यहेजकेल 17:22 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
22 फिर प्रभु यहोवा यह कहता है: “मैं भी देवदार की ऊँची फुनगी में से कुछ लेकर लगाऊँगा, और उसकी सबसे ऊपरवाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़कर एक अति ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा,
22 मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही थीं: “मैं लम्बें देवदार के वृक्ष से एक शाखा लूँगा। मैं वृक्ष की चोटी से एक छोटी शाखा लूँगा। और मैं स्वयं उसे बहुत ऊँचे पर्वत पर बोऊँगा।
22 फिर प्रभु यहोवा यों कहता है, मैं भी देवदार की ऊंची फुनगी में से कुछ ले कर लगाऊंगा, और उसकी सब से ऊपर वाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़ कर एक अति ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा।
22 स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘मैं भी देवदार वृक्ष की ऊंची फुनगी से एक टहनी लूंगा, और उसको भूमि पर लगाऊंगा। मैं उसकी सबसे ऊंची शाखा में से एक टहनी तोड़ूंगा, और उसको एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर लगाऊंगा।
22 फिर प्रभु यहोवा यों कहता है : “मैं भी देवदार की ऊँची फुनगी में से कुछ लेकर लगाऊँगा, और उसकी सबसे ऊपरवाली कनखाओं में से एक कोमल कनखा तोड़कर एक अति ऊँचे पर्वत पर लगाऊँगा,
22 “ ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं एक देवदार वृक्ष की सबसे ऊंची डाली के अंकुर को लेकर लगाऊंगा; मैं उसकी सबसे ऊंची शाखाओं में से एक कोमल डाली को तोड़ूंगा और उसे एक ऊंचे पहाड़ पर लगाऊंगा.
“क्योंकि प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल का सारा घराना अपने देश में मेरे पवित्र पर्वत पर, इस्राएल के ऊँचे पर्वत पर, सब का सब मेरी उपासना करेगा; वही मैं उनसे प्रसन्न होऊँगा, और वहीं मैं तुम्हारी उठाई हुई भेंटें और चढ़ाई हुई उत्तम-उत्तम वस्तुएँ, और तुम्हारी सब पवित्र की हुई वस्तुएँ तुम से लिया करूँगा।
क्योंकि वह उसके सामने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। (मत्ती 2:23)
हे यहोशू महायाजक, तू सुन ले, और तेरे भाई-बन्धु जो तेरे सामने खड़े हैं वे भी सुनें, क्योंकि वे मनुष्य शुभ शकुन हैं सुनो, मैं अपने दास शाख को प्रगट करूँगा। (जक. 6:12, यिर्म. 33:15)
अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे।
तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चाँदी और सोना भी सब चूर-चूर हो गए, और धूपकाल में खलिहानों के भूसे के समान हवा से ऐसे उड़ गए कि उनका कहीं पता न रहा; और वह पत्थर जो मूर्ति पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में फैल गया।