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उत्पत्ति 2:14 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

14 और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।

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पवित्र बाइबल

14 तीसरी नदी का नाम दजला है। यह नदी अश्शूर के पूर्व में बहती है। चौथी नदी फरात है।

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Hindi Holy Bible

14 और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है, यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

14 तीसरी नदी का नाम दजला है, जो असीरिया देश की पूर्व दिशा में बहती है। चौथी नदी का नाम फरात है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

14 और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है; यह वही है जो अश्शूर के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।

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नवीन हिंदी बाइबल

14 तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल है, जो अश्शूर देश के पूर्व की ओर बहती है। चौथी नदी का नाम फरात है।

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उत्पत्ति 2:14
11 क्रॉस रेफरेंस  

उस देश से वह निकलकर अश्शूर को गया, और नीनवे, रहोबोतीर और कालह को,


शेम के पुत्र: एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद और अराम हुए।


उसी दिन यहोवा ने अब्राम के साथ यह वाचा बाँधी, “मिस्र के महानद से लेकर फरात नामक बड़े नद तक जितना देश है,


और दूसरी नदी का नाम गीहोन है; यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है।


तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रखवाली करे।


और उसके वंश हवीला से शूर तक, जो मिस्र के सम्मुख अश्शूर के मार्ग में है, बस गए; और उनका भाग उनके सब भाई-बन्धुओं के सम्मुख पड़ा।


अर्थात् बाबेली और सब कसदियों को, और पकोद, शोया और कोआ के लोगों को; और उनके साथ सब अश्शूरियों को लाऊँगा जो सब के सब घोड़ों के सवार मनभावने जवान अधिपति, और कई प्रकार के प्रतिनिधि, प्रधान और नामी पुरुष हैं।


फिर पहले महीने के चौबीसवें दिन को जब मैं हिद्देकेल नाम नदी के तट पर था,


इसलिए अब यहाँ से कूच करो, और एमोरियों के पहाड़ी देश को, और क्या अराबा में, क्या पहाड़ों में, क्या नीचे के देश में, क्या दक्षिण देश में, क्या समुद्र के किनारे, जितने लोग एमोरियों के पास रहते हैं उनके देश को, अर्थात् लबानोन पर्वत तक और फरात नाम महानद तक रहनेवाले कनानियों के देश को भी चले जाओ।


जिस-जिस स्थान पर तुम्हारे पाँव के तलवे पड़ें वे सब तुम्हारे ही हो जाएँगे, अर्थात् जंगल से लबानोन तक, और फरात नामक महानद से लेकर पश्चिम के समुद्र तक तुम्हारी सीमा होगी।


मानो कोई छठवें स्वर्गदूत से, जिसके पास तुरही थी कह रहा है, “उन चार स्वर्गदूतों को जो बड़ी नदी फरात के पास बंधे हुए हैं, खोल दे।”


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