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उत्पत्ति 7:12 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

12 और वर्षा चालीस दिन और चालीस रात निरन्तर पृथ्वी पर होती रही।

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Hindi Holy Bible

12 और वर्षा चालीस दिन और चालीस रात निरन्तर पृथ्वी पर होती रही।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 चालीस दिन और चालीस रात तक पृथ्‍वी पर वर्षा होती रही।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 और वर्षा चालीस दिन और चालीस रात निरन्तर पृथ्वी पर होती रही।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 और पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात वर्षा होती रही।

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उत्पत्ति 7:12
10 क्रॉस रेफरेंस  

पृथ्वी पर चालीस दिन तक जल-प्रलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ही गया, जिससे जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृथ्वी पर से ऊँचा उठ गया।


क्योंकि अब सात दिन और बीतने पर मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूँगा; और जितने प्राणी मैंने बनाए हैं उन सब को भूमि के ऊपर से मिटा दूँगा।”


गहरे समुद्र के सोते और आकाश के झरोखे बंद हो गए; और उससे जो वर्षा होती थी वह भी थम गई।


तब उसने उठकर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन-रात चलते-चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुँचा।


तब मूसा बादल के बीच में प्रवेश करके पर्वत पर चढ़ गया। और मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा।


वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। (निर्ग. 34:28)


“मैं तो पहले के समान उस पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा रहा, और उस बार भी यहोवा ने मेरी सुनी, और तुझे नाश करने की मनसा छोड़ दी।


तब तुम्हारे उस महापाप के कारण जिसे करके तुम ने यहोवा की दृष्टि में बुराई की, और उसे रिस दिलाई थी, मैं यहोवा के सामने मुँह के बल गिर पड़ा, और पहले के समान, अर्थात् चालीस दिन और चालीस रात तक, न तो रोटी खाई और न पानी पिया।


जब मैं उस वाचा के पत्थर की पटियाओं को जो यहोवा ने तुम से बाँधी थी लेने के लिये पर्वत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दिन और चालीस रात पर्वत ही के ऊपर रहा; और मैंने न तो रोटी खाई न पानी पिया।


इन्हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूबकर नाश हो गया। (उत्प. 7:11-21)


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