25 रजोन अराम पर शासन करता था। रजोन इस्राएल से घृणा करता था, इसलिये सुलैमान जब तक जीवित रहा वह पूरे समय इस्राएल का शत्रु बना रहा। रजोन और हदद ने इस्राएल के लिये बड़ी परेशानियाँ उतपन्न कीं।
25 शलोमोन के पूरे जीवनकाल में वह इस्राएल का शत्रु ही बना रहा. हदद ने इस्राएल की हानि ही की थी. इसके अलावा रेज़ोन अराम का शासक को इस्राएल से घोर नफरत थी.
तब याकूब ने शिमोन और लेवी से कहा, “तुम ने जो इस देश के निवासी कनानियों और परिज्जियों के मन में मेरे प्रति घृणा उत्पन्न कराई है, इससे तुम ने मुझे संकट में डाला है, क्योंकि मेरे साथ तो थोड़े ही लोग हैं, इसलिए अब वे इकट्ठे होकर मुझ पर चढ़ेंगे, और मुझे मार डालेंगे, तो मैं अपने घराने समेत सत्यानाश हो जाऊँगा।”
अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, “जिन रखैलियों को तेरा पिता भवन की चौकसी करने को छोड़ गया, उनके पास तू जा; और जब सब इस्राएली यह सुनेंगे, कि अबशालोम का पिता उससे घिन करता है, तब तेरे सब संगी हियाव बाँधेंगे।”
और जब दाऊद ने सोबा के जनों को घात किया, तब रजोन अपने पास कई पुरुषों को इकट्ठे करके, एक दल का प्रधान हो गया, और वह दमिश्क को जाकर वहीं रहने और राज्य करने लगा।
और वह आसा से भेंट करने निकला, और उससे कहा, “हे आसा, और हे सारे यहूदा और बिन्यामीन, मेरी सुनो, जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुम्हारे संग रहेगा; और यदि तुम उसकी खोज में लगे रहो, तब तो वह तुम से मिला करेगा, परन्तु यदि तुम उसको त्याग दोगे तो वह भी तुम को त्याग देगा।