2 पतरस 2:1 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20191 जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करनेवाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे और उस प्रभु का जिसने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आपको शीघ्र विनाश में डाल देंगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबल1 जैसा भी रहा हो उन संत जनों के बीच जैसे झूठे नबी दिखाई पड़ने लगे थे बिलकुल वैसे ही झूठे नबी तुम्हारे बीच भी प्रकट होंगे। वे घातक धारणाओं का सूत्र-पात करेंगे और उस स्वामी तक को नकार देंगे जिसने उन्हें स्वतन्त्रता दिलायी। ऐसा करके वे अपने शीघ्र विनाश को निमन्त्रण देंगे। अध्याय देखेंHindi Holy Bible1 और जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे और उस स्वामी का जिस ने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)1 फिर भी इस्राएलियों में झूठे नबी भी प्रकट हुए और इसी प्रकार आप लोगों में झूठे धर्मशिक्षक उठ खड़े होंगे, जो गुप्त रूप से अनर्थकारी भ्रामक धारणाओं का प्रचार करेंगे। वे उस स्वामी को भी अस्वीकार करेंगे, जिसने उन्हें मोल लिया है, और इस प्रकार वे शीघ्र ही अपने विनाश का कारण बनेंगे। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)1 जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे, उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करनेवाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे, और उस स्वामी का जिसने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे, और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे। अध्याय देखेंनवीन हिंदी बाइबल1 जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यवक्ता थे, उसी प्रकार तुममें भी झूठे शिक्षक होंगे जो विनाशकारी विधर्मी शिक्षाओं को गुप्त रीति से लेकर आएँगे, और यहाँ तक कि वे उस स्वामी का जिसने उन्हें मोल लिया है, इनकार करेंगे। इस प्रकार वे शीघ्र ही अपने ऊपर विनाश ले आएँगे। अध्याय देखें |
“तब मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊँगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी शपथ खानेवालों के विरुद्ध, और जो मजदूर की मजदूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अंधेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभी के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूँगा,” सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। (याकू. 5:4)