प्रोवर्ब्स १२:२२ हमें सिखाता है कि झूठ बोलने वाले होंठ परमेश्वर के लिए घृणित हैं, लेकिन जो सच्चाई का पालन करते हैं, वही उसे प्रसन्न करते हैं। इससे पता चलता है कि ईमानदार होना परमेश्वर को प्रसन्न करने का एक तरीका है।
ईमानदारी का मतलब सिर्फ़ सच बोलना ही नहीं है, बल्कि हर परिस्थिति में सही और न्यायपूर्ण तरीके से काम करना भी है। इफिसियों ४:२५ में, हमें झूठ बोलना छोड़कर अपने पड़ोसी से सच बोलने के लिए कहा गया है, क्योंकि हम एक ही शरीर के अंग हैं। इसलिए, यह याद रखना ज़रूरी है कि हमारी ईमानदारी न केवल परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को, बल्कि दूसरों के साथ हमारे रिश्तों को भी प्रभावित करती है।
भजन संहिता में, हमें ईमानदारी के महत्व पर एक बहुत ही शक्तिशाली विचार मिलता है। भजन संहिता १५:२ में पूछा गया है: "वह कौन है जो उसकी पवित्र पहाड़ी पर चढ़ सकता है? वह जो खराई से चलता और धर्म का काम करता, और अपने हृदय से सच बोलता है।" यह कथन हमें याद दिलाता है कि ईमानदारी हमारे दिल में गहराई से बसी एक गुणवत्ता होनी चाहिए, न कि केवल एक सतही व्यवहार। इसका मतलब सिर्फ़ हर समय सच बोलना ही नहीं, बल्कि अपने इरादों और कार्यों में भी सच्चे और पारदर्शी होना है।
रोमियों १२:१७ में, हमें सिखाया गया है कि बुराई के बदले बुराई न करें, बल्कि सबके सामने भलाई करने का यत्न करें। इसका मतलब है कि न्यायपूर्ण और ईमानदार तरीके से काम करना, भले ही दूसरे हमारे साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार करें।
संक्षेप में, ईमानदारी हर विश्वासी के जीवन में एक आवश्यक मूल्य है। ईमानदारी का अभ्यास करके, हम परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता दिखाते हैं और दूसरों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत करते हैं।
हे भाईयों, उन बातों का ध्यान करो जो सत्य हैं, जो भव्य है, जो उचित है, जो पवित्र है, जो आनन्द दायी है, जो सराहने योग्य है या कोई भी अन्य गुण या कोई प्रशंसा
अपने आप को परमेश्वर द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो परमेश्वर के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो,
सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सच बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं।
हे प्यारे बच्चों, हमारा प्रेम केवल शब्दों और बातों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि वह कर्ममय और सच्चा होना चाहिए।
वे लोग जिन पर थोड़े से के लिये विश्वास किया जायेगा और इसी तरह जो थोड़े से के लिए बेईमान हो सकता है वह अधिक के लिए भी बेईमान होगा।
आपस में झूठ मत बोलो क्योंकि तुमने अपने पुराने व्यक्तित्व को उसके कर्मो सहित उतार फेंका है।
यदि हम कहें कि हम उसके साझी हैं और पाप के अन्धकारपूर्ण जीवन को जीते रहे तो हम झूठ बोल रहे हैं और सत्य का अनुसरण नहीं कर रहे हैं।
शास्त्र कहता है: “जो जीवन का आनन्द उठाना चाहे जो समय की सद्गति को देखना चाहे उसे चाहिए वह कभी कहीं बुरे बोल न बोले। वह अपने होठों को छल वाणी से रोके
जिस किसी का तुझे देना है, उसे चुका दे। जो कर तुझे देना है, उसे दे। जिसकी चूँगी तुझ पर निकलती है, उसे चूँगी दे। जिससे तुझे डरना चाहिए तू उससे डर। जिसका आदर करना चाहिए उसका आदर कर।
किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है।
जब तक ऐसा करना तेरी शक्ति में हो अच्छे को उनसे बचा कर मत रख जो जन अच्छा फल पाने योग्य है।
क्योंकि हमें अपनी अच्छी साख बनाए रखनेकी चिंता है। न केवल प्रभु के आगे, बल्कि लोगों के बीच भी।
यदि तू ‘हाँ’ चाहता है तो केवल ‘हाँ’ कह और ‘ना’ चाहता है तो केवल ‘ना’ क्योंकि इससे अधिक जो कुछ है वह शैतान से है।
ऐसे होठों से यहोवा घृणा करता है जो झूठ बोलते हैं, किन्तु उन लोगों से जो सत्य से पूर्ण हैं, वह प्रसन्न रहता है।
मनुष्य को अच्छा है कि वह दयालु और उदार हो। मनुष्य को यह उत्तम है कि वह अपने व्यापार में खरा रहे।
तभी तू समझेगा की नेक क्या है, न्यायपूर्ण क्या है, और पक्षपात रहित क्या है, यानी हर भली राह।
तुम में से हर एक को अब यहोवा से डरना चाहिए। जो करो उसमें सावधान रहो क्योंकि हमारा यहोवा परमेश्वर न्यायी है। वह किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानकर व्यवहार नही करता। वह अपने निर्णय को बदलने के लिये धन नही लेता।”
खरे तराजू और माप यहोवा से मिलते हैं, उसी ने ये सब थैली के बट्टे रचे हैं। ताकि कोई किसी को छले नहीं।
विधर्मियों के बीच अपना व्यवहार इतना उत्तम बनाये रखो कि चाहे वे अपराधियों के रूप में तुम्हारी आलोचना करें किन्तु तुम्हारे उत्तम कर्मों के परिणाम स्वरूप परमेश्वर के आने के दिन वे परमेश्वर को महिमा प्रदान करें।
“तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए। तुम्हें लोगों को ठगना नहीं चाहिए। तुम्हें आपस में झूठ नहीं बोलना चाहिए।
इसीलिये मैं भी परमेश्वर और लोगों के समक्ष सदा अपनी अन्तरात्मा को शुद्ध बनाये रखने के लिए प्रयत्न करता रहता हूँ।
“लोगों के विरुद्ध झूठ मत बोलो। यदि तुम न्यायालय में गवाह हो तो बुरे व्यक्ति की सहायता के लिए झूठ मत बोलो।
हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है, और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
ये हैं छ: बातें वे जिनसे यहोवा घृणा रखता और ये ही सात बातें जिनसे है उसको बैर:गर्वीली आँखें, झूठ से भरी वाणी, वे हाथ जो अबोध के हत्यारे हैं।ऐसा हृदय जो कुचक्र भरी योजनाएँ रचता रहताहै, ऐसे पैर जो पाप के मार्ग पर तुरन्त दौड़ पड़ते हैं।वह झूठा गवाह, जो निरन्तर झूठ उगलता है और ऐसा व्यक्ति जो भाईयों के बीच फूट डाले।
हे परमेश्वर, तू चाहता है, हम विश्वासी बनें। और मैं निर्भय हो जाऊँ। इसलिए तू मुझको सच्चे विवेक से रहस्यों की शिक्षा दे।
बल्कि हम प्रेम के साथ सत्य बोलते हुए हर प्रकार से मसीह के जैसे बनने के लिये विकास करते जायें। मसीह सिर है,
“सावधान रहो! परमेश्वर चाहता है, उन कामों का लोगों के सामने दिखावा मत करो नहीं तो तुम अपने परम-पिता से, जो स्वर्ग में है, उसका प्रतिफल नहीं पाओगे।“इसलिये जब तुम किसी दीन-दुःखी को दान देते हो तो उसका ढोल मत पीटो, जैसा कि आराधनालयों और गलियों में कपटी लोग औंरों से प्रशंसा पाने के लिए करते हैं। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उन्हें तो इसका पूरा फल पहले ही दिया जा चुका है।किन्तु जब तू किसी दीन दुःखी को देता है तो तेरा बायाँ हाथ न जान पाये कि तेरा दाहिना हाथ क्या कर रहा है।ताकि तेरा दान छिपा रहे। तेरा वह परम पिता जो तू छिपाकर करता है उसे भी देखता है, वह तुझे उसका प्रतिफल देगा।
बुराई का बदला बुराई से किसी को मत दो। सभी लोगों की आँखों में जो अच्छा हो उसे ही करने की सोचो।
इसलिए हम वैसे ही उत्तम रीति से रहें जैसे दिन के समय रहते हैं। बहुत अधिक दावतों में जाते हुए खा पीकर धुत्त न हो जाओ। लुच्चेपन दुराचार व्यभिचार में न पड़ें। न झगड़ें और न ही डाह रखें।
हे मेरे भाईयों, सबसे बड़ी बात यह है कि स्वर्ग की अथवा धरती की या किसी भी प्रकार की कसमें खाना छोड़ो। तुम्हारी “हाँ”, हाँ होनी चाहिए, और “ना” ना होनी चाहिए। ताकि तुम पर परमेश्वर का दण्ड न पड़े।
“तम्हें न्याय करते समय लोगों के प्रति ईमानदार होना चाहिए। तुम्हें चीज़ों के नापने और तौलने में ईमानदार होना चाहिए।तुम्हारी टोकरियाँ ठीक माप की होनी चाहिए। तुम्हारे नापने के पात्रों में द्रव की उचित मात्रा आनी चाहिए। तुम्हारे तराजू और तुम्हारे बाट चीज़ों को ठीक तौलने वाले होने चाहिए। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ! मैं तुम्हें मिस्र देश से बाहर लाया!
यह भी परमेश्वर की इच्छा है कि इस विषय में कोई अपने भाई के प्रति कोई अपराध न करे या कोई अनुचित लाभ न उठाये, क्योंकि ऐसे सभी पापों के लिए प्रभु दण्ड देगा जैसा कि हम तुम्हें बता ही चुके हैं और तुम्हें सावधान भी कर चुके हैं।
किन्तु तुम्हें यह करना चाहिए: अपने पङोसीयों से सत्य बोलो। जब तुम अपने नगरों में निर्णय लो, तो वह करो जो सत्य और शान्ति लाने वाला हो।अपने पङोसियों को चाट पहुँचाने के लिये गुप्त योजनायें न बनाओ! झुठी प्रतिज्ञायें न करो! ऐसा करने में तुम्हें आन्नद नही लेना चाहिये। क्यों क्योंकि मैं उन बातों से घृणा करता हूँ।” यहोवा ने यह सब कहा।
हे यहोवा, मेरा न्याय कर, प्रमाणित कर कि मैंने पवित्र जीवन बिताया है। मैंने यहोवा पर कभी विश्वस करना नहीं छोड़ा।
वे लोग ही इस आग में से बच पायेंगे जो अच्छे हैं, सच्चे हैं। वे लोग पैसे के लिये दूसरों को हानि नहीं पहुँचाना चाहते। वे लोग घूस नहीं लेते। दूसरे लोगों की हत्याओं की योजना को वे सुनने तक से मना कर देते हैं। बुरे काम करने की योजनाओं को वे देखना भी नहीं चाहते।
किन्तु तुम्हें भी यहोवा का सम्मान करते रहना चाहिये। तुम्हें पूरे हृदय से यहोवा की सेवा सच्चाई के साथ करनी चाहिये। उन अद्भुत कामों को याद रखो जिन्हें उसने तुम्हारे लिये किये।
यीशु ने नतनएल को अपनी तरफ आते हुए देखा और उसके बारे में कहा, “यह है एक सच्चा इस्राएली जिसमें कोई खोट नहीं है।”
निश्चय ही हम जब लोगों का ध्यान अपने उपदेशों की ओर खींचना चाहते हैं तो वह इसलिए नहीं कि हम कोई भटके हुए हैं। और न ही इसलिए कि हमारे उद्देश्य दूषित हैं और इसलिए भी नहीं कि हम लोगों को छलने का जतन करते हैं।हम लोगों को खुश करने की कोशिश नहीं करते बल्कि हम तो उस परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं जो हमारे मन का भेद जानता है।
मैं अपने घर में ऐसे लोगों को रहने नहीं दूँगा जो झूठ बोलते हैं। मैं झूठों को अपने पास भी फटकने नहीं दूँगा।
किन्तु तुम्हें लोगों में से अच्छे लोगों को चुनना चाहिए। “तुम्हें अपने विश्वासपात्र आदमियों का चुनाव करना चाहिए अर्थात् उन आदमियों का जो परमेश्वर का सम्मान करते हों। उन आदमियों को चुनो जो धन के लिए अपना निर्णय न बदलें। इन आदमियों को लोगों का प्रशासक बनाओ। हज़ार, सौ, पचास और दस लोगों पर भी प्रशासक होने चाहिए।
और अच्छी धरती पर गिरे बीज से अर्थ है वे व्यक्ति जो अच्छे और सच्चे मन से जब वचन को सुनते हैं तो उसे धारण भी करते हैं। फिर अपने धैर्य के साथ वह उत्तम फल देते हैं।
जो वाणी मन के घाव भर देती है, जीवन—वृक्ष होती है; किन्तु कपटपूर्ण वाणी मन को कुचल देती है।
यहोवा, मैं तेरे भले कर्मो को बखानूँगा। उन भले कर्मो को मैं रहस्य बनाकर मन में नहीं छिपाए रखूँगा। हे यहोवा, मैं लोगों को रक्षा के लिए तुझ पर आश्रित होने को कहूँगा। मैं महासभा में तेरी करुणा और तेरी सत्यता नहीं छिपाऊँगा।
किसी ने सारे धन का हिसाब नहीं किया या किसी कार्यकर्ता को यह बताने के लिये विवश नहीं किया गया कि धन क्या हुआ क्यों क्योंकि उन कार्यकर्ताओं पर विश्वास किया जा सकता था।
परमेश्वर की शिक्षा पर चलने वाले बनो, न कि केवल उसे सुनने वाले। यदि तुम केवल उसे सुनते भर हो तो तुम अपने आपको छल रहे हो।
हम किसी के लिए कोई विरोध उपस्थित नहीं करते जिससे हमारे काम में कोई कमी आये।बल्कि परमेश्वर के सेवक के रूप में हम हर तरह से अपने आप को अच्छा सिद्ध करते रहते हैं। धैर्य के साथ सब कुछ सहते हुए यातनाओं के बीच, विपत्तियों के बीच, कठिनाइयों के बीच
किन्तु जक्कई खड़ा हुआ और प्रभु से बोला, “हे प्रभु, देख, मैं अपनी सारी सम्पत्ति का आधा गरीबों को दे दूँगा और यदि मैंने किसी का छल से कुछ भी लिया है तो उसे चौगुना करके लौटा दूँगा!”
वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता, और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये घूस नहीं लेता। यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।
हमारे लिए विनती करते रहो। हमें निश्चय है कि हमारी चेतना शुद्ध है। और हम हर प्रकार से वही करना चाहते हैं जो उचित है।
और तुम जो कुछ भी करो या कहो, वह सब प्रभु यीशु के नाम पर हो। उसी के द्वारा तुम हर समय परम पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते रहो।
किन्तु विनम्रता और आदर के साथ ही ऐसा करो। अपना हृदय शुद्ध रखो ताकि यीशु मसीह में तुम्हारे उत्तम आचरण की निन्दा करने वाले लोग तुम्हारा अपमान करते हुए लजायें।
मुझे झूठ से बैर है! मैं उससे घृणा करता हूँ! हे यहोवा, मैं तेरी शिक्षाओं से प्रेम करता हूँ।
अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
मूर्ख को जैसे अधिक बोलना नहीं सजता है वैसे ही गरिमापूर्ण व्यक्ति को झूठ बोलना नहीं सजता।
हे यहोवा, मेरी वाणी पर मेरा काबू हो। अपनी वाणी पर मैं ध्यान रख सकूँ, इसमें मेरा सहायक हो।
अपने जीवन को धन के लालच से मुक्त रखो। जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतोष करो क्योंकि परमेश्वर ने कहा है: “मैं तुझको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं तुझे कभी नहीं तजूँगा।”
उन लोगों को जो सत्य की अधर्म से दबाते हैं, बुरे कर्मों और हर बुराई पर स्वर्ग से परमेश्वर का कोप प्रकट होगा।
अन्त में तुम सब को समानविचार, सहानुभूतिशील, अपने बन्धुओं से प्रेम करने वाला, दयालु और नम्र बनना चाहिए।एक बुराई का बदला दूसरी बुराई से मत दो। अथवा अपमान के बदले अपमान मत करो बल्कि बदले में आशीर्वाद दो क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें ऐसा ही करने को बुलाया है। इसी से तुम्हें परमेश्वर के आशीर्वाद का उत्तराधिकार मिलेगा।
अपने पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रख! तू अपनी समझ पर भरोसा मत रख।उसको तू अपने सब कामों में याद रख। वही तेरी सब राहों को सीधी करेगा।
उन लोगों का बुरा हो जो कहा करते कि अच्छी बातें बुरी हैं, और बुरी बातें अच्छी हैं। वे लोग सोचा करते हैं कि प्रकाश अन्धेरा है, और अन्धेरा प्रकाश हैं। उन लोगों का विचार हैं कि कड़वा, मीठा है और मीठा, कड़वा है।
उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास भेजा। उन लोगों ने यीशु से कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है तू सचमुच परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है। और तब, कोई क्या सोचता है, तू इसकी चिंता नहीं करता क्योंकि तू किसी व्यक्ति की हैसियत पर नहीं जाता।
जो झूठ बोलते हैं उन्हें तू नष्ट करता है। यहोवा ऐसे मनुष्यों से घृणा करता है, जो दूसरों को हानि पहुँचाने का षड़यन्त्र रचते हैं।
तुम अपने लिये जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हो, तुम्हें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिये।
ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।तुममें से हर एक को चाहिए कि केवल अपना ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।
नेकी निर्दोषों के हेतु मार्ग सरल—सीधा बनाती है, किन्तु दुष्ट जन को उसकी अपनी ही दुष्टता धूलें चटा देती।
शुद्ध सज्जनों को यहोवा उनके जीवन भर बचाता है। उनका प्रतिफल सदा बना रहेगा।जब संकट होगा, सज्जन नष्ट नहीं होंगे। जब अकाल पड़ेगा, सज्जनों के पास खाने को भरपूर होगा।
परमेश्वर आत्मा है और इसीलिए जो उसकी आराधना करें उन्हें आत्मा और सच्चाई में ही उसकी आराधना करनी होगी।”
“अरे कपटी यहूदी धर्मशास्त्रियों और फरीसियों! तुम्हारा जो कुछ है, तुम उसका दसवाँ भाग, यहाँ तक कि अपने पुदीने, सौंफ और जीरे तक के दसवें भाग को परमेश्वर को देते हो। फिर भी तुम व्यवस्था की महत्वपूर्ण बातों यानी न्याय, दया और विश्वास का तिरस्कार करते हो। तुम्हें उन बातों की उपेक्षा किये बिना इनका पालन करना चाहिये था।
सज्जन घृणा करते हैं ऐसे उन लोगों से जो सच्चे नहीं होते; और दुष्ट सच्चे लोगों से घृणा रखते हैं।
वह मनुष्य वर्षा रहित पवन और रीतें मेघों सा होता है, जो बड़ी—बड़ी कोरी बातें देने की बनाता है; किन्तु नहीं देता है।