यशायाह 66:12 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 201912 क्योंकि यहोवा यह कहता है, “देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी के समान, और जाति-जाति के धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूँगा; और तुम उससे पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनों पर कुदाए जाओगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबल12 यहोवा कहता है, “देखो, मैं तुम्हें शांति दूंगा। यह शांति तुम तक ऐसे पहुँचेगी जैसे कोई महानदी बहती हुई पहुँच जाती है। सब धरती के राष्ट्रों की धन—दौलत बहती हुई तुम तक पहुँच जायेगी। यह धन—दौलत ऐसे बहते हुये आयेगी जैसे कोई बाढ़ की धारा। तुम नन्हें बच्चों से होवोगे, तुम दूध पीओगे, तुम को उठा लिया जायेगा और गोद में थाम लिये जायेगा, तुम्हें घुटनों पर उछाला जायेगा। अध्याय देखेंHindi Holy Bible12 क्योंकि यहोवा यों कहता है, देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी की नाईं, और अन्यजातियों के धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूंगा; और तुम उस से पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनों पर कुदाए जाओगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)12 प्रभु यों कहता है : ‘मैं यरूशलेम की समृद्धि को नदी की बाढ़ के सदृश बनाऊंगा; राष्ट्रों की सम्पत्ति को उमड़ती हुई जल-धारा के समान उसकी ओर प्रवाहित करूंगा। ओ यरूशलेम के पुत्र-पुत्रियो! तुम अपनी मां का स्तन-पान करोगे! वह तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर ले जाएगी। तुम उसके घुटनों पर कूदोगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)12 क्योंकि यहोवा यों कहता है, “देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी के समान, और जाति जाति के धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूँगा, और तुम उस से पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनों पर कुदाए जाओगे। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल12 क्योंकि याहवेह यों कहते हैं: “तुम यह देखोगे, कि मैं उसमें शांति नदी के समान, और अन्यजातियों के धन को बाढ़ के समान बहा दूंगा; और तुम उसमें से पियोगे तथा तुम गोद में उठाए जाओगे तुम्हें घुटनों पर बैठाकर पुचकारा जाएगा. अध्याय देखें |
यहोवा यह कहता है, “मिस्रियों की कमाई और कूशियों के व्यापार का लाभ और सबाई लोग जो डील-डौलवाले हैं, तेरे पास चले आएँगे, और तेरे ही हो जाएँगे, वे तेरे पीछे-पीछे चलेंगे; वे साँकलों में बाँधे हुए चले आएँगे और तेरे सामने दण्डवत् कर तुझ से विनती करके कहेंगे, ‘निश्चय परमेश्वर तेरे ही साथ है और दूसरा कोई नहीं; उसके सिवाय कोई और परमेश्वर नहीं।’” (जक. 8:22,23, प्रका. 3:9)