाम तक न लिया जाए,


इसलिए जो कुछ तुममें सांसारिक है उसे मार डालो, जैसे व्यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, बुरी लालसा, तथा लोभ को जो मूर्तिपूजा है।


परमेश्‍वर की यही इच्छा है कि तुम पवित्र बनो, अर्थात् व्यभिचार से दूर रहो,


और उन गैरयहूदियों के समान कामुकता में नहीं, जो परमेश्‍वर को नहीं जानते हैं।


जवानी की लालसाओं से भाग और जो शुद्ध मन से प्रभु को पुकारते हैं उनके साथ धार्मिकता, विश्‍वास, प्रेम, और शांति का पीछा कर।


विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और विवाह-शय्या निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्‍वर व्यभिचारियों और परस्‍त्रीगामियों को दंड देगा।


हे प्रियो, मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम अपने आपको परदेशी और यात्री जानकर शारीरिक वासनाओं से दूर रहो, जो आत्मा के विरुद्ध युद्ध करती हैं।


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