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यूहन्ना 5:26 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे;

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पवित्र बाइबल

26 वैसे ही उसने अपने पुत्र को भी जीवन का स्रोत बनाया है।

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Hindi Holy Bible

26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उस ने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

26 क्‍योंकि जिस तरह पिता स्‍वयं में जीवन धारण किए हुए है, उसी तरह उसने पुत्र को भी स्‍वयं में जीवन धारण करने का अधिकार दिया है;

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे;

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नवीन हिंदी बाइबल

26 क्योंकि जिस प्रकार पिता अपने में जीवन रखता है, उसी प्रकार उसने होने दिया कि पुत्र भी अपने में जीवन रखे;

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यूहन्ना 5:26
26 क्रॉस रेफरेंस  

क्योंकि जीवन का सोता तेरे ही पास है; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएँगे। (यहू. 4:10,14, प्रका. 21:6)


इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन् अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही परमेश्वर है।


परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मैं जो हूँ सो हूँ।” फिर उसने कहा, “तू इस्राएलियों से यह कहना, ‘जिसका नाम मैं हूँ है उसी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।’” (प्रका. 1:4,8, प्रका. 4:8, प्रका. 11:17)


परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है। उसके प्रकोप से पृथ्वी काँपती है, और जाति-जाति के लोग उसके क्रोध को सह नहीं सकते। (नहू. 1:6)


उसमें जीवन था; और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था।


कोई उसे मुझसे छीनता नहीं, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ। मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है। यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।”


यीशु ने उससे कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तो भी जीएगा।


और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?”


और थोड़ी देर रह गई है कि संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिए कि मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे।


यीशु ने उससे कहा, “मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।


यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।”


जैसा जीविते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।


मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि यदि कोई व्यक्ति मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्तकाल तक मृत्यु को न देखेगा।”


न किसी वस्तु की आवश्यकता के कारण मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है। (यशा. 42:5, भज. 50:12, भज. 50:12)


ऐसा ही लिखा भी है, “प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना” और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।


अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।


और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा और न कभी देख सकता है। उसकी प्रतिष्ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन। (1 तीमु. 1:17)


पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि भी रची है। (1 कुरि. 8:6, यूह. 1:3)


फिर उसने मुझसे कहा, “ये बातें पूरी हो गई हैं। मैं अल्फा और ओमेगा, आदि और अन्त हूँ। मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंत-मेंत पिलाऊँगा।


फिर उसने मुझे बिल्लौर के समान झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी दिखाई, जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर,


और आत्मा, और दुल्हन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” और जो प्यासा हो, वह आए और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंत-मेंत ले। (यशा. 55:1)


क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है, उनकी रखवाली करेगा; और उन्हें जीवनरूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा, और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।” (भज. 23:1, भज. 23:2, यशा. 25:8)


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