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1 यूहन्ना 4:12 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा ; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध होता है।

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पवित्र बाइबल

12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा है किन्तु यदि हम आपस में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हममें निवास करता है और उसका प्रेम हमारे भीतर सम्पूर्ण हो जाता है।

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Hindi Holy Bible

12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा। यदि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो परमेश्‍वर हम में निवास करता है और हम में उसका प्रेम परिपूर्णता तक पहुंच जाता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 परमेश्‍वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्‍वर हम में बना रहता है और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।

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नवीन हिंदी बाइबल

12 परमेश्‍वर को कभी किसी ने नहीं देखा। यदि हम आपस में प्रेम रखते हैं, तो परमेश्‍वर हममें बना रहता है और उसका प्रेम हममें सिद्ध हो चुका है।

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1 यूहन्ना 4:12
14 क्रॉस रेफरेंस  

परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।


पर जो कोई उसके वचन पर चले, उसमें सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है। हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उसमें हैं।


और अमरता केवल उसी की है, और वह अगम्य ज्योति में रहता है, और न उसे किसी मनुष्य ने देखा और न कभी देख सकता है। उसकी प्रतिष्ठा और राज्य युगानुयुग रहेगा। आमीन। (1 तीमु. 1:17)


यदि कोई कहे, “मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूँ,” और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है; क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।


और जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानता है, वह उसमें, और परमेश्वर उनमें बना रहता है: और इसी से, अर्थात् उस पवित्र आत्मा से जो उसने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है।


फिर उसने कहा, “तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।”


हम परमेश्वर के हैं। जो परमेश्वर को जानता है, वह हमारी सुनता है; जो परमेश्वर को नहीं जानता वह हमारी नहीं सुनता; इसी प्रकार हम सत्य की आत्मा और भ्रम की आत्मा को पहचान लेते हैं।


अब सनातन राजा अर्थात् अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।


उससे मैं गुप्त रीति से नहीं, परन्तु आमने-सामने और प्रत्यक्ष होकर बातें करता हूँ; और वह यहोवा का स्वरूप निहारने पाता है। इसलिए तुम मेरे दास मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे?”


तब याकूब ने यह कहकर उस स्थान का नाम पनीएल रखा; “परमेश्वर को आमने-सामने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है।”


विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उसने मिस्र को छोड़ दिया, क्योंकि वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा। (निर्ग. 2:15, निर्ग. 10:28,29)


पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थायी हैं, पर इनमें सबसे बड़ा प्रेम है।


और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस पर विश्वास है। परमेश्वर प्रेम है; जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उसमें बना रहता है।


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