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भजन संहिता 144:4 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

4 मनुष्य तो साँस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

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पवित्र बाइबल

4 मनुष्य का जीवन एक फूँक के समान होता है। मनुष्य का जीवन ढलती हुई छाया सा होता है।

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Hindi Holy Bible

4 मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 मानव श्‍वास के सदृश है, उसकी आयु के दिन ढलती छाया के समान हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 मनुष्य तो साँस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

4 मनुष्य तो श्‍वास के समान है, उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।

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भजन संहिता 144:4
16 क्रॉस रेफरेंस  

मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास के समान सूख चला हूँ।


मैं ढलती हुई छाया के समान जाता रहा हूँ; मैं टिड्डी के समान उड़ा दिया गया हूँ।


क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीतते जाते हैं।


उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।


हमको तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तो भी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन् ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे।


परन्तु दुष्ट का भला नहीं होने का, और न उसकी जीवनरूपी छाया लम्बी होने पाएगी, क्योंकि वह परमेश्वर का भय नहीं मानता।


मैंने उन सब कामों को देखा जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं; देखो वे सब व्यर्थ और मानो वायु को पकड़ना है।


उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।”


मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ, तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?


सचमुच नीच लोग तो अस्थाई, और बड़े लोग मिथ्या ही हैं; तौल में वे हलके निकलते हैं; वे सब के सब साँस से भी हलके हैं।


जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण डाँट-डपटकर ताड़ना देता है; तब तू उसकी सामर्थ्य को पतंगे के समान नाश करता है; सचमुच सब मनुष्य वृथाभिमान करते हैं।


तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं के समान पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया के समान बीत जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं। (इब्रा. 11:13, भज. 39:12, भज. 114:4)


फिर जो मिट्टी के घरों में रहते हैं, और जिनकी नींव मिट्टी में डाली गई है, और जो पतंगे के समान पिस जाते हैं, उनकी क्या गणना। (2 कुरि. 5:1)


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