सोचो, परमेश्वर के वचन में ही भाषाओं की उत्पत्ति का वर्णन है! और कितना अद्भुत है कि उनका संदेश इतनी सारी भाषाओं में पहुँचा है। हमारे पास, ईसाई होने के नाते, परमेश्वर का वचन अपनी ही भाषा में उपलब्ध है, ये कितनी बड़ी बात है। जब मुश्किल घड़ी आती है, जब लगता है कोई समझ नहीं रहा, तब ये वचन हमारी सुरक्षित पनाह बन जाता है। ऐसे समय में हमें याद आता है कि परमेश्वर हमारी भाषा बोलते हैं। उनके वचन में हमें सांत्वना, हौसला और शिक्षा मिलती है, और अपनी समस्याओं का हल भी।
ये पवित्र ग्रंथ हमारे जीवन का मार्गदर्शक है, जो हमें बताता है कि क्या करना उचित है और क्या नहीं। परमेश्वर की असीम कृपा है कि उन्होंने हमें एक-दूसरे से संवाद करने के साधन बनाने की क्षमता दी, चाहे हम दुनिया में कहीं भी हों। ये सोचकर मन कृतज्ञता से भर जाता है।
शास्त्र में लिखा है: “प्रभु ने कहा है, ‘मेरे जीवन की शपथ’ ‘हर किसी को मेरे सामने घुटने टेकने होंगे; और हर जुबान परमेश्वर को पहचानेगी।’”
बाढ़ के बाद सारा संसार एक ही भाषा बोलता था। सभी लोग एक ही शब्द समूह का प्रयोग करते थे।लोग पूर्व से बढ़े। उन्हें शिनार देश में एक मैदान मिला। लोग वहीं रहने के लिए ठहर गए।लोगों ने कहा, “हम लोगों को ईंटें बनाना और उन्हें आग में तपाना चाहिए, ताकि वे कठोर हो जाएं।” इसलिए लोगों ने अपने घर बनाने के लिए पत्थरों के स्थान पर ईंटों का प्रयोग किया और लोगों ने गारे के स्थान पर राल का प्रयोग किया।लोगों ने कहा, “हम अपने लिए एक नगर बनाएं और हम एक बहुत ऊँची इमारत बनाएँगे जो आकाश को छुएगी। हम लोग प्रसिद्ध हो जाएँगे। आगर हम लोग ऐसा करेंगे तो पूरी धरती पर बिखरेंगे नहीं, हम लोग एक जगह पर एक साथ रहेंगे।”यहोवा, नगर और बहुत ऊँची इमारत को देखने के लिए नीचे आया। यहोवा ने लोगों को यह सब बनाते देखा।यहोवा ने कहा, “ये सभी लोग एक ही भाषा बोलते हैं और मैं देखता हूँ कि वे इस काम को करने के लिए एकजुट हैं। यह तो, ये जो कुछ कर सकते हैं उसका केवल आरम्भ है। शीघ्र ही वे वह सब कुछ करने के योग्य हो जाएँगे जो ये करना चाहेंगे।इसलिए आओ हम नीचे चले और इनकी भाषा को गड़बड़ कर दें। तब ये एक दूसरे की बात नहीं समझेंगे।”यहोवा ने लोगों को पूरी पृथ्वी पर फैला दिया। इससे लोगों ने नगर को बनाना पूरा नहीं किया।यही वह जगह थी जहाँ यहोवा ने पूरे संसार की भाषा को गड़बड़ कर दिया था। इसलिए इस जगह का नाम बाबुल पड़ा। इस प्रकार यहोवा ने उस जगह से लोगों को पृथ्वी के सभी देशों में फैलाया।
मूर्ख को जैसे अधिक बोलना नहीं सजता है वैसे ही गरिमापूर्ण व्यक्ति को झूठ बोलना नहीं सजता।
यहोवा ने कहा, “ये सभी लोग एक ही भाषा बोलते हैं और मैं देखता हूँ कि वे इस काम को करने के लिए एकजुट हैं। यह तो, ये जो कुछ कर सकते हैं उसका केवल आरम्भ है। शीघ्र ही वे वह सब कुछ करने के योग्य हो जाएँगे जो ये करना चाहेंगे।इसलिए आओ हम नीचे चले और इनकी भाषा को गड़बड़ कर दें। तब ये एक दूसरे की बात नहीं समझेंगे।”
परमेश्वर ने यह वाचा यूसुफ़ के साथ तब किया था, जब परमेश्वर उसे मिस्र से दूर ले गया। मिस्र में हमने वह भाषा सुनी थी जिसे हम लोग समझ नहीं पाये थे।
न तो कोई बोली है, और न तो कोई भाषा, जहाँ उसका शब्द नहीं सुनाई पड़ता।उसकी “वाणी” भूमण्डल में व्यापती है और उसके “शब्द” धरती के छोर तक पहुँचते हैं। उनमें उसने सूर्य के लिये एक घर सा तैयार किया है।
“यहोवा तुम्हारे विरुद्ध बहुत दूर से एक राष्ट्र को लाएगा। यह राष्ट्र पृथ्वी की दूसरी ओर से आएगा। यह राष्ट्र तुम्हारे ऊपर आकाश से उतरते उकाब की तरह शीघ्रता से आक्रमण करेगा। तुम इस राष्ट्र की भाषा नहीं समझोगे।
फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा।
फ्रूगिया और पम्फूलिया, मिसर और साइरीन नगर के निकट लीबिया के कुछ प्रदेशों के लोग, रोम से आये यात्री जिनमें जन्मजात यहूदी और यहूदी धर्म ग्रहण करने वाले लोग, क्रेती तथा अरब के रहने वालेहम सब परमेश्वर के आश्चर्यपूर्ण कामों को अपनी अपनी भाषाओं में सुन रहे हैं।”वे सभी पवित्र आत्मा से भावित हो उठे। और आत्मा के द्वारा दिये गये सामर्थ्य के अनुसार वे दूसरी भाषाओं में बोलने लगे।वहाँ यरूशलेम में आकाश के नीचे के सभी देशों से आये यहूदी भक्त रहा करते थे।जब यह शब्द गरजा तो एक भीड़ एकत्र हो गयी। वे लोग अचरज में पड़े थे क्योंकि हर किसी ने उन्हें उसकी अपनी भाषा में बोलते सुना।वे आश्चर्य में भर कर विस्मय के साथ बोले, “ये बोलने वाले सभी लोग क्या गलीली नहीं हैं?फिर हममें से हर एक उन्हें हमारी अपनी मातृभाषा में बोलते हुए कैसे सुन रहा है?वहाँ पारथी, मेदी और एलामी, मिसुपुतामिया के निवासी, यहूदिया और कप्पूदूकिया, पुन्तुस और एशिया।
इसलिए हे मेरे भाईयों, परमेश्वर की ओर से बोलने को तत्पर रहो तथा दूसरी भाषाओं में बोलने वालों को भी मत रोको।किन्तु ये सभी बातें सही ढ़ंग से और व्यवस्थानुसार की जानी चाहियें।
तो फिर उसके अनुग्रह के अनुसार हमें जो अलग-अलग उपहार मिले हैं, हम उनका प्रयोग करें। यदि किसी को भविष्यवाणी की क्षमता दी गयी है तो वह उसके पास जितना विश्वास है उसके अनुसार भविष्यवाणी करे।
फिर उस ढंढोरची ने, जो राजा की घोषनाएँ प्रसारित किया करता था, ऊँचे स्वर में कहा, “सुनों, सुनों, अरे ओ अलग अलग जातियों और भाषा समूह के लोगों! तुम्हें जो करने की आज्ञा दी गयी है, वह यह है,तुम जब सभी संगीत वाद्यों की ध्वनि सुनो तो तुम्हें तत्काल झुक कर प्रणाम करना होगा। तुम जब नरसिगों, बाँसुरियों, सितारों, सात तारों वाले बाजों, वीणओं, और मशक—शहनाई तथा अन्य सभी प्रकार के बाजों की आवाज़ सुनो तो तुम्हें सोने की इस प्रतिमा की पूजा करनी है। इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा राजा नबूकदनेस्सर ने की है।
हे मेरे भाईयों, तुममें से बहुत से को उपदेशक बनने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तुम जानते ही हो कि हम उपदेशकों का और अधिक कड़ाई के साथ न्याय किया जाएगा।एक ही मुँह से आशीर्वाद और अभिशाप दोनों निकलते हैं। मेरे भाईयों, ऐसा तो नहीं होना चाहिए।सोते के एक ही मुहाने से भला क्या मीठा और खारा दोनों तरह का जल निकल सकता है?मेरे भाईयों क्या अंजीर के पेड़ पर जैतून या अंगूर की लता पर कभी अंजीर लगते हैं? निश्चय ही नहीं। और न ही खारे स्रोत से कभी मीठा जल निकल पाता है।मैं तुम्हें ऐसे इसलिए चेता रहा हूँ कि हम सबसे बहुत सी भूल होती ही रहती हैं। यदि कोई बोलने में कोई भी चूक न करे तो वह एक सिद्ध व्यक्ति है तो फिर ऐसा कौन है जो उस पर पूरी तरह काबू पा सकता है?हम घोड़ों के मुँह में इसलिए लगाम लगाते हैं कि वे हमारे बस में रहें और इस प्रकार उनके समूचे देह को हम वश में कर सकते हैं।अथवा जलयानो का उदाहरण भी लिया जा सकता है। देखो, चाहे वे कितने ही बड़े होते हैं और शक्तिशाली हवाओं द्वारा चलाए जाते हैं, किन्तु एक छोटी सी पतवार से उनका नाविक उन्हें जहाँ कहीं ले जाना चाहता है, उन पर काबू पाकर उन्हें ले जाता है।इसी प्रकार जीभ, जो देह का एक छोटा सा अंग है, बड़ी-बड़ी बातें कर डालने की डींगे मारती है। अब तनिक सोचो एक जरा सी लपट समूचे जंगल को जला सकती है।हाँ, जीभ एक लपट है। यह बुराई का एक पूरा संसार है। यह जीभ हमारे देह के अंगों में एक ऐसा अंग है, जो समूचे देह को भ्रष्ट कर डालता है और हमारे समूचे जीवन चक्र में ही आग लगा देता है। यह जीभ नरक की आग से धधकती रहती है।देखो, हर प्रकार के हिंसक पशु, पक्षी, रेंगने वाले जीव जंतु, पानी में रहने वाले प्राणी मनुष्य द्वारा वश में किए जा सकते हैं और किए भी गए हैं।किन्तु जीभ को कोई मनुष्य वश में नहीं कर सकता। यह घातक विष से भरी एक ऐसी बुराई है जो कभी चैन से नहीं रहती।हम इसी से अपने प्रभु और परमेश्वर की स्तुति करते हैं और इसी से लोगों को जो परमेश्वर की समरूपता में उत्पन्न किए गए हैं, कोसते भी हैं।
दीवार पर जो शब्द लिखे गये हैं, वे ये हैं: मने, मने, तकेल, ऊपर्सीना।“इन शब्दों का अर्थ यह है, मने: अर्थात् जब तेरे राज्य का अंत होगा, परमेश्वर ने तब तक के दिन गिन लिये हैं।तकेल: अर्थात् तराजू पर तुझे तोल लिया गया है और तू पूरा नहीं उतरा है।ऊपर्सीन: अर्थात् तुझसे तेरा राज्य छीना जा रहा है और उसका बंटवारा हो रहा है। यह राज्य मादियों और फारसियों के लोगों को दे दिया जायेगा।”
सो, जाओ और सभी देशों के लोगों को मेरा अनुयायी बनाओ। तुम्हें यह काम परम पिता के नाम में, पुत्र के नाम में और पवित्र आत्मा के नाम में, उन्हें बपतिस्मा देकर पूरा करना है।
जो मुझमें विश्वास करेंगे, उनमें ये चिह्न होंगे: वे मेरे नाम पर दुष्टात्माओं को बाहर निकाल सकेंगे, वे नयी-नयी भाषा बोलेंगे,
वे सभी पवित्र आत्मा से भावित हो उठे। और आत्मा के द्वारा दिये गये सामर्थ्य के अनुसार वे दूसरी भाषाओं में बोलने लगे।वहाँ यरूशलेम में आकाश के नीचे के सभी देशों से आये यहूदी भक्त रहा करते थे।जब यह शब्द गरजा तो एक भीड़ एकत्र हो गयी। वे लोग अचरज में पड़े थे क्योंकि हर किसी ने उन्हें उसकी अपनी भाषा में बोलते सुना।
फ्रूगिया और पम्फूलिया, मिसर और साइरीन नगर के निकट लीबिया के कुछ प्रदेशों के लोग, रोम से आये यात्री जिनमें जन्मजात यहूदी और यहूदी धर्म ग्रहण करने वाले लोग, क्रेती तथा अरब के रहने वालेहम सब परमेश्वर के आश्चर्यपूर्ण कामों को अपनी अपनी भाषाओं में सुन रहे हैं।”फिर हममें से हर एक उन्हें हमारी अपनी मातृभाषा में बोलते हुए कैसे सुन रहा है?वहाँ पारथी, मेदी और एलामी, मिसुपुतामिया के निवासी, यहूदिया और कप्पूदूकिया, पुन्तुस और एशिया।
सो अब किसी में कोई अन्तर नहीं रहा न कोई यहूदी रहा, न ग़ैर यहूदी, न दास रहा, न स्वतन्त्र, न पुरुष रहा, न स्त्री, क्योंकि मसीह यीशु में तुम सब एक हो।
परिणामस्वरूप वहाँ यहूदी और ग़ैर यहूदी में कोई अन्तर नहीं रह गया है, न किसी ख़तना युक्त और ख़तना रहित में, न किसी असभ्य और बर्बर में, न दास और एक स्वतन्त्र व्यक्ति में कोई अन्तर है। मसीह सर्वेसर्वा है और सब विश्वासियों में उसी का निवास है।
वे उन्हें नाना भाषाएँ बोलते और परमेश्वर की स्तुति करते हुए सुन रहे थे। तब पतरस बोला,
तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो।
फिर जब पौलुस ने उन पर अपने हाथ रखे तो उन पर पवित्र आत्मा उतर आया और वे अलग अलग भाषाएँ बोलने और भविष्यवाणियाँ करने लगे।
और किसी अन्य व्यक्ति को आश्चर्यपूर्ण शक्तियाँ दी गयी हैं तो किसी दूसरे को परमेश्वर की और से बोलने का सामर्थ्य दिया गया है। और किसी को मिली है भली बुरी आत्माओं के अंतर को पहचानने की शक्ति। किसी को अलग-अलग भाषाएँ बोलने की शक्ति प्राप्त हुई है, तो किसी को भाषाओं की व्याख्या करके उनका अर्थ निकालने की शक्ति।
यहोवा जो भी करता है, अच्छा ही करता है। यहोवा जो भी करता, उसमें निज सच्चा प्रेम प्रकट करता है।
ओ सभी लोगों, परमेश्वर के आराधकों। आओ, मैं तुम्हें बताऊँगा कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या किया है।
इतना ही नहीं परमेश्वर ने कलीसिया में पहले प्रेरितों को, दूसरे नबियों को, तीसरे उपदेशकों को, फिर आश्चर्यकर्म करने वालों को, फिर चंगा करने की शक्ति से युक्त व्यक्तियों को, फिर उनको जो दूसरों की सहायता करते हैं, प्रस्थापित किया है, फिर अगुवाई करने वालों को और फिर उन लोगों को जो विभिन्न भाषाएँ बोल सकते हैं।
यदि मैं मनुष्यों और स्वर्गदूतों की भाषाएँ तो बोल सकूँ किन्तु मुझमें प्रेम न हो, तो मैं एक बजता हुआ घड़ियाल या झंकारती हुई झाँझ मात्र हूँ।
क्योंकि जिसे दूसरे की भाषा में बोलने का वरदान मिला है, वह तो वास्तव में लोगों से नहीं बल्कि परमेश्वर से बातें कर रहा है। क्योंकि उसे कोई समझ नहीं पाता, वह तो आत्मा की शक्ति से रहस्यमय वाणी बोल रहा है।
ताकि तुम सब एक साथ एक स्वर से हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमपिता, परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।
अब मैं चाहता हूँ कि तुम सभी दूसरी अनेक भाषाएँ बोलो किन्तु इससे भी अधिक मैं यह चाहता हूँ कि तुम परमेश्वर की ओर से बोल सको क्योंकि कलीसिया की आध्यत्मिक सुदृढ़ता के लिये अपने कहे की व्याख्या करने वाले को छोड़ कर, दूसरी भाषाएँ बोलने वाले से परमेश्वर की ओर से बोलने वाला बड़ा है।
इसमें कोई सन्देह नहीं हैं कि संसार में भाँति-भाँति की बोलियाँ है और उनमें से कोई भी निरर्थक नहीं है।सो जब तक मैं उस भाषा का जानकार नहीं हूँ, तब तक बोलने वाले के लिये मैं एक अजनबी ही रहूँगा। और वह बोलने वाला मेरे लिये भी अजनबी ही ठहरेगा।
जो कोई प्रवचन करे वह ऐसे करे, जैसे मानो परमेश्वर से प्राप्त वचनों को ही सुना रहा हो। जो कोई सेवा करे, वह उस शक्ति के साथ करे, जिसे परमेश्वर प्रदान करता है ताकि सभी बातों में यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो। महिमा और सामर्थ्य सदा सर्वदा उसी की है। आमीन!
मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि मैं तुम सब से बढ़कर विभिन्न भाषाएँ बोल सकता हूँ।किन्तु कलीसिया सभा के बीच किसी दूसरी भाषा में दसियों हज़ार शब्द बोलने की अपेक्षा अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए बस पाँच शब्द बोलना अच्छा समझता हूँ ताकि दूसरों को भी शिक्षा दे सकूँ।
पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ और अपने पापों की क्षमा पाने के लिये तुममें से हर एक को यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेना चाहिये। फिर तुम पवित्र आत्मा का उपहार पा जाओगे।क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम्हारे लिये, तुम्हारी संतानों के लिए और उन सबके लिये है जो बहुत दूर स्थित हैं। यह प्रतिज्ञा उन सबके लिए है जिन्हें हमारा प्रभु परमेश्वर को अपने पास बुलाता है।”
अरे ओ साँप के बच्चो! जब तुम बुरे हो तो अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? व्यक्ति के शब्द, जो उसके मन में भरा है, उसी से निकलते हैं।एक अच्छा व्यक्ति जो अच्छाई उसके मन में इकट्ठी है, उसी में से अच्छी बातें निकालता है। जबकि एक बुरा व्यक्ति जो बुराई उसके मन में है, उसी में से बुरी बातें निकालता है।किन्तु मैं तुम लोगों को बताता हूँ कि न्याय के दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने हर व्यर्थ बोले शब्द का हिसाब देना होगा।तेरी बातों के आधार पर ही तुझे निर्दोष और तेरी बातों के आधार पर ही तुझे दोषी ठहराया जायेगा।”
जैसा कि शास्त्र कहता है: “उनका उपयोग करते हुए जो अन्य बोली बोलते हैं, उनके मुखों का उपयोग करते हुए जो पराए हैं। मैं इनसे बात करूँगा, पर तब भी ये मेरी न सुनेंगे।” प्रभु ऐसा ही कहता है।सो दूसरी भाषाएँ बोलने का वरदान अविश्वासियों के लिए संकेत है न कि विश्वासियों के लिये। जबकि परमेश्वर की ओर से बोलना अविश्वासियों के लिये नहीं, बल्कि विश्वासियों के लिये है।
हे भाईयों, तो फिर क्या करना चाहिये? तुम जब इकट्ठे होते हो तो तुममें से कोई भजन, कोई उपदेश और कोई आध्यात्मिक रहस्य का उद्घाटन करता है। कोई किसी अन्य भाषा में बोलता है तो कोई उसकी व्याख्या करता है। ये सब बाते कलीसिया की आत्मिक सुदृढ़ता के लिये की जानी चाहिये।यदि किसी अन्य भाषा में बोलना है तो अधिक से अधिक दो या तीन को ही बोलना चाहिये-बारी-बारी, एक-एक करके। और जो कुछ कहा गया है, एक को उसकी व्याख्या करनी चाहिये।यदि वहाँ व्याख्या करने वाला कोई न हो तो बोलने वाले को चाहिये कि वह सभा में चुप ही रहे और फिर उसे अपने आप से और परमेश्वर से ही बातें करनी चाहिये।
इसके बाद मैंने देखा कि मेरे सामने एक विशाल भीड़ खड़ी थी जिसकी गिनती कोई नहीं कर सकता था। इस भीड़ में हर जाति के हर वंश के, हर कुल के तथा हर भाषा के लोग थे। वे उस सिंहासन और उस मेमने के आगे खड़े थे। वे श्वेत वस्त्र पहने थे और उन्होंने अपने हाथों में खजूर की टहनियाँ ली हुई थीं।
इस पर वह मुझसे बोला, “तुझे बहुत से लोगों, राष्ट्रों, भाषाओं और राजाओं के विषय में फिर भविष्यवाणी करनी होगी।”
फिर मैंने आकाश में ऊँची उड़ान भरते एक और स्वर्गदूत को देखा। उसके पास धरती के निवासियों, प्रत्येक देश, जाति, भाषा और कुल के लोगों के लिए सुसमाचार का एक अनन्त सन्देश था।
दुष्ट जन मेरे विषय में झूठी बातें कर रहे हैं। वे दुष्ट लोग ऐसा कह रहें जो सच नहीं है।
तुम्हारी बोली सदा मीठी रहे और उससे बुद्धि की छटा बिखरे ताकि तुम जान लो कि किस व्यक्ति को कैसे उत्तर देना है।
प्रभु के एक दूत ने फिलिप्पुस को कहते हुए बताया, “तैयार हो, और दक्षिण दिशा में उस राह पर जा, जो यरूशलेम से गाजा को जाती है।” (यह एक सुनसान मार्ग है।)सो वह तैयार हुआ और चल पड़ा। वहीं एक कूश का खोजा था। वह कूश की रानी कंदाके का एक अधिकारी था जो उसके समुचे कोष का कोषपाल था। वह आराधना के लिये यरूशलेम गया था।लौटते हुए वह अपने रथ में बैठा भविष्यवक्ता यशायाह का ग्रंथ पढ़ रहा था।तभी फिलिप्पुस को आत्मा से प्रेरणा मिली, “उस रथ के पास जा और वहीं ठहर।”फिलिप्पुस जब उस रथ के पास दौड़ कर गया तो उसने उसे यशायाह को पढ़ते सुना। सो वह बोला, “क्या जिसे तू पढ़ रहा है, उसे समझता है?”उसने कहा, “मैं भला तब तक कैसे समझ सकता हूँ, जब तक कोई मुझे इसकी व्याख्या नहीं करे?” फिर उसने फिलिप्पुस को रथ पर अपने साथ बैठने को बुलाया।शास्त्र के जिस अंश को वह पढ़ रहा था, वह था: “उसे वध होने वाली भेड़ के समान ले जाया जा रहा था। वह तो उस मेमने के समान चुप था। जो अपनी ऊन काटने वाले के समक्ष चुप रहता है, ठीक वैसे ही उसने अपना मुँह खोला नहीं!ऐसी दीन दशा में उसको न्याय से वंचित किया गया। उसकी पीढ़ी का कौन वर्णन करेगा? क्योंकि धरती से उसका जीवन तो ले लिया था।” उस खोजे ने फिलिप्पुस से कहा, “अनुग्रह करके मुझे बता कि भविष्यवक्ता यह किसके बारे में कह रहा है? अपने बारे में या किसी और के?”फिर फिलिप्पुस ने कहना शुरू किया और इस शास्त्र से लेकर यीशु के सुसमाचार तक सब उसे कह सुनाया।
फिर उसने उनसे कहा, “ये बातें वे हैं जो मैंने तुमसे तब कही थीं, जब मैं तुम्हारे साथ था। हर वह बात जो मेरे विषय में मूसा की व्यवस्था में नबियों तथा भजनों की पुस्तक में लिखा है, पूरी होनी ही हैं।”फिर पवित्र शास्त्रों को समझने केलिये उसने उनकी बुद्धि के द्वार खोल दिये।और उसने उनसे कहा, “यह वही है, जो लिखा है कि मसीह यातना भोगेगा और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा।और पापों की क्षमा के लिए मनफिराव का यह संदेश यरूशलेम से आरंभ होकर सब देशों में प्रचारित किया जाएगा। तुम इन बातों के साक्षी हो।
सो, जाओ और सभी देशों के लोगों को मेरा अनुयायी बनाओ। तुम्हें यह काम परम पिता के नाम में, पुत्र के नाम में और पवित्र आत्मा के नाम में, उन्हें बपतिस्मा देकर पूरा करना है।वे सभी आदेश जो मैंने तुम्हें दिये हैं, उन्हें उन पर चलना सिखाओ। और याद रखो इस सृष्टि के अंत तक मैं सदा तुम्हारे साथ रहूँगा।”
और किसी अन्य व्यक्ति को आश्चर्यपूर्ण शक्तियाँ दी गयी हैं तो किसी दूसरे को परमेश्वर की और से बोलने का सामर्थ्य दिया गया है। और किसी को मिली है भली बुरी आत्माओं के अंतर को पहचानने की शक्ति। किसी को अलग-अलग भाषाएँ बोलने की शक्ति प्राप्त हुई है, तो किसी को भाषाओं की व्याख्या करके उनका अर्थ निकालने की शक्ति।किन्तु यह वही एक आत्मा है जो जिस-जिस को जैसा-जैसा ठीक समझता है, देते हुए, इन सब बातों को पूरा करता है।हर किसी में आत्मा किसी न किसी रूप में प्रकट होता है जो हर एक की भलाई के लिये होता है।किसी को आत्मा के द्वारा परमेश्वर के ज्ञान से युक्त होकर बोलने की योग्यता दी गयी है तो किसी को उसी आत्मा द्वारा दिव्य ज्ञान के प्रवचन की योग्यता।और किसी को उसी आत्मा द्वारा विश्वास का वरदान दिया गया है तो किसी को चंगा करने की क्षमताएँ उसी आत्मा के द्वारा दी गयी हैं।
इसलिए आओ हम नीचे चले और इनकी भाषा को गड़बड़ कर दें। तब ये एक दूसरे की बात नहीं समझेंगे।”
यही वह जगह थी जहाँ यहोवा ने पूरे संसार की भाषा को गड़बड़ कर दिया था। इसलिए इस जगह का नाम बाबुल पड़ा। इस प्रकार यहोवा ने उस जगह से लोगों को पृथ्वी के सभी देशों में फैलाया।
नबूकदनेस्सर को केवल हट्टे—कट्टे यहूदी जवान ही चाहिये थे। राजा को बस ऐसे युवक ही चाहिये थे जिनके शरीर पर कोई खरोंच तक न लगी हो और उनका शरीर किसी भी तरह के दोष से रहित हो। राजा सुन्दर, चुस्त और बुद्धिमान नौजवान ही चाहता था। राजा को ऐसे युवक चाहिये थे जो बातों को शीघ्रता से और सरलता से सीखने में समर्थ हों। राजा को ऐसे युवको की आवश्यकता थी जो उसके महल में सेवा कार्य कर सकें। राजा ने अशपनज को आदेश दिया कि उन इस्राएली युवकों को कसदियों की भाषा और लिपि की शिक्षा दी जाये।
मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे शिक्षा देने की योग्यता दी है। इसी से अब इन दु:खी लोगों को मैं सशक्त बना रहा हूँ। हर सुबह वह मुझे जगाता है और एक शिष्य के रूप में शिक्षा देता है।
और उन विवाहों से उत्पन्न हुए आधे बच्चे तो यहूदी भाषा को बोलना तक नहीं जानते हैं। वे बच्चे अश्दौद, अम्मोन और मोआब की बोली बोलते थे।
वे कहते, “‘शिब्बोलेत’ शब्द का उच्चारण करो।” एप्रैम के लोग उस शब्द का शुद्ध उच्चारण नहीं कर सकते थे। वे उसे “सिब्बोलेत” शब्द उच्चारण करते थे। यदि एप्रैम में से बचा व्यक्ति “सिब्बोलेत” शब्द का उच्चारण करता तो गिलाद के लोग उसे घाट पर मार देते थे। इस प्रकार उस समय एप्रैम में से बयालीस हजार व्यक्ति मारे गए थे।
वे लोग शेम के परिवार से थे। वे परिवार, भाषा, प्रदेश और राष्ट्र की इकाईयों में व्यवस्थित थे।
बाद में, जब अर्तक्षत्र फारस का नया राजा हुआ, इन लोगों में से कुछ ने यहूदियों के विरुद्ध शिकायत करते हुए एक और पत्र लिखा। जिन लोगों ने वह पत्र लिखा, वे ये थे: बिशलाम, मिथदात, ताबेल और उसके दल के अन्य लोग। उन्होंने पत्र राजा अर्तक्षत्र को अरामी में अरामी लिपि का उपयोग करते हुए लिखा।
तब हिलकिय्याह का पुत्र एल्याकीम, शेब्ना और योआह ने सेनापति से कहा, “कृपया हमसे अरामी में बातें करें। हम उस भाषा को समझते हैं। यहूदा की भाषा में हम लोगों से बातें न करें क्योंकि दीवार पर के लोग हम लोगों की बातें सुन सकते हैं!”